भारतीय संविधान एक संघीय प्रणाली के साथ-साथ संसदीय शासन प्रणाली को भी अपनाता है, जिसमें कार्यपालिका (Executive) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो कानूनों को लागू करने और प्रशासन चलाने के लिए जिम्मेदार है। भारत में, कार्यपालिका को संघ कार्यपालिका (Union Executive) और राज्य कार्यपालिका (State Executive) में विभाजित किया गया है।
1. संघ कार्यपालिका (Union Executive)
संघ कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मंत्रिपरिषद और महान्यायवादी शामिल होते हैं।
1.1. राष्ट्रपति (President) – अनुच्छेद 52-62
- पद: भारत का राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख और भारत का पहला नागरिक होता है। वह नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है।
- चुनाव: राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- कार्यकाल: 5 वर्ष। वह पुन: चुनाव के लिए पात्र होता है।
- शक्तियाँ:
- कार्यकारी शक्तियाँ: सभी कार्यकारी कार्य उसके नाम पर किए जाते हैं। वह प्रधान मंत्री, मंत्रियों, महान्यायवादी, CAG, मुख्य चुनाव आयुक्त आदि की नियुक्ति करता है।
- विधायी शक्तियाँ: संसद के सत्र बुलाना, सत्रावसान करना, लोकसभा को भंग करना। वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है। वह अध्यादेश जारी कर सकता है (अनुच्छेद 123)।
- वित्तीय शक्तियाँ: वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) संसद के समक्ष रखवाना। धन विधेयक उसकी पूर्व सिफारिश से ही पेश किया जा सकता है।
- न्यायिक शक्तियाँ: सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति। वह किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को क्षमा, निलंबित या कम कर सकता है (अनुच्छेद 72)।
- सैन्य शक्तियाँ: वह भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है।
- आपातकालीन शक्तियाँ: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356), वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) की घोषणा कर सकता है।
- महाभियोग: राष्ट्रपति को संविधान के उल्लंघन के आधार पर संसद द्वारा महाभियोग (Impeachment) द्वारा हटाया जा सकता है।
1.2. उपराष्ट्रपति (Vice-President) – अनुच्छेद 63-71
- पद: भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च पद है।
- चुनाव: संसद के दोनों सदनों के सदस्यों (निर्वाचित और नामांकित) के एक निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा चुना जाता है।
- कार्यकाल: 5 वर्ष।
- कार्य:
- वह राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
- राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग या अन्य कारणों से पद रिक्त होने पर वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है (अधिकतम 6 महीने के लिए)।
1.3. प्रधान मंत्री (Prime Minister) – अनुच्छेद 74, 75
- पद: प्रधान मंत्री भारत सरकार का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।
- नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधान मंत्री नियुक्त करते हैं।
- कार्यकाल: निश्चित नहीं है। वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है, लेकिन जब तक उसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है।
- शक्तियाँ और कार्य:
- मंत्रिपरिषद का प्रमुख।
- मंत्रियों की नियुक्ति और विभागों का आवंटन।
- राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के बीच संचार का मुख्य माध्यम।
- नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, राष्ट्रीय एकता परिषद आदि का अध्यक्ष।
- संसद का नेता।
1.4. मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) – अनुच्छेद 74, 75
- गठन: प्रधान मंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद का गठन राष्ट्रपति को उसके कार्यों में सहायता और सलाह देने के लिए किया जाता है।
- सामूहिक उत्तरदायित्व: मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है (अनुच्छेद 75(3))।
- व्यक्तिगत उत्तरदायित्व: मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करते हैं (अनुच्छेद 75(2))।
- आकार: मंत्रिपरिषद का आकार लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15% तक सीमित है (91वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003)।
1.5. महान्यायवादी (Attorney General of India) – अनुच्छेद 76
- पद: भारत सरकार का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी।
- नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा।
- कार्य: भारत सरकार को कानूनी मामलों पर सलाह देना और सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
