Gyan Pragya
No Result
View All Result
BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
  • Current Affairs
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Hindi
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

भौगोलिक विशेषताएँ (Geographical Features)

उत्तराखंड: भौगोलिक विशेषताएँ (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है, अपनी अनूठी और विविध भौगोलिक विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह हिमालय की गोद में बसा एक ऐसा राज्य है जहाँ ऊँचे पर्वत शिखर, गहरी घाटियाँ, विशाल हिमनद और उपजाऊ मैदानी क्षेत्र एक साथ देखने को मिलते हैं।

1. भौगोलिक स्थिति और विस्तार (Geographical Location and Extent)

उत्तराखंड भारत के उत्तरी भाग में स्थित है और हिमालय पर्वत श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

1.1. अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार

  • अक्षांशीय स्थिति: 28°43′ से 31°27′ उत्तरी अक्षांश। इसका अक्षांशीय विस्तार 2°44′ है।
  • देशांतरीय स्थिति: 77°34′ से 81°02′ पूर्वी देशांतर के मध्य। इसका देशांतरीय विस्तार 3°28′ है।

1.2. आकार और क्षेत्रफल

  • आकार: उत्तराखंड राज्य का आकार लगभग आयताकार है।
  • कुल क्षेत्रफल: 53,483 वर्ग किमी। यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 1.69% है।
  • लंबाई (पूर्व-पश्चिम): 358 किमी।
  • चौड़ाई (उत्तर-दक्षिण): 320 किमी।
  • पर्वतीय भाग: कुल क्षेत्रफल का 86.07% (46,035 वर्ग किमी) पर्वतीय क्षेत्र है।
  • मैदानी भाग: कुल क्षेत्रफल का 13.93% (7,448 वर्ग किमी) मैदानी भाग है।

1.3. सीमाएँ (अंतर्राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय)

  • अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ:
    • उत्तर: चीन (तिब्बत क्षेत्र)।
    • पूर्व: नेपाल।
    • राज्य से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की कुल लंबाई 625 किमी है, जिसमें 275 किमी नेपाल से एवं 350 किमी चीन से लगती है।
    • पिथौरागढ़ एकमात्र जिला है जिसकी सीमाएं दो देशों (नेपाल एवं तिब्बत/चीन) से लगती हैं।
  • अंतर्राज्यीय सीमाएँ:
    • दक्षिण: उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश की सीमाएं 5 जिलों (ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, पौड़ी, हरिद्वार एवं देहरादून) से लगती हैं।
    • पश्चिम/उत्तर-पश्चिम: हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश की सीमा से राज्य के दो जिले (देहरादून एवं उत्तरकाशी) सीमा बनाते हैं।
  • आंतरिक जनपद: राज्य के 4 जिलों की सीमाएं किसी राज्य व देश से नहीं लगती हैं। इनके अंतर्गत टिहरी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर एवं अल्मोड़ा जनपद आते हैं।
सिडनी बुनार्ड ने नदी घाटी के आधार पर हिमालय का वर्गीकरण करने पर उत्तराखंड क्षेत्र को कुमाऊँ हिमालय के अंतर्गत बताया है।

2. प्रमुख भौगोलिक विभाजन (Major Geographical Divisions)

उत्तराखंड राज्य को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जो इसकी विविध स्थलाकृति को दर्शाते हैं।

