उत्तराखंड, हिमालय की गोद में बसा, असंख्य ऊँची-नीची पर्वत चोटियों से सुशोभित है। ये पर्वत शिखर न केवल राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को परिभाषित करते हैं, बल्कि यहाँ की नदियों के उद्गम स्रोत, जलवायु नियंत्रक और धार्मिक आस्था के केंद्र भी हैं। इन चोटियों का अध्ययन पर्वतारोहियों, भूगोलविदों और श्रद्धालुओं के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है।
उत्तराखंड की प्रमुख पर्वत चोटियाँ: एक सिंहावलोकन
- उत्तराखंड की सर्वोच्च चोटी नंदा देवी पश्चिम (7817 मीटर) है, जो भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।
- अधिकांश ऊँची चोटियाँ वृहद् हिमालय (हिमाद्रि) क्षेत्र में स्थित हैं।
- कई चोटियाँ धार्मिक महत्व रखती हैं और प्रमुख तीर्थ स्थलों के निकट स्थित हैं, जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ, चौखम्बा।
- इन चोटियों से अनेक महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम होता है।
- पर्वतारोहण के लिए ये चोटियाँ विश्व भर के पर्वतारोहियों को आकर्षित करती हैं।
1. उत्तराखंड की प्रमुख पर्वत चोटियाँ (ऊँचाई के घटते क्रम में)
नीचे उत्तराखंड की कुछ प्रमुख पर्वत चोटियों की सूची उनकी ऊँचाई (मीटर में) और स्थिति (जिला/क्षेत्र) के साथ दी गई है:
- नंदा देवी पश्चिम (Nanda Devi West) – ऊँचाई: 7817 मीटर, स्थिति: चमोली, विशेष: उत्तराखंड की सर्वोच्च चोटी, भारत की दूसरी सर्वोच्च (पूर्णतः भारत में स्थित सर्वोच्च)।
- कामेट (Kamet) – ऊँचाई: 7756 मीटर, स्थिति: चमोली, विशेष: राज्य की दूसरी सर्वोच्च चोटी।
- नंदा देवी पूर्व (Nanda Devi East) – ऊँचाई: 7434 मीटर, स्थिति: चमोली-पिथौरागढ़ सीमा।
- अभि गमिन / अबी गमिन (Abi Gamin) – ऊँचाई: 7355 मीटर, स्थिति: चमोली (कामेट के पास)।
- माणा पर्वत (Mana Peak) – ऊँचाई: 7272 मीटर, स्थिति: चमोली।
- मुकुट पर्वत (Mukut Parbat) – ऊँचाई: 7242 मीटर, स्थिति: चमोली (कामेट के पास)।
- हरदेओल / हरदौल (Hardeol / Temple of God) – ऊँचाई: 7151 मीटर, स्थिति: पिथौरागढ़ (मिलम घाटी)।
- चौखम्बा – I (Chaukhamba – I) – ऊँचाई: 7138 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी-चमोली (गंगोत्री समूह की सर्वोच्च चोटी)।
- त्रिशूल – I (Trishul – I) – ऊँचाई: 7120 मीटर, स्थिति: बागेश्वर-चमोली।
- सतोपंथ (Satopanth) – ऊँचाई: 7074 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी-चमोली।
- दूनागिरी / द्रोणागिरी (Dunagiri / Dronagiri) – ऊँचाई: 7066 मीटर, स्थिति: चमोली।
- केदारनाथ शिखर (Kedarnath Peak) – ऊँचाई: 6940 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी-रुद्रप्रयाग।
- पंचाचूली – II (Panchachuli – II) – ऊँचाई: 6904 मीटर (पंचाचूली समूह का सर्वोच्च शिखर), स्थिति: पिथौरागढ़।
- नंदा कोट (Nanda Kot) – ऊँचाई: 6861 मीटर, स्थिति: पिथौरागढ़-बागेश्वर।
- भागीरथी पर्वत – I (Bhagirathi Parvat – I) – ऊँचाई: 6856 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी।
- श्रीकंठ (Srikant) – ऊँचाई: 6728 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी।
