उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” या “देवताओं की भूमि” के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तरी भाग में स्थित एक हिमालयी राज्य है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यह नोट्स उत्तराखंड पीसीएस (प्रीलिम्स और मेन्स) परीक्षा के लिए उपयोगी हैं।
1. राज्य का गठन और इतिहास (Formation and History of the State)
उत्तराखंड का गठन एक लंबे और कठिन राज्य आंदोलन का परिणाम था।
1.1. स्थापना और नामकरण
- स्थापना तिथि: उत्तराखंड का गठन 9 नवंबर, 2000 को भारतीय गणतंत्र के 27वें राज्य के रूप में हुआ था। इसे उत्तर प्रदेश से अलग कर बनाया गया था।
- पूर्व नाम: गठन के समय इसका नाम उत्तरांचल था। 1 जनवरी, 2007 को इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।
1.2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- प्राचीन काल: यह क्षेत्र प्राचीन काल में केदारखंड (गढ़वाल) और मानसखंड (कुमाऊं) के रूप में जाना जाता था।
- प्रमुख राजवंश:
- कुणिंद
- कार्तिकेयपुर (कत्यूरी) – लगभग 7वीं से 11वीं शताब्दी तक।
- चंद (कुमाऊं में)
- परमार (पंवार) (गढ़वाल में)
- गोरखा
- गोरखा शासन:
- गोरखाओं ने 1790 में कुमाऊं पर और 1804 में गढ़वाल पर कब्जा किया।
- उनका शासन अत्याचारपूर्ण माना जाता है, जिसे “गोरखाली” के नाम से जाना जाता है।
- ब्रिटिश शासन:
- एंग्लो-गोरखा युद्ध (1814-1816) के बाद, सुगौली की संधि (1815) के तहत ब्रिटिशों ने कुमाऊं और देहरादून का अधिकांश भाग अपने अधिकार में ले लिया।
- गढ़वाल राज्य को टिहरी रियासत के रूप में पुनर्स्थापित किया गया (राजा सुदर्शन शाह)।
- शेष भाग ब्रिटिश गढ़वाल बन गया।
- राज्य आंदोलन:
- 1990 के दशक में एक अलग पहाड़ी राज्य के लिए तीव्र आंदोलन चला।
- खटीमा कांड (1 सितंबर, 1994): राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस फायरिंग।
- मसूरी कांड (2 सितंबर, 1994): मसूरी में पुलिस फायरिंग।
- मुजफ्फरनगर कांड (2 अक्टूबर, 1994): दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर में बर्बर लाठीचार्ज और गोलीबारी।
- इन घटनाओं ने आंदोलन को और तेज किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य का गठन हुआ।
2. भौगोलिक स्थिति और पड़ोसी राज्य (Geographical Location and Neighboring States)
उत्तराखंड अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और हिमालयी परिदृश्य के लिए जाना जाता है।
- स्थान: उत्तराखंड उत्तरी भारत में हिमालय की तलहटी में स्थित है।
- अक्षांशीय विस्तार: 28°43′ N से 31°27′ N
- देशांतरीय विस्तार: 77°34′ E से 81°02′ E
- कुल क्षेत्रफल: 53,483 वर्ग किमी (जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 1.69% है)।
- पहाड़ी और मैदानी क्षेत्र: कुल क्षेत्रफल का लगभग 86% पहाड़ी है और 14% मैदानी है।
- सीमाएँ:
- अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ:
- उत्तर: चीन (तिब्बत क्षेत्र)
- पूर्व: नेपाल
- अंतर्राज्यीय सीमाएँ:
- दक्षिण: उत्तर प्रदेश
- पश्चिम: हिमाचल प्रदेश
- उत्तर-पश्चिम: हिमाचल प्रदेश
- अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ:
- प्रशासनिक प्रभाग:
- मंडल (संभाग): 2 (कुमाऊं और गढ़वाल)
- जिले: 13
- गढ़वाल मंडल (7 जिले): देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग।
- कुमाऊं मंडल (6 जिले): नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत।
3. राजधानियाँ और प्रतीक (Capitals and Symbols)
उत्तराखंड की पहचान उसके विशिष्ट राजकीय प्रतीकों से भी होती है।
- राजधानी:
- देहरादून: शीतकालीन राजधानी और कार्यकारी राजधानी।
- गैरसैंण (भराड़ीसैंण): ग्रीष्मकालीन राजधानी। 4 मार्च, 2020 को घोषित।
- राजकीय प्रतीक:
- राजकीय पशु: कस्तूरी मृग (हिमालयी मस्क डियर)
- राजकीय पक्षी: मोनाल (हिमालयन मोनाल तीतर)
- राजकीय वृक्ष: बुरांस (रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम)
- राजकीय फूल: ब्रह्म कमल (सासुरा अप्सलाटा)
- राजकीय खेल: फुटबॉल (2011 में घोषित)
- राजकीय भाषा: हिंदी। दूसरी राजभाषा संस्कृत (जनवरी 2010 में घोषित)।
4. जनसांख्यिकी (जनगणना 2011 के अनुसार) (Demographics as per Census 2011)
जनगणना 2011 के आंकड़े राज्य की जनसंख्या विशेषताओं को दर्शाते हैं।
- कुल जनसंख्या: 1,00,86,292 (लगभग 10 मिलियन से अधिक)
- पुरुष जनसंख्या: 51,37,773
- महिला जनसंख्या: 49,48,519
- दशकीय वृद्धि दर (2001-2011): 18.81%
- जनसंख्या घनत्व: 189 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
- लिंगानुपात: 963 महिलाएँ प्रति 1000 पुरुष
- शिशु लिंगानुपात (0-6 वर्ष): 890
- साक्षरता दर: 78.82%
- पुरुष साक्षरता दर: 87.40%
