उत्तराखंड राज्य में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल राज्य प्रशासन के शीर्ष पर कार्य करते हैं। यह नोट्स उत्तराखंड पीसीएस (प्रीलिम्स और मेन्स) परीक्षा के लिए उपयोगी हैं।
1. राज्यपाल (Governor)
राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
1.1. संवैधानिक प्रावधान
- भारतीय संविधान का भाग VI (अनुच्छेद 153 से 167) राज्य कार्यपालिका से संबंधित है, जिसमें राज्यपाल भी शामिल है।
- अनुच्छेद 153: प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा।
- अनुच्छेद 154: राज्य की कार्यकारी शक्ति राज्यपाल में निहित होगी।
1.2. नियुक्ति
- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वह केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है।
- राज्यपाल का कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है, लेकिन वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है।
1.3. योग्यताएँ
- वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उसकी आयु 35 वर्ष पूर्ण होनी चाहिए।
1.4. शक्तियाँ और कार्य
- कार्यकारी शक्तियाँ:
- मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति।
- राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति।
- राज्य सरकार के सभी कार्यकारी कार्य राज्यपाल के नाम पर किए जाते हैं।
- विधायी शक्तियाँ:
- राज्य विधानमंडल के सत्र को आहूत करना, सत्रावसान करना और विघटित करना।
- विधानसभा को संबोधित करना और संदेश भेजना।
- राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को स्वीकृति देना या रोकना, या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना।
- अनुच्छेद 213: जब विधानमंडल सत्र में न हो तो अध्यादेश जारी करने की शक्ति।
- वित्तीय शक्तियाँ:
- राज्य बजट को विधानमंडल के समक्ष रखवाना।
- धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति से ही विधानमंडल में पेश किए जा सकते हैं।
- न्यायिक शक्तियाँ:
- राज्य कानूनों के विरुद्ध अपराधों के संबंध में क्षमादान, निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति (मृत्युदंड और कोर्ट मार्शल मामलों को छोड़कर)।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति से परामर्श।
- विवेकाधीन शक्तियाँ:
- राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक आरक्षित करना।
- किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर मुख्यमंत्री की नियुक्ति।
- मुख्यमंत्री से जानकारी मांगना।
2. मुख्यमंत्री (Chief Minister)
मुख्यमंत्री राज्य सरकार का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है।
2.1. नियुक्ति
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
- सामान्यतः, राज्यपाल विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है।
2.2. कार्यकाल
- मुख्यमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है। वह राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि राज्यपाल उसे कभी भी हटा सकता है। मुख्यमंत्री तब तक पद पर रहता है जब तक उसे विधानसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त है।
2.3. शक्तियाँ और कार्य
- मंत्रिपरिषद के संबंध में:
- राज्यपाल को मंत्रियों की नियुक्ति के संबंध में सलाह देना।
- मंत्रियों के बीच विभागों का आवंटन और फेरबदल करना।
- मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना।
- किसी मंत्री को इस्तीफा देने के लिए कहना या राज्यपाल को उसे बर्खास्त करने की सलाह देना।
- राज्यपाल के संबंध में:
- राज्य के प्रशासन और विधान संबंधी प्रस्तावों के बारे में राज्यपाल को जानकारी देना।
- राज्यपाल द्वारा मांगी गई कोई भी जानकारी प्रदान करना।
- किसी ऐसे मामले पर मंत्रिपरिषद के विचार के लिए प्रस्तुत करना जिस पर किसी मंत्री ने निर्णय लिया हो लेकिन मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया हो।
- राज्य विधानमंडल के संबंध में:
- विधानसभा के नेता के रूप में कार्य करना।
- राज्यपाल को विधानसभा का सत्र आहूत करने या सत्रावसान करने की सलाह देना।
- किसी भी समय विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करना।
- अन्य शक्तियाँ:
- राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष।
- अंतर-राज्यीय परिषद और राष्ट्रीय विकास परिषद का सदस्य।
3. मंत्रिपरिषद (Council of Ministers)
मंत्रिपरिषद मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य का वास्तविक कार्यकारी निकाय है।
3.1. संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 163: राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका मुखिया मुख्यमंत्री होगा।
- अनुच्छेद 164: मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा।
3.2. मंत्रियों की श्रेणियाँ
- कैबिनेट मंत्री: महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुख।
- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार): अपने विभाग के स्वतंत्र प्रमुख होते हैं, लेकिन कैबिनेट के सदस्य नहीं होते।
- राज्य मंत्री: कैबिनेट मंत्रियों के साथ जुड़े होते हैं और उनकी सहायता करते हैं।
3.3. सामूहिक उत्तरदायित्व
- मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है (अनुच्छेद 164)।
- इसका अर्थ है कि सभी मंत्री एक साथ तैरते हैं और एक साथ डूबते हैं। विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।
3.4. व्यक्तिगत उत्तरदायित्व
- मंत्री व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर किसी मंत्री को हटा सकता है।
4. निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद राज्य प्रशासन की रीढ़ हैं। राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है, जबकि मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद राज्य की वास्तविक कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है। यह त्रिस्तरीय संरचना राज्य में नीतियों के निर्माण, कानूनों के कार्यान्वयन और सुशासन सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करती है। सामूहिक और व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के सिद्धांतों के साथ, यह प्रणाली राज्य के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करती है और नागरिकों के हितों की सेवा करती है।