- गंगोत्री पर्वत (Gangotri Peak) – ऊँचाई: 6672 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी।
- नीलकंठ (Neelkanth) – ऊँचाई: 6597 मीटर, स्थिति: चमोली (बद्रीनाथ के पास, गढ़वाल क्वीन भी कहा जाता है)।
- यमुनोत्री पर्वत (Yamunotri Peak) – ऊँचाई: 6400 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी।
- बंदरपूँछ पश्चिम (Bandarpunch West) / बंदरपूँछ – I – ऊँचाई: 6320 मीटर (या 6316 मीटर), स्थिति: उत्तरकाशी।
- स्वर्गारोहिणी – I (Swargarohini – I) – ऊँचाई: 6252 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी (पांडवों के स्वर्गारोहण से संबंधित)।
- चंद्र पर्वत (Chandra Parvat) – ऊँचाई: 6728 मीटर, स्थिति: चमोली।
- नंदा घुंटी (Nanda Ghunti) – ऊँचाई: 6309 मीटर, स्थिति: चमोली।
- जैलंग (Jaonli / Jailing) – ऊँचाई: 6632 मीटर, स्थिति: उत्तरकाशी।
- गौरी पर्वत (Gauri Parvat) – ऊँचाई: 6250 मीटर, स्थिति: चमोली।
- हाथी पर्वत (Hathi Parvat) – ऊँचाई: 6727 मीटर, स्थिति: चमोली।
(नोट: विभिन्न स्रोतों में पर्वत चोटियों की ऊँचाई में थोड़ा-बहुत अंतर मिल सकता है।)
2. पर्वत चोटियों का वर्गीकरण एवं महत्व
क. धार्मिक महत्व की चोटियाँ
- नंदा देवी: उत्तराखंड की संरक्षक देवी के रूप में पूजी जाती हैं। नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- त्रिशूल: भगवान शिव के त्रिशूल का प्रतीक माना जाता है।
- चौखम्बा: चार चोटियों का समूह, जो बद्रीनाथ मंदिर के पृष्ठ में स्थित है और भगवान विष्णु के चार रूपों का प्रतीक माना जाता है।
- केदारनाथ शिखर: केदारनाथ मंदिर के पास स्थित, भगवान शिव से संबंधित।
- नीलकंठ: बद्रीनाथ के पास स्थित, भगवान शिव से संबंधित।
- स्वर्गारोहिणी: माना जाता है कि पांडवों ने इसी पर्वत से स्वर्ग की ओर प्रस्थान किया था।
- बंदरपूँछ: यमुनोत्री धाम के पास, हनुमान जी से संबंधित कथाएँ।
- कामेट: तिब्बती भाषा में इसका अर्थ ‘हिम का दादा’ होता है।
ख. पर्वतारोहण की दृष्टि से महत्वपूर्ण चोटियाँ
- नंदा देवी पश्चिम और पूर्व, कामेट, चौखम्बा, त्रिशूल, भागीरथी पर्वत समूह, सतोपंथ आदि चोटियाँ विश्व भर के पर्वतारोहियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
- कई चोटियों पर सफल आरोहण के लिए विशेष अनुमति और तकनीकी दक्षता की आवश्यकता होती है।
ग. भौगोलिक एवं पारिस्थितिक महत्व
- ये ऊँची चोटियाँ ग्लेशियरों का निर्माण करती हैं, जो उत्तर भारत की प्रमुख नदियों (गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियाँ) के स्रोत हैं।
- ये पर्वत श्रृंखलाएँ मानसून पवनों को प्रभावित करती हैं और क्षेत्र की जलवायु का निर्धारण करती हैं।
- इन पर्वतीय क्षेत्रों में दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं, जो एक विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड की पर्वत चोटियाँ मात्र भौगोलिक संरचनाएँ नहीं, बल्कि राज्य की पहचान, आस्था, संस्कृति और पारिस्थितिकी की धुरी हैं। इनका संरक्षण और सतत प्रबंधन न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए महत्वपूर्ण है। इन शिखरों की भव्यता और पवित्रता को बनाए रखना हम सभी का सामूहिक दायित्व है।