उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” भी कहा जाता है, भारत की कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है। यहाँ का नदी तंत्र न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए जीवन रेखा है। ये नदियाँ सिंचाई, पेयजल, जलविद्युत उत्पादन और धार्मिक महत्व की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
उत्तराखंड का नदी तंत्र
उत्तराखंड में प्रवाह की दृष्टि से नदी तंत्र को मुख्यतः तीन बड़े प्रणालियों में विभाजित किया जा सकता है: गंगा नदी प्रवाह तंत्र, यमुना नदी प्रवाह तंत्र, और काली (शारदा) नदी प्रवाह तंत्र।
- राज्य की सबसे अधिक प्रवाह पथ वाली नदी: काली या शारदा नदी (252 किमी उत्तराखंड में)।
- राज्य की सबसे बड़ी जल प्रवाह वाली नदी: अलकनंदा नदी।
- अधिकांश नदियों का अपवाह प्रारूप: वृक्षाकार (Dendritic)।
- केदारखंड (स्कन्दपुराण) में गंगा नदी के जलागम क्षेत्र को ‘सप्त सामुद्रिक तीर्थ’ कहा गया है, जिसमें अलकनंदा, धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर, मंदाकिनी, भागीरथी और नयार नदियाँ शामिल हैं।
1. गंगा नदी प्रवाह तंत्र (Ganga River System)
गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। उत्तराखंड में यह भागीरथी के नाम से गोमुख (गंगोत्री हिमनद) से निकलती है। देवप्रयाग में अलकनंदा से संगम के बाद यह गंगा कहलाती है।
कुल लंबाई (भारत में): 2525 किमी।
राज्य में लंबाई (देवप्रयाग से हरिद्वार तक): 96 किमी (NCERT के अनुसार उत्तराखंड में कुल 110 किमी)।
राष्ट्रीय नदी घोषित: 4 नवंबर 2008।
प्रमुख उप-प्रवाह तंत्र: भागीरथी उपतंत्र, अलकनंदा उपतंत्र, नयार उपतंत्र।
1.1. भागीरथी नदी उप-प्रवाह तंत्र
उद्गम: गोमुख (गंगोत्री हिमनद, उत्तरकाशी), ऊँचाई 3900 मीटर।
लंबाई (गोमुख से देवप्रयाग तक): 205 किमी।
प्रमुख सहायक नदियाँ और संगम स्थल:
- रुद्रगंगा: गंगोत्री के समीप।
- केदारगंगा: केदारताल से निकलकर गंगोत्री के पास।
- जाड़गंगा (जान्हवी): भैरोंघाटी या लंका नामक स्थान पर (यह थांगला दर्रे के पास हिमनद से निकलती है)।
- असीगंगा: गंगोरी (उत्तरकाशी) के पास (यह डोडीताल से निकलती है)।
- सियागंगा: झाला के पास।
- भिलंगना: गणेश प्रयाग (पुरानी टिहरी) पर, यह खतलिंग ग्लेशियर से निकलती है और भागीरथी की सबसे बड़ी सहायक नदी है (लंबाई 110 किमी)। इसकी सहायक नदियाँ धर्मगंगा, दूधगंगा, बालगंगा (बालखिला) और मेदगंगा हैं।
- जलकुर नदी: टिहरी में।
1.2. अलकनंदा नदी उप-प्रवाह तंत्र
उद्गम: संतोपथ शिखर के अलकापुरी बांक हिमनद और संतोपथ ताल (चमोली)। इसे विष्णुगंगा भी कहते हैं।
लंबाई (संतोपथ से देवप्रयाग तक): 195 किमी। यह राज्य में सर्वाधिक जल प्रवाह वाली नदी है।
पंच प्रयाग (अलकनंदा के संगम):
- विष्णुप्रयाग: अलकनंदा + पश्चिमी धौलीगंगा (यह धौलीगिरी की कुनगुल श्रेणी से निकलती है, लंबाई 94 किमी, सहायक नदियाँ: ऋषिगंगा, गिरथीगंगा, कियोगाड)।
- नंदप्रयाग: अलकनंदा + नंदाकिनी नदी (यह त्रिशूल पर्वत के पास नंदाघुंघटी से निकलती है, लंबाई 56 किमी)।
