उत्तराखंड की जलवायु इसकी विविध स्थलाकृति और ऊँचाई के कारण अत्यधिक विविध है। यह हिमालयी क्षेत्र होने के कारण यहाँ विभिन्न प्रकार की जलवायु परिस्थितियाँ पाई जाती हैं, जो मैदानी भागों से लेकर ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों तक फैली हुई हैं।
1. जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Climate)
उत्तराखंड की जलवायु को कई भौगोलिक कारक प्रभावित करते हैं।
- ऊंचाई (Altitude): जलवायु निर्धारण में ऊँचाई की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती है, तापमान घटता जाता है और जलवायु ठंडी होती जाती है।
- ढाल की दिशा (Aspect/Slope Orientation): पर्वतीय ढालों की दिशा (सूर्य के प्रकाश और हवा के संपर्क में) वर्षा और तापमान को प्रभावित करती है। राज्य में उत्तरोन्मुखी आंतरिक ढाल की अपेक्षा दक्षिणोन्मुखी बाहरी ढाल में अधिक वर्षा होती है।
- अक्षांशीय स्थिति (Latitudinal Position): उत्तराखंड कर्क रेखा के उत्तरी भाग में स्थित है, जहाँ की जलवायु ग्रीष्मकालीन मानसून द्वारा निर्धारित होती है।
- पवनें (Winds): मानसूनी पवनें और पश्चिमी विक्षोभ राज्य की जलवायु को आकार देते हैं।
- वनस्पति आवरण (Vegetation Cover): सघन वन क्षेत्र तापमान को नियंत्रित करते हैं और आर्द्रता बनाए रखने में मदद करते हैं।
2. प्रमुख जलवायु प्रदेश (Major Climatic Zones)
उत्तराखंड को ऊँचाई के आधार पर मुख्य रूप से 6 जलवायु क्षेत्रों में बांटा गया है।
- उपोष्ण जलवायु क्षेत्र (Subtropical Climate Zone):
- ऊंचाई: समुद्र तल से 900 मी. तक।
- क्षेत्र: राज्य के भाबर, तराई एवं दून घाटी क्षेत्रों में पाई जाती है।
- विशेषता: गर्म ग्रीष्मकाल और हल्के सर्दियाँ।
- गर्म शीतोष्ण जलवायु क्षेत्र (Warm Temperate Climate Zone):
- ऊंचाई: 900 मी. से 1,800 मी. तक।
- विशेषता: यहाँ वनस्पति की प्रचुरता अधिक पाई जाती है, जिसमें मुख्य वृक्ष चीड़ है।
- शीत शीतोष्ण जलवायु क्षेत्र (Cool Temperate Climate Zone):
- ऊंचाई: 1,800 मी. से 3,000 मी. तक।
- विशेषता: इस क्षेत्र में गर्मी कम और सर्दी अधिक पड़ती है, और तापमान वर्षभर कम रहता है। यहाँ कोणधारी वन पाए जाते हैं।
- अल्पाइन जलवायु क्षेत्र (Alpine Climate Zone):
- ऊंचाई: 3,000 मी. से 4,200 मी. तक।
- क्षेत्र: राज्य के बुग्याल क्षेत्रों में पाई जाती है।
- विशेषता: यहाँ अल्पाइन घास के मैदान और झाड़ियाँ पाई जाती हैं।
- हिमानी जलवायु क्षेत्र (Glacial Climate Zone):
- ऊंचाई: 4,200 मी. से अधिक।
- विशेषता: ये क्षेत्र वर्षभर हिमाच्छादित रहते हैं, और यहाँ बर्फीली जलवायु पाई जाती है।
- निवास: भोटिया जनजाति के लोग उच्च हिमालयी क्षेत्रों में निवास करते हैं।
- शीत शुष्क जलवायु क्षेत्र (Cold Arid Climate Zone):
- ऊंचाई: 2,500 मी. से 3,000 मी. की ऊँचाई वाला ट्रांस हिमालयी क्षेत्र।
- विशेषता: यहाँ वर्षा बहुत कम होती है और जलवायु शुष्क रहती है।
3. प्रमुख ऋतुएँ (Major Seasons)
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड में मुख्य रूप से तीन ऋतुएँ पाई जाती हैं।
3.1. ग्रीष्म ऋतु (Summer Season)
- काल: मार्च से मध्य जून तक।
- स्थानीय नाम: रूड़ी, खर्साऊ।
- विशेषता: इस दौरान तापमान बढ़ता है और दाब घटता है। मई-जून माह सर्वाधिक गर्म होते हैं। अत्यधिक गर्मी के कारण स्थानीय लोग ऊँचाई स्थित गाँवों में चले जाते हैं।
3.2. वर्षा ऋतु (Monsoon Season)
- काल: मध्य जून से अक्टूबर माह तक।
- स्थानीय नाम: चौमासा, बसग्याल।
- विशेषता: राज्य में सर्वाधिक वर्षा जुलाई-अगस्त माह में होती है। आर्द्र मानसून के आगमन के बाद तापमान में कमी आने लगती है और विभिन्न क्षेत्रों में जल स्रोत फूट जाते हैं।
- भूगोलवेत्ताओं के अनुसार, हिमालयी क्षेत्रों में पूर्व से पश्चिम की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा में कमी आती है।
3.3. शीत ऋतु (Winter Season)
- काल: नवंबर से फरवरी माह तक।
- स्थानीय नाम: हृयूंद, शीतकला।
- विशेषता: शीतकाल में बुग्यालों के पशुपालक अपने पशुओं के साथ तराई-भाबर इलाकों में आ जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में घमतापी कहते हैं।
- वर्षा: शीतकाल में अधिकांश वर्षा दिसंबर-जनवरी में होती है, जो रबी की फसल के लिए लाभदायक होती है। यह वर्षा मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी चक्रवातों के कारण होती है।
- राज्य में जनवरी महीना सबसे ठंडा और जून सबसे गर्म महीना रहता है।
4. मिट्टी के प्रकार (Types of Soil)
उत्तराखंड में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के अनुरूप अलग-अलग प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।
- जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil): मैदानी और घाटी क्षेत्रों में पाई जाती है। यह कृषि के लिए अत्यंत उपजाऊ होती है।
- लाल मिट्टी (Red Soil): कुछ पहाड़ी ढलानों पर पाई जाती है, जिसमें लौह ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है।
- भूरी मिट्टी (Brown Soil): पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती है, जो जैविक पदार्थों से भरपूर होती है।
- पर्वतीय मिट्टी (Mountain Soil): वनाच्छादित क्षेत्रों में पाई जाती है, जो पेड़ों की पत्तियों और अन्य जैविक पदार्थों के विघटन से बनती है।
- तराई क्षेत्र की मिट्टी: यह दलदली और महीन कणों वाली होती है, धान और गन्ना की खेती के लिए उपयुक्त।
- भाबर क्षेत्र की मिट्टी: यह कंकड़, पत्थर और मोटे बालू वाली होती है, जहाँ नदियाँ भूमिगत हो जाती हैं।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड की जलवायु इसकी विविध स्थलाकृति का सीधा परिणाम है, जो इसे उपोष्णकटिबंधीय से लेकर हिमानी तक के जलवायु क्षेत्रों में विभाजित करती है। यहाँ की ऋतुएँ और मिट्टी के प्रकार भी इस विविधता को दर्शाते हैं। यह जलवायु विविधता न केवल राज्य के कृषि, पर्यटन और जल संसाधनों को प्रभावित करती है, बल्कि यहाँ के निवासियों के जीवन शैली और सांस्कृतिक प्रथाओं में भी परिलक्षित होती है।