- वह संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता।
2. राज्य कार्यपालिका (State Executive)
राज्य कार्यपालिका में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद और महाधिवक्ता शामिल होते हैं।
2.1. राज्यपाल (Governor) – अनुच्छेद 153-162
- पद: राज्यपाल राज्य का कार्यकारी प्रमुख होता है और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करता है। वह नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है।
- नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- कार्यकाल: राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है (सामान्यतः 5 वर्ष)।
- शक्तियाँ:
- कार्यकारी शक्तियाँ: मुख्यमंत्री और मंत्रियों की नियुक्ति। राज्य के सभी कार्यकारी कार्य उसके नाम पर किए जाते हैं।
- विधायी शक्तियाँ: राज्य विधानमंडल के सत्र बुलाना, सत्रावसान करना, विधानसभा को भंग करना। वह अध्यादेश जारी कर सकता है (अनुच्छेद 213)।
- वित्तीय शक्तियाँ: राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) विधानमंडल के समक्ष रखवाना।
- न्यायिक शक्तियाँ: राज्य के कानूनों के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को क्षमा, निलंबित या कम कर सकता है (अनुच्छेद 161)।
- विवेकाधीन शक्तियाँ: कुछ मामलों में राज्यपाल अपने विवेक से कार्य कर सकता है (जैसे राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक आरक्षित करना)।
2.2. मुख्यमंत्री (Chief Minister) – अनुच्छेद 163, 164
- पद: मुख्यमंत्री राज्य सरकार का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।
- नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है। राज्यपाल राज्य विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करते हैं।
- कार्यकाल: निश्चित नहीं है। वह राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है, लेकिन जब तक उसे राज्य विधानसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है।
- शक्तियाँ और कार्य:
- राज्य मंत्रिपरिषद का प्रमुख।
- मंत्रियों की नियुक्ति और विभागों का आवंटन।
- राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच संचार का मुख्य माध्यम।
2.3. राज्य मंत्रिपरिषद (State Council of Ministers) – अनुच्छेद 163, 164
- गठन: मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद का गठन राज्यपाल को उसके कार्यों में सहायता और सलाह देने के लिए किया जाता है।
- सामूहिक उत्तरदायित्व: राज्य मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
- आकार: मंत्रिपरिषद का आकार राज्य विधानसभा की कुल सदस्य संख्या के 15% तक सीमित है (91वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003)।
2.4. महाधिवक्ता (Advocate General of the State) – अनुच्छेद 165
- पद: राज्य सरकार का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी।
- नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा।
- कार्य: राज्य सरकार को कानूनी मामलों पर सलाह देना और सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
3. संसदीय प्रणाली के तहत कार्यपालिका (Executive under Parliamentary System)
भारत में, संघ और राज्य दोनों स्तरों पर संसदीय प्रणाली अपनाई गई है।
- नाममात्र और वास्तविक कार्यपालिका का पृथक्करण: राष्ट्रपति/राज्यपाल नाममात्र के प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधान मंत्री/मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होते हैं।
- विधायिका के प्रति जवाबदेही: मंत्रिपरिषद (केंद्र में) लोकसभा के प्रति और (राज्यों में) राज्य विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
- दोहरी सदस्यता: मंत्री विधायिका के भी सदस्य होते हैं।
- प्रधान मंत्री/मुख्यमंत्री का नेतृत्व: वे सरकार के प्रमुख होते हैं और नीतियों को आकार देते हैं।
4. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय संविधान ने देश में एक सुव्यवस्थित संघीय और संसदीय कार्यपालिका की स्थापना की है। संघ स्तर पर राष्ट्रपति नाममात्र के प्रमुख होते हैं, जबकि प्रधान मंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ रखते हैं और लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं। इसी तरह, राज्य स्तर पर राज्यपाल नाममात्र के प्रमुख होते हैं, जबकि मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद राज्य विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं। यह प्रणाली सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करती है, शक्तियों को संतुलित करती है, और भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण लोकतंत्र में सुशासन को बढ़ावा देती है।