- कर्णप्रयाग: अलकनंदा + पिंडर नदी (यह बागेश्वर में पिंडर ग्लेशियर से निकलती है, इसे कर्णगंगा भी कहते हैं, लंबाई 105 किमी, सहायक नदी: आटागाड़)।
- रुद्रप्रयाग: अलकनंदा + मंदाकिनी नदी (यह मंदरांचल श्रेणी के चौराबाड़ी ग्लेशियर (गांधी सरोवर) से निकलती है, रामचरितमानस में इसे सुरसरि कहा गया है। सहायक नदियाँ: मधुगंगा (कालीमठ में संगम), सोनगंगा/बासुकीगंगा (सोनप्रयाग में संगम))।
- देवप्रयाग: अलकनंदा + भागीरथी नदी (यहाँ से यह गंगा कहलाती है)।
अन्य सहायक नदियाँ: सरस्वती नदी (कामेट चोटी के देवताल से निकलकर केशवप्रयाग, माणा में मिलती है), लक्ष्मण गंगा/हेमगंगा (गोविंदघाट में), पातालगंगा, विरही गंगा (गौना झील इसी पर बनी थी), गरुड़गंगा, कल्पगंगा, अमृतगंगा, कंचनगंगा, सोनधारा, वसुधारा।
1.3. नयार नदी उप-प्रवाह तंत्र
विवरण: नयार नदी, जिसे नादगंगा भी कहते हैं, पूर्वी नयार और पश्चिमी नयार से मिलकर बनी है।
- पूर्वी नयार: दूधातोली के जखमोलीधार श्रेणी से (स्युंसी/कैन्यूर गाड नाम से), लंबाई 109 किमी।
- पश्चिमी नयार: दूधातोली श्रृंखला के पश्चिमी ढाल से (ढाईज्यूली/स्योली गाड नाम से), लंबाई 78 किमी।
- संगम: दोनों नयार नदियाँ सतपुली (पौड़ी) में मिलती हैं। संगम स्थल को वैनतेयक तीर्थ भी कहा जाता है।
- गंगा में विलय: पौड़ी के व्यास घाट (फूलचट्टी) के पास बायीं ओर से गंगा में मिलती है।
- सहायक नदियाँ: कलिगाड़, डाबरीगाड़, गड्डी नदी।
गंगा की अन्य सहायक नदियाँ (राज्य में): हेवल नदी (शिवपुरी में), चंद्रभागा/चन्दनागा (ऋषिकेश में), सोंग नदी (रायवाला में), रतमऊ और सोलानी नदी (हरिद्वार-रुड़की क्षेत्र में)। मालिनी नदी कण्वाश्रम के निकट बहती है और बिजनौर (यूपी) में गंगा से मिलती है।
2. यमुना नदी प्रवाह तंत्र (Yamuna River System)
यमुना नदी, गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इसका उद्गम उत्तराखंड से होता है।
उद्गम: बंदरपूँछ पर्वत के दक्षिण-पश्चिम ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद (यमुनोत्री कांठा), उत्तरकाशी, ऊँचाई 6315 मीटर।
अन्य नाम: कालिंदी (सूर्य पुत्री, यम की बहन, कृष्ण की पटरानी)।
राज्य में लंबाई: 136 किमी। यह राज्य की पश्चिमी सीमा बनाती है।
प्रमुख सहायक नदियाँ: टोंस (सबसे बड़ी सहायक, कालसी के पास मिलती है), हनुमान गंगा (खरसाली में संगम), बनाड़ गाड़, कमल गाड़ (पुरोला घाटी का वरदान), खतनु गाड़, बरनी गाड़, अगलाड़ (यमुना पुल के पास संगम, मौण मेले के लिए प्रसिद्ध), भद्री गाड़, मुगरा गाड़, गड़ोली गाड़, आसन नदी (रामपुर मंडी, देहरादून के पास मिलती है)।
राज्य से बाहर: धालीपुर (देहरादून) के पास राज्य से बाहर हो जाती है।
2.1. टोंस नदी उप-प्रवाह तंत्र
विवरण: यह यमुना की प्रमुख सहायक नदी है।
उद्गम: बंदरपूँछ पर्वत के स्वर्गारोहिणी हिमनद से निकलने वाली सूपिन नदी और हिमाचल प्रदेश से निकलने वाली रूपिन नदी के संगम से नेटवाड़ (मोरी, उत्तरकाशी) में बनती है। इसे कुछ दूरी तक तमसा भी कहते हैं।
लंबाई: 148 किमी।
यमुना में विलय: कालसी और डाकपत्थर के बीच।
सहायक नदियाँ: पावर नदी (त्यूनी में संगम), खूनीगाड, मौनागाड।
3. काली (शारदा) नदी प्रवाह तंत्र (Kali/Sharda River System)
