उत्तराखंड राज्य का प्रशासन विभिन्न स्तरों पर विभाजित है ताकि सुशासन और प्रभावी जनसेवाएँ सुनिश्चित की जा सकें। यह नोट्स उत्तराखंड पीसीएस (प्रीलिम्स और मेन्स) परीक्षा के लिए उपयोगी हैं।
1. प्रशासनिक प्रभाग (Administrative Divisions)
उत्तराखंड को मुख्य रूप से दो मंडलों में विभाजित किया गया है, जिन्हें आगे जिलों में बांटा गया है।
1.1. मंडल (Divisions)
- उत्तराखंड में 2 मंडल (संभाग) हैं:
- गढ़वाल मंडल: इसका मुख्यालय पौड़ी में है।
- कुमाऊं मंडल: इसका मुख्यालय नैनीताल में है।
1.2. जिले (Districts)
- राज्य में कुल 13 जिले हैं।
- गढ़वाल मंडल के जिले (7):
- देहरादून: राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा शहरी केंद्र।
- हरिद्वार: प्रमुख धार्मिक केंद्र।
- पौड़ी गढ़वाल: गढ़वाल मंडल का मुख्यालय।
- टिहरी गढ़वाल: टिहरी बांध के लिए प्रसिद्ध।
- उत्तरकाशी: गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेश द्वार।
- चमोली: बद्रीनाथ और फूलों की घाटी के लिए प्रसिद्ध।
- रुद्रप्रयाग: केदारनाथ का प्रवेश द्वार।
- कुमाऊं मंडल के जिले (6):
- नैनीताल: कुमाऊं मंडल का मुख्यालय और प्रसिद्ध झील शहर।
- ऊधम सिंह नगर: राज्य का प्रमुख औद्योगिक और कृषि क्षेत्र।
- अल्मोड़ा: सांस्कृतिक राजधानी।
- पिथौरागढ़: पूर्वी सीमा पर स्थित, कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग।
- बागेश्वर: सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित।
- चंपावत: सबसे छोटा जिला।
- गढ़वाल मंडल के जिले (7):
- नवीनतम जिला: चंपावत क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा जिला है।
1.3. तहसीलें (Tehsils) और विकास खंड (Development Blocks)
- उत्तराखंड में कुल 110 तहसीलें (उप-जिले) और 95 विकास खंड (ब्लॉक) हैं। (आंकड़े समय-समय पर बदल सकते हैं)
1.4. ग्राम पंचायतें (Gram Panchayats)
- ग्रामीण प्रशासन की सबसे निचली इकाई ग्राम पंचायतें हैं, जिनकी संख्या लगभग 7,791 है (आंकड़े अनुमानित और परिवर्तनशील हैं)।
2. राज्य की राजधानी और विधानमंडल (State Capital and Legislature)
उत्तराखंड की राजधानी और विधायी संरचना।
- राजधानी:
- देहरादून: राज्य की शीतकालीन राजधानी और कार्यकारी राजधानी।
- गैरसैंण (भराड़ीसैंण): राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी। इसे 4 मार्च, 2020 को घोषित किया गया था। यह चमोली जिले में स्थित है।
- विधानमंडल:
- उत्तराखंड में एकसदनीय विधानमंडल है, जिसे उत्तराखंड विधानसभा कहा जाता है।
- विधानसभा में कुल 70 निर्वाचित सदस्य और 1 मनोनीत सदस्य (एंग्लो-इंडियन समुदाय से, यदि राज्यपाल को लगता है कि उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, हालांकि यह प्रावधान अब प्रभावी नहीं है) होते हैं।
- विधानसभा भवन देहरादून और गैरसैंण (भराड़ीसैंण) दोनों जगह हैं।
3. न्यायपालिका (Judiciary)
राज्य की न्यायिक प्रणाली।
- उत्तराखंड उच्च न्यायालय:
- उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल में स्थित है।
- इसकी स्थापना 9 नवंबर, 2000 को राज्य के गठन के साथ हुई थी।
- यह राज्य का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है।
- अधीनस्थ न्यायालय:
- उच्च न्यायालय के अधीन जिला न्यायालय, सिविल न्यायालय और अन्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय हैं।
4. स्थानीय स्वशासन (Local Self-Government)
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की संरचना।
4.1. ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (Rural Local Self-Government)
- उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू है (73वें संविधान संशोधन के अनुसार):
- ग्राम पंचायत: ग्राम स्तर पर।
- क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक पंचायत): ब्लॉक स्तर पर।
- जिला पंचायत: जिला स्तर पर।
4.2. शहरी स्थानीय स्वशासन (Urban Local Self-Government)
- शहरी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के शहरी स्थानीय निकाय हैं (74वें संविधान संशोधन के अनुसार):
- नगर निगम (Municipal Corporations): बड़े शहरों के लिए (जैसे देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, रुड़की, काशीपुर, रुद्रपुर, कोटद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, काशीपुर)। वर्तमान में 11 नगर निगम हैं।
- नगर पालिका परिषद (Municipal Councils): मध्यम आकार के शहरों के लिए। वर्तमान में 49 नगर पालिका परिषदें हैं।
- नगर पंचायत (Nagar Panchayats): संक्रमणकालीन क्षेत्रों के लिए। वर्तमान में 47 नगर पंचायतें हैं।
- छावनी बोर्ड (Cantonment Boards): सैन्य क्षेत्रों के लिए (जैसे लंढौर, नैनीताल, रानीखेत, देहरादून)।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड की प्रशासनिक इकाइयाँ राज्य के सुचारु संचालन और नागरिकों तक सेवाओं की प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। दो मंडलों, 13 जिलों और विभिन्न उप-मंडलीय तथा स्थानीय निकायों के माध्यम से, राज्य सरकार दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों सहित पूरे भूभाग पर शासन करती है। देहरादून और गैरसैंण की दोहरी राजधानी प्रणाली, एकसदनीय विधानसभा और नैनीताल में स्थित उच्च न्यायालय राज्य की प्रशासनिक और विधायी संरचना को पूरा करते हैं। स्थानीय स्वशासन की त्रिस्तरीय प्रणाली ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर भागीदारी और विकास को बढ़ावा देती है। इन प्रशासनिक इकाइयों का प्रभावी समन्वय उत्तराखंड के समग्र विकास और जन कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है।