  • राज्य को 8 भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है:
    1. ट्रांस हिमालयी क्षेत्र (Trans-Himalayan Region):
      • विशेषता: इसका उद्भव हिमालय से पहले हुआ है, जिसे तिब्बती हिमालय या टेथिस हिमालय भी कहा जाता है। यह महाहिमालय के उत्तर में स्थित है।
      • ऊंचाई: सिंधु नदी तल से 2,500 मी. से 3,500 मी. के बीच।
      • प्रमुख दर्रे: माणा, नीति, किंगरी-बिंगरी, लिपुलेख, चोरहोती, शलशला, दारमा आदि।
      • निर्माण: अवसादी चट्टानों से मिलकर बना है।
    2. वृहत हिमालय या हिमाद्री क्षेत्र (Greater Himalaya or Himadri Region):
      • विशेषता: इसे उच्च, आंतरिक या मुख्य हिमालय एवं हिमाच्छादित होने के कारण हिमाद्री भी कहा जाता है।
      • ऊंचाई: 4,500 मी. से 7,817 मी. तक।
      • सबसे ऊँची चोटी: नंदा देवी (7817 मी.)।
      • वि विस्तार: राज्य के 6 जिलों (उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर एवं पिथौरागढ़) में फैली है।
      • बुग्याल: निचले भागों में छोटे-छोटे घास के मैदानों को बुग्याल, पयार एवं अल्पाइन पाश्चर्स नाम से जाना जाता है।
      • मूल निवासी: भोटिया जनजाति।
    3. लघु या मध्य हिमालय क्षेत्र (Lesser or Middle Himalayan Region):
      • ऊंचाई: 1,200 मी. से 4,500 मी. तक।
      • विस्तार: राज्य के 9 जिलों (चंपावत, नैनीताल, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून) में विस्तृत है।
      • प्रमुख श्रेणियाँ: मसूरी, देवबन, रानीखेत, दूधातौली, बिनसर व द्रोणगिरी।
      • निर्माण: वलित एवं कायांतरित चट्टानों से हुआ है। इसमें जीवाश्म का अभाव पाया जाता है।
      • नदियाँ: नयार, सरयू, पं. रामगंगा व लधिया जैसी नदियां निकलती हैं।
    4. दून या द्वार क्षेत्र (Dun or Dwar Region):
      • विशेषता: मध्य हिमालय व शिवालिक श्रेणी के बीच पायी जाने वाली क्षैतिज व ऊँची चौरस घाटियों को पश्चिमी एवं मध्य भाग में दून और पूर्वोत्तर भाग में द्वार कहा जाता है।
      • ऊंचाई: औसत ऊंचाई 350 मी. से 750 मी. तक।
      • सबसे बड़ा दून: देहरा दून (लंबाई 75 किमी, चौड़ाई 24 से 32 किमी)।
      • जनसंख्या: मानव जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां होने के कारण अधिकतम जनघनत्व पाया जाता है।
    5. शिवालिक क्षेत्र (Shiwalik Region – Outer Himalaya):
      • विशेषता: इसे बाह्य हिमालय या हिमालय का पाद भी कहते हैं। यह हिमालय श्रृंखला की नवीनतम श्रेणी है।
      • प्राचीन नाम: मैनाक पर्वत। शिवालिक का अर्थ शिव की जटाएँ होती हैं।
      • ऊंचाई: चोटियों की ऊंचाई 700 मी. से 1,200 मी. के बीच।
      • वर्षा: राज्य में सर्वाधिक वर्षा (लगभग 200 से 250 सेमी) शिवालिक हिमालय क्षेत्र में होती है।
      • पर्यटन: राज्य में सर्वाधिक पर्यटन केंद्र शिवालिक क्षेत्र में पाए जाते हैं।
    6. भाबर क्षेत्र (Bhabar Region):
      • विशेषता: शिवालik के दक्षिण में स्थित। भूमि ऊबड़-खाबड़ और कंकड़, पत्थर व मोटे बालू युक्त होती है। नदियाँ इस क्षेत्र में आकर भूमिगत हो जाती हैं।
      • जनजातियाँ: यहाँ थारू एवं बोक्सा जनजाति का वास है।
    7. तराई क्षेत्र (Terai Region):
      • विशेषता: महीन कणों वाली अवसादी चट्टानों से निर्मित। यहाँ दलदली प्रकार की मिट्टी पायी जाती है।
      • जल: इस क्षेत्र में पाताल तोड़ कुएं पाए जाते हैं।
      • कृषि: दलदली मिट्टी होने के कारण धान एवं गन्ना की उत्पादकता अधिक होती है।
      • जनसंख्या: राज्य के तराई क्षेत्र में बंगाली, हरियाणी व पंजाबी लोग निवास करते हैं।
    8. गंगा का मैदानी क्षेत्र (Gangetic Plain Region):
      • विशेषता: राज्य के हरिद्वार जिले का अधिकांश भाग इसके अंतर्गत आता है।
      • भूमि के प्रकार:
        • बांगर: वह क्षेत्र जहाँ तक बाढ़ का पानी नहीं पहुँच पाता है (पुरानी जलोढ़)।
        • खादर: वह क्षेत्र जहाँ प्रतिवर्ष बाढ़ का पानी पहुँचता है (नई जलोढ़)。

3. प्रमुख पर्वत चोटियाँ, ग्लेशियर और घाटियाँ (Major Mountain Peaks, Glaciers, and Valleys)

उत्तराखंड अपनी ऊँची पर्वत चोटियों, विशाल हिमनदों और सुरम्य घाटियों के लिए जाना जाता है।