काली नदी उत्तराखंड के सबसे पूर्वी भाग में बहती है और भारत-नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाती है। मैदान में इसे शारदा नाम से जाना जाता है।
उद्गम: जैक्सर श्रेणी के पूर्वी ढाल पर लिपुलेख के पास कालापानी या व्यास आश्रम (पिथौरागढ़)।
अन्य नाम: स्कन्दपुराण में श्यामा नदी। इसका जल अपवित्र माना जाता है।
राज्य में लंबाई: 252 किमी (राज्य की सबसे लंबी नदी)।
प्रवाह: काकागिरी पर्वत के समानांतर भारत-नेपाल सीमा बनाते हुए।
शारदा नाम: टनकपुर (बरमदेव मंडी) के बाद यह शारदा कहलाती है और नेपाल में प्रवेश करती है।
प्रमुख सहायक नदियाँ और संगम स्थल:
- कुठियांगटी: गुंजी के पास (यह यांगती बेसिन के लाम्पियाधुरा से निकलती है, सहायक: संगचुम्ना, थुमका)।
- पूर्वी धौलीगंगा: खेला या तवाघाट के पास (यह लिस्सर और दारमा नदियों के संगम से बनती है, सहायक: सेलायांगटी, नानदारमा)।
- गोरी गंगा: जौलजीबी में (यह जोहार क्षेत्र के मिलम हिमनद से निकलती है, लंबाई 104 किमी, सहायक: रामल गाड़/शुनकल्पा)।
- सरयू नदी: पंचेश्वर (चम्पावत) में (यह काली की सबसे बड़ी सहायक नदी है, विवरण नीचे)।
- लोहावती नदी: गढ़मुक्तेश्वर (चम्पावत) के पास।
- लधिया नदी: चूका (चम्पावत) के पास (यह राज्य की अंतिम नदी है जो काली से मिलती है, गजार नामक स्थान से निकलती है, मीठा-रीठा साहिब में राटिया नदी से संगम)। सहायक: कोइराला।
- कटिपानी गाड़: तालेश्वर में।
3.1. सरयू नदी उप-प्रवाह तंत्र
विवरण: यह काली नदी को सर्वाधिक जलराशि देने वाली और कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे पवित्र नदी है।
उद्गम: बागेश्वर में सरमूल (झुण्डी) नामक स्थान से।
लंबाई: 146 किमी।
काली में विलय: पंचेश्वर में।
अन्य नाम: सरजू, सरभू, मानस नंदनी (रामचरितमानस में)।
प्रमुख सहायक नदियाँ और संगम स्थल:
- गोमती नदी: बागेश्वर में (यह डेबरा श्रेणी के भटकोट से निकलती है, इसकी घाटी कत्यूर घाटी कहलाती है)।
- पूर्वी रामगंगा: रामेश्वर तीर्थ (पिथौरागढ़) में (यह पिथौरागढ़ के नामिक और पोंटिंग हिमनद से निकलती है, लंबाई 108 किमी, सहायक: भुजपत्री गाड़, कालापानी गाड़, बेरल गाड़)।
- पनार नदी: काकरीघाट में (सहायक: सिमगाड़, गाड़गिल गाड़)।
- खीरगंगा: कपकोट (बागेश्वर) में।
4. अन्य प्रमुख नदियाँ
4.1. पश्चिमी रामगंगा नदी
उद्गम: दूधातोली श्रेणी के पूर्वी ढाल (चमोली/पौड़ी)। स्कन्दपुराण में रथवाहिनी कहा गया है।
लंबाई: 155 किमी (राज्य में)।
प्रवाह क्षेत्र: चमोली, अल्मोड़ा, पौड़ी (कॉर्बेट नेशनल पार्क से होते हुए)।
राज्य से बाहर: कालागढ़ (पौड़ी) के पास। कन्नौज (यूपी) में गंगा से मिलती है।
सहायक नदियाँ: बिरमा, गगास (भिकियासैंण में संगम), बिनो, खोह नदी (कोटद्वार क्षेत्र से निकलकर बिजनौर में मिलती है), ढेला नदी (काशीपुर क्षेत्र से निकलकर रामगंगा में मिलती है)।
4.2. कोसी नदी
उद्गम: कौसानी के पास धारपानीधार (बागेश्वर/अल्मोड़ा)। पुराणों में कोशिकी या कोसिला नाम।
लंबाई: 168 किमी (राज्य में)।
प्रवाह क्षेत्र: अल्मोड़ा, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर।
