उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में कृषि और ग्रामीण विकास का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और उनकी आजीविका कृषि, पशुपालन और संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के विकास और ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएँ और पहलें चलाई जा रही हैं।
उत्तराखंड में कृषि और ग्रामीण विकास योजनाएँ
- राज्य में कृषि मुख्यतः वर्षा आधारित है, और पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी और बिखरी हुई जोतें प्रमुख हैं।
- जैविक कृषि को राज्य में विशेष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, और उत्तराखंड को जैविक प्रदेश बनाने का लक्ष्य है।
- ग्रामीण विकास योजनाओं का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन, बुनियादी ढाँचे का विकास और गरीबी उन्मूलन है।
- उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ग्रामीण विकास और पलायन की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
कृषि विकास संबंधी प्रमुख योजनाएँ
1. एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम योजना
- उद्देश्य: चयनित गाँवों को कृषि और संबंधित क्षेत्रों में मॉडल के रूप में विकसित करना, जहाँ उन्नत कृषि तकनीकों, सिंचाई सुविधाओं, विपणन और मूल्य संवर्धन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- क्रियान्वयन: कृषि विभाग और अन्य संबंधित विभागों के समन्वय से।
2. परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)
- विवरण: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- उद्देश्य: जैविक खेती को बढ़ावा देना, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करना और किसानों को जैविक प्रमाणीकरण प्राप्त करने में सहायता करना।
- प्रावधान: क्लस्टर आधारित जैविक खेती, प्रशिक्षण, जैविक आदानों के लिए सहायता।
3. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) – रफ्तार
- विवरण: यह भी एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- उद्देश्य: कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाना और राज्यों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार योजनाएँ बनाने की स्वायत्तता देना।
4. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
- उद्देश्य: प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों के कारण फसल क्षति की स्थिति में किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना।
- प्रावधान: किसानों को कम प्रीमियम पर फसल बीमा कवर।
5. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना
- उद्देश्य: किसानों को उनकी कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए समय पर और पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराना।
6. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)
- उद्देश्य: किसानों को उनकी भूमि की मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करना और उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना।
7. उत्तराखंड जैविक कृषि अधिनियम, 2019
- उद्देश्य: राज्य में जैविक खेती को कानूनी आधार प्रदान करना, जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण और विपणन को सुगम बनाना।
8. मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना
- उद्देश्य: राज्य में कृषि विविधीकरण, उत्पादकता वृद्धि और किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न घटकों पर केंद्रित।
बागवानी और पुष्प उत्पादन संबंधी योजनाएँ
- एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH): फलों, सब्जियों, मसालों, फूलों और औषधीय पौधों के उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देना।
- उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहन: जैसे कीवी, स्ट्रॉबेरी, सेब की उन्नत किस्में।
- पुष्प घाटी योजना (Flower Valley Scheme): पुष्प उत्पादन क्लस्टरों का विकास।
- कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए सहायता।
पशुपालन और डेयरी विकास संबंधी योजनाएँ
(विस्तृत जानकारी “उत्तराखंड में पशुपालन” नोट्स में देखें)- गंगा गाय महिला डेयरी योजना
- मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना (2021)
- एकीकृत डेयरी विकास परियोजना
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन
- पशुधन बीमा योजना
ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन संबंधी योजनाएँ
1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA)
- उद्देश्य: ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीशुदा मजदूरी रोजगार प्रदान करना, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हों।
- कार्य: जल संरक्षण, भूमि विकास, ग्रामीण संपर्क मार्ग, सिंचाई नहरें आदि।
2. दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)
- उद्देश्य: ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में संगठित कर उनकी क्षमता निर्माण करना और उन्हें लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसर प्रदान करना।
3. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY)
- उद्देश्य: ग्रामीण क्षेत्रों में हर मौसम में उपयुक्त सड़कों का निर्माण कर कनेक्टिविटी में सुधार करना।
4. सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme – BADP)
- उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे दूरस्थ और पिछड़े ब्लॉकों में बुनियादी ढाँचे का विकास करना और स्थानीय लोगों की जरूरतों को पूरा करना।
5. मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना
- उद्देश्य: पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार और आजीविका के अवसर सृजित करना, तथा बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना।
6. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
- उद्देश्य: युवाओं और प्रवासियों को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करना।
सिंचाई संबंधी योजनाएँ
(विस्तृत जानकारी “उत्तराखंड में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाएँ” नोट्स में देखें)- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): “हर खेत को पानी” के लक्ष्य के साथ सिंचाई कवरेज का विस्तार करना। इसके घटक हैं – त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP), हर खेत को पानी (HKKP), प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC), वाटरशेड विकास।
- राज्य में छोटी सिंचाई योजनाओं, लिफ्ट सिंचाई योजनाओं और पारंपरिक गूलों के जीर्णोद्धार पर जोर।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड में कृषि और ग्रामीण विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ और पहलें चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाना, ग्रामीण आजीविका में सुधार करना, बुनियादी ढाँचे का विकास करना और पलायन को रोकना है। इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन और जनभागीदारी से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।