3.1. प्रमुख पर्वत चोटियाँ

  • नंदा देवी: 7817 मी.। उत्तराखंड की सबसे ऊँची चोटी और भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी (पूरी तरह से भारत में स्थित)।
  • कामेत: 7756 मी.।
  • चौखम्बा: 7138 मी.।
  • त्रिशूल: 7120 मी.।
  • बंदरपूँछ: 6316 मी.。
  • केदारनाथ: 6940 मी.।

3.2. प्रमुख ग्लेशियर (हिमनद)

  • गंगोत्री हिमनद: उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट स्थित। गंगा नदी (भागीरथी के रूप में) का उद्गम स्थल और उत्तराखंड का सबसे बड़ा ग्लेशियर।
  • यमुनोत्री हिमनद: उत्तरकाशी में बंदरपूंछ पर्वत के दक्षिण-पश्चिमी ढाल पर स्थित। यमुना नदी का उद्गम स्थल।
  • पिंडारी ग्लेशियर: बागेश्वर जिले में स्थित। पिंडर नदी का उद्गम स्थल।
  • चोराबाड़ी ग्लेशियर: मंदरांचल श्रेणी के पास स्थित। मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल।
  • मिलम हिमनद: पिथौरागढ़ जिले में जोहार क्षेत्र में स्थित। गोरी गंगा नदी का उद्गम स्थल।

3.3. महत्वपूर्ण घाटियाँ

  • फूलों की घाटी: चमोली जिले में नर एवं गंधमादन पर्वतों के मध्य स्थित। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल। इसकी खोज 1931 ई. में फ्रैंक एस. स्माइथ ने की थी।
  • दून घाटियाँ: देहरादून, पाटली व कोटा दून (नैनीताल), कोठारी व चौखम दून (पौड़ी)।
  • हर-की-दून घाटी: उत्तरकाशी जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध बुग्याल।
  • दूधातोली श्रृंखला: अल्मोड़ा, चमोली व पौड़ी जिलों में फैली। इसे “उत्तराखंड का पामीर” कहा जाता है। इससे पाँच नदियों (पश्चिमी रामगंगा, आटागाड़, वूनों, पश्चिमी एवं पूर्वी नयार) का उद्गम होता है।
  • सोर घाटी: पिथौरागढ़ जनपद में।
  • कत्यूर घाटी: गरुड़, बैजनाथ, बागेश्वर में।
  • नयार घाटी: पौड़ी गढ़वाल में सतपुली के पास।

4. नदी तंत्र (River System)

उत्तराखंड कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है, जो राज्य के जीवन का आधार हैं।

  • उत्तराखंड में प्रवाह की दृष्टि से तीन बड़े नदी तंत्र में विभाजित किया जा सकता है: गंगा नदी प्रवाह तंत्र, यमुना नदी प्रवाह तंत्र एवं काली नदी प्रवाह तंत्र।
  • राज्य की सबसे अधिक प्रवाह पथ वाली नदी काली या शारदा है।
  • राज्य की सबसे बड़ी जल प्रवाह वाली नदी अलकनंदा है।
  • महान हिमालय या ग्रेटर हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ: भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, पिंडर, नंदाकिनी, भिलंगना, यमुना, टोंस, काली एवं पूर्वी रामगंगा।
  • मध्य या लघु हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ: पं. रामगंगा, पूर्वी नयार, पश्चिमी नयार, खोह, सरयू, कोसी, गोमती, पनार, गौला, लधिया।

4.1. गंगा नदी प्रवाह तंत्र

  • भागीरथी नदी: उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से 3,900 मी. की ऊँचाई से निकलती है। गंगोत्री से देवप्रयाग तक लंबाई 205 किमी है।
  • अलकनंदा नदी: चमोली के संतोपथ शिखर के अलकापुरी बांक हिमनद और संतोपथ ताल से निकलती है। इसका दूसरा नाम विष्णुगंगा है। देवप्रयाग तक 195 किमी बहती है।
  • पंच प्रयाग: अलकनंदा और भागीरथी देवप्रयाग में मिलकर गंगा बनती हैं।
    • विष्णुप्रयाग: अलकनंदा + पश्चिमी धौलीगंगा।
    • नंदप्रयाग: अलकनंदा + नंदाकिनी।
    • कर्णप्रयाग: अलकनंदा + पिंडर।
    • रुद्रप्रयाग: अलकनंदा + मंदाकिनी।
    • देवप्रयाग: अलकनंदा + भागीरथी।
  • मालिनी नदी: कण्वाश्रम के निकट बहती है और उत्तरप्रदेश के बिजनौर में गंगा नदी से मिलती है।
4 नवंबर 2008 को गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया।