- महिला साक्षरता दर: 70.01%
- सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला: हरिद्वार
- न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला: रुद्रप्रयाग
- सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला: हरिद्वार
- न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला जिला: उत्तरकाशी
5. प्रमुख नदियाँ, पर्वत और ग्लेशियर (Major Rivers, Mountains and Glaciers)
उत्तराखंड अपनी नदियों, ऊँची पर्वत चोटियों और विशाल हिमनदों के लिए प्रसिद्ध है।
- प्रमुख नदियाँ: गंगा, यमुना, काली (शारदा), भागीरथी, अलकनंदा, पिंडार, मंदाकिनी, धौलीगंगा, रामगंगा, कोसी।
- गंगा और यमुना का उद्गम उत्तराखंड से होता है।
- प्रमुख पर्वत चोटियाँ:
- नंदा देवी (7816 मीटर): उत्तराखंड की सबसे ऊँची चोटी और भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी (पूरी तरह से भारत में स्थित)।
- कामेत (7756 मीटर)
- त्रिशूल (7120 मीटर)
- बद्रीनाथ (7138 मीटर)
- प्रमुख ग्लेशियर (हिमनद): गंगोत्री, यमुनोत्री, पिंडारी, मिलम, कफनी, सुंदरढुंगा, चोराबाड़ी।
- गंगोत्री ग्लेशियर: सबसे बड़ा ग्लेशियर, गंगा नदी का स्रोत।
6. प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल (Major Religious and Tourist Places)
उत्तराखंड को “देवभूमि” के रूप में जाना जाता है, जो इसके अनगिनत धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य स्थलों के कारण है।
- चार धाम: बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री।
- पंच प्रयाग: देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, विष्णुप्रयाग।
- अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल: हरिद्वार, ऋषिकेश, हेमकुंड साहिब, पूर्णागिरि, जागेश्वर, चितई गोलू देवता मंदिर।
- प्रमुख पर्यटन स्थल: नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, कौसानी, अल्मोड़ा, औली, चोपता।
- राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य:
- जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान: भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान (1936 में स्थापित, पूर्व नाम – हेली नेशनल पार्क)।
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
- नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान
- गोविंद राष्ट्रीय उद्यान
- बिनसर वन्यजीव अभयारण्य
- केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य
7. अर्थव्यवस्था (Economy)
राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि, पर्यटन और जलविद्युत पर आधारित है।
- कृषि: राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार, जिसमें चावल, गेहूँ, गन्ना, दालें और मक्का प्रमुख फसलें हैं।
- पर्यटन: राज्य की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता, जिसमें धार्मिक और साहसिक पर्यटन शामिल है।
- जलविद्युत: राज्य में जलविद्युत उत्पादन की अपार संभावनाएँ हैं, कई बड़ी परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं या प्रस्तावित हैं।
- उद्योग: लघु और मध्यम उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक्स।
- सिडकुल (स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड) औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
8. संस्कृति और लोकजीवन (Culture and Folk Life)
उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इसके लोकनृत्यों, मेलों और भाषाओं में परिलक्षित होती है।
- प्रमुख लोक नृत्य: छोलिया, पांडव नृत्य, लांगवीर नृत्य, हारुल, झुमैलो, चौंफला।
- प्रमुख मेले: कुंभ मेला (हरिद्वार), नंदा देवी मेला, पूर्णागिरि मेला, माघ मेला।
- भाषाएँ: गढ़वाली, कुमाऊँनी, हिंदी, जौनसारी, भोटिया।
- पहनावा: पारंपरिक पहाड़ी पोशाकें जैसे घाघरा, अंगड़ा, पिच्छोड़ा (महिलाएँ) और कुर्ता-पायजामा (पुरुष)।
9. निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड, अपनी अद्वितीय भौगोलिक स्थिति, समृद्ध इतिहास, विविध संस्कृति और अपार प्राकृतिक संसाधनों के साथ, भारत के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है। “देवभूमि” के रूप में इसकी पहचान धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में इसकी भूमिका को रेखांकित करती है, जबकि इसके जलविद्युत और कृषि क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करते हैं। राज्य आंदोलन के बाद से इसने विकास के पथ पर कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं, लेकिन अभी भी पर्यावरणीय स्थिरता, ग्रामीण विकास और पलायन जैसी चुनौतियों का सामना करना बाकी है। इन चुनौतियों का समाधान करते हुए, उत्तराखंड सतत विकास और समृद्धि की दिशा में अग्रसर है।