4.2. यमुना नदी प्रवाह तंत्र

  • उद्गम: महान हिमालय के बंदरपूंछ पर्वत के दक्षिण-पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद से। यह राज्य की पश्चिमी सीमा बनाती है।
  • लंबाई: राज्य में 136 किमी।
  • सहायक नदियाँ: हनुमान गंगा, बनाड़ गाड़, कमल गाड़, अगलाड़ आदि।
  • सबसे बड़ी सहायक नदी: टोंस नदी। यह उत्तरकाशी के बंदरपूंछ पर्वत के स्वर्गारोहिणी हिमनद से निकलने वाली सूपिन नदी एवं हिमाचल प्रदेश से निकलने वाली रूपिन नदी से मिलकर बनी है। टोंस नदी उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश का बॉर्डर बनाती है।

4.3. काली नदी प्रवाह तंत्र

  • स्थान: राज्य के सबसे पूर्वी सिरे में बहती है और भारत व नेपाल की सीमा बनाती है।
  • उद्गम: जैक्सर श्रेणी के पूर्वी ढाल पर लिपुलेख के पास कालापानी या व्यास आश्रम नामक स्थान से निकलती है।
  • लंबाई: कालापानी से टनकपुर तक 252 किमी। यह राज्य में बहने वाली सबसे लंबी नदी है।
  • पौराणिक नाम: स्कंदपुराण में श्यामा नदी कहा गया है।
  • प्रमुख सहायक नदियाँ:
    • सरयू नदी: काली नदी को सर्वाधिक जलराशि देने वाली नदी। कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे पवित्र नदी। बागेश्वर के सरमूल के पास से निकलती है। पंचेश्वर में काली से मिलती है।
    • पूर्वी धौलीगंगा: लिस्सर एवं दारमा नदी के मिलने से बनती है। खेला गाँव में काली से मिलती है।
    • गोरी गंगा नदी: जोहार क्षेत्र के मिलम हिमनद से निकलती है। जौलजीवी के पास काली में मिलती है।
    • लोहावती नदी: चंपावत में बहती है। गढ़मुक्तेश्वर में काली से मिलती है।
    • लधिया नदी: उत्तराखंड की अंतिम नदी। गजार नामक स्थान से निकलती है। चूका में काली से मिलती है।

5. जलवायु और ऋतुएँ (Climate and Seasons)

उत्तराखंड की जलवायु ऊँचाई और ढाल की दिशा के आधार पर विविध है।

5.1. जलवायु प्रदेश

  • उत्तराखंड को जलवायु की दृष्टि से 6 भागों में बांटा गया है:
    1. उपोष्ण जलवायु क्षेत्र: भाबर, तराई एवं दून घाटी क्षेत्र में। समुद्र तल से 900 मी. तक की ऊँचाई।
    2. गर्म शीतोष्ण जलवायु क्षेत्र: 900 मी. से 1,800 मी. तक की ऊँचाई वाले क्षेत्र। यहाँ वनस्पति की प्रचुरता अधिक होती है (मुख्यतः चीड़)।
    3. शीत शीतोष्ण जलवायु क्षेत्र: 1,800 मी. से 3,000 मी. तक की ऊँचाई वाले क्षेत्र।
    4. अल्पाइन जलवायु क्षेत्र: 3,000 मी. से 4,200 मी. तक के क्षेत्रों में। राज्य के बुग्याल क्षेत्रों में पायी जाती है।
    5. हिमानी जलवायु क्षेत्र: 4,200 मी. से अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्र जो वर्षभर हिमाच्छादित रहते हैं।
    6. शीत शुष्क जलवायु क्षेत्र: 2,500 मी. से 3,000 मी. की ऊँचाई वाला ट्रांस हिमालयी क्षेत्र।

5.2. वर्षा और ऋतुएँ

  • वर्षा: राज्य में वर्षा का मुख्य कारण पर्वतीय ढालों से वायु का ऊपर की ओर उठना है। राज्य में सर्वाधिक वर्षा जुलाई-अगस्त माह में होती है।
  • ऋतुएँ: भारतीय मौसम विभाग में उत्तरी भारत में ऋतुओं का विभाजन तीन भागों में किया गया है:
    • ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून): स्थानीय भाषा में रूड़ी, खर्साऊ। मई-जून सर्वाधिक गर्म महीने।
    • वर्षा ऋतु (मध्य जून से अक्टूबर): स्थानीय भाषा में चौमासा, बसग्याल।
    • शीत ऋतु (नवंबर से फरवरी): स्थानीय भाषा में हृयूंद, शीतकला। सर्वाधिक वर्षा दिसंबर-जनवरी में।

5.3. मिट्टी के प्रकार

  • उत्तराखंड में मुख्य रूप से जलोढ़ मिट्टी (मैदानी और घाटी क्षेत्रों में), लाल मिट्टी, भूरी मिट्टी, और पर्वतीय मिट्टी पाई जाती है।
  • तराई क्षेत्र में दलदली और महीन कणों वाली मिट्टी होती है।
  • भाबर क्षेत्र में कंकड़, पत्थर और मोटे बालू वाली मिट्टी होती है।

6. वनस्पति और वन्यजीव (Flora and Fauna)

उत्तराखंड अपनी समृद्ध जैव-विविधता और विविध वनस्पति आवरण के लिए प्रसिद्ध है।

6.1. वनों के प्रकार

  • उपोष्ण कटिबंधीय वन (750-1,200 मी.): प्रमुख वृक्ष साल, हल्दू, बांस, खैर, सेमल।
  • उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन (1,500 मी. से कम): कम वर्षा वाले स्थानों में। प्रमुख ढाक, जामुन।
  • उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पतझड़ वन: शिवालिक एवं दून घाटियों में। प्रमुख सागौन, साल, शहतूत।
  • कोणधारी वन (900-1,800 मी.): पत्तियाँ नुकीली होती हैं। प्रमुख वृक्ष चीड़ या पाइन।
  • पर्वतीय शीतोष्ण वन (1,800-2,700 मी.): प्रमुख ओक (बांज, मोरू, खसू), सिल्वर, स्प्रूस, देवदार।
  • अल्पाइन वन (2,700 मी. से अधिक): प्रमुख वृक्ष देवदार, बुरांस, बर्च।
  • अल्पाइन झाड़ियाँ (3,000-3,600 मी.): विलो एवं जूनिपर।
  • उत्तराखंड का वरदान बांज वृक्ष को कहा जाता है।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

उत्तराखंड की भौगोलिक विशेषताएँ इसे एक अद्वितीय पहचान प्रदान करती हैं। यहाँ की विविध स्थलाकृति, जटिल नदी प्रणालियाँ, समृद्ध वनस्पति और विविध जलवायु इसे न केवल एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक क्षेत्र बनाती है, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है। हिमालय के उपहार स्वरूप प्राप्त ये भौगोलिक विशेषताएँ राज्य के पर्यटन, कृषि और जलविद्युत क्षमता का आधार हैं, लेकिन साथ ही भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम भी पैदा करती हैं।

SendShare
Previous Post

उत्तराखंड की न्यायपालिका (Judiciary of Uttarakhand)

Next Post

उत्तराखंड की पर्वत श्रेणियाँ (Mountain Ranges of Uttarakhand)

Related Posts

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

उत्तराखंड: स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) उत्तराखंड के निवासियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय और महत्वपूर्ण...

Uttarakhnd

Contribution of Uttarakhand in Freedom Struggle

June 4, 2025

आज़ादी की लड़ाई में उत्तराखंड का योगदान (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड के निवासियों ने अद्वितीय...

Uttarakhnd

विज्ञान, साहित्य और कला में विकास (Developments in Science, Literature, and Art)

May 25, 2025

गुप्त काल: विज्ञान, साहित्य और कला में विकास (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) गुप्त काल: विज्ञान, साहित्य और कला में विकास (UPSC/PCS...

Next Post

उत्तराखंड की पर्वत श्रेणियाँ (Mountain Ranges of Uttarakhand)

जलवायु (Climate)

प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Disasters)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025
Polity

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025
Quiz

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025
uncategorized

Protected: test

May 25, 2025
Placeholder Square Image

Visit Google.com for more information.

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025

Protected: test

May 25, 2025

हिंदी लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग

May 24, 2025

मुहावरे और उनके अर्थ

May 24, 2025
  • Contact us
  • Disclaimer
  • Register
  • Login
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Home
  • Hindi
  • History
  • Geography
  • General Science
  • Uttarakhand
  • Economics
  • Environment
  • Static Gk
  • Quiz
  • Polity
  • Computer
  • Login
  • Contact us
  • Privacy Policy

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.