राज्य से बाहर: सुल्तानपुर (ऊधमसिंह नगर) के पास। रामपुर (यूपी) में रामगंगा से मिलती है।
विशेषता: इसकी सोमेश्वर घाटी को कुमाऊँ का धान का कटोरा कहते हैं।
सहायक नदियाँ: सुयाल नदी (लाखु गुफा से बहती हुई चौंसिला/चोपड़ा में संगम), कालराऊ नदी, सरोद नदी, सुमालीगाड़, मिनोलगाड़, देवगाड़।
4.3. गौला नदी (गार्गी नदी)
उद्गम: नैनीताल के पहाड़पानी से।
लंबाई: 102 किमी।
राज्य से बाहर: किच्छा (ऊधमसिंह नगर) के पास। बरेली क्षेत्र में रामगंगा से मिलती है।
विशेषता: काठगोदाम, हल्द्वानी, किच्छा शहर इसके तट पर हैं।
4.4. नैनीताल क्षेत्र की अन्य नदियाँ
- दाबका नदी: गरमपानी (नैनीताल) से निकलकर बाजपुर (USN) के पास राज्य से बाहर।
- बाकरा नदी: दाबका के समानांतर, गुलरभोज (USN) में हरिपुरा जलाशय में मिलती है।
- देओहा नदी: गौला के पूर्व समानांतर, ऊधमसिंह नगर से बाहर।
- नंघौर नदी: चोरगलिया (नैनीताल) से निकलकर नानकसागर बाँध (USN) में समाहित।
- बलिया नदी: नैना झील (नैनीताल) से निकलकर गौला नदी में मिलती है।
4.5. देहरादून क्षेत्र की सोंग नदी
उद्गम: सुरकुंडा (मसूरी रेंज) से।
गंगा में विलय: रायवाला के पास।
सहायक नदियाँ: वाल्दी नदी (सहस्त्रधारा इसके तट पर), सिसवा, विद्यल्ना-रौं, रिस्पना (ऋषिपर्णा), बिन्दाल।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड का समृद्ध और विविध नदी तंत्र राज्य की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन नदियों का संरक्षण और सतत उपयोग राज्य के सतत विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जल विद्युत परियोजनाओं, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के साथ-साथ इन नदियों का धार्मिक और पर्यटन महत्व भी उल्लेखनीय है।
उत्तराखंड की नदियाँ और उनके तट पर स्थित प्रमुख स्थल
भागीरथी नदी
– लंका, गंगनानी, मनेरी, भटवाड़ी, सुखी झाला, उत्तरकाशी, हर्षिल, चिन्यालीसौड़, डुण्डा, गणेशप्रयाग (पुरानी टिहरी)
यमुना नदी
– लाखामंडल, नैनबाग, नौगाँव, डामटा, डाकपत्थर, जानकीचट्टी, हनुमानचट्टी
गंगा नदी
– हरिद्वार, ऋषिकेश, कनखल, कोडियाला, शिवपुरी, देवप्रयाग, मुनि की रेती, चीला
अलकनंदा नदी
– बद्रीनाथ, माणा, गोविन्दघाट, जोशीमठ, गोपेश्वर, श्रीनगर, पाण्डुकेश्वर, गौचर
मंदाकिनी नदी
– केदारनाथ, अगस्त्यमुनि, तिलवाड़ा, ऊखीमठ, गुप्तकाशी, रामबाड़ा, गौरीकुंड, भटवाड़ी (रुद्रप्रयाग), सीतापुर, सोनप्रयाग
पिण्डर नदी
– नंदकेसरी, खाती, थराली, सिमली, नारायणबगड़, कर्णप्रयाग
पश्चिमी धौलीगंगा
– मलारी, जेलम, तपोवन, विष्णुप्रयाग
पश्चिमी रामगंगा
– गैरसैंण, चौखुटिया, भिकियासैंण, कालागढ़
काली नदी (शारदा)
– गुंजी, जिब्ती, तवाघाट, धारचूला, टनकपुर, बनबसा, पंचेश्वर
गौरीगंगा नदी
– मरतोली, सेराघाट, बरम, मिलम, जौलजीबी
पूर्वी रामगंगा
– विस्थी, तेजम, थल, रामेश्वर
गौला नदी
– रानीबाग, हल्द्वानी, काठगोदाम, किच्छा, लालकुआँ
कोसी नदी
– कौसानी, खैरना, सोमेश्वर, बेतालघाट, रामनगर
सरयू नदी
– बैजनाथ, बागेश्वर, कपकोट, रामेश्वर, पंचेश्वर
सोलानी नदी
– रुड़की
ढेला नदी
– काशीपुर
खोह नदी
– कोटद्वार
जलंधरी नदी
– हर्षिल
जलकुर नदी
– प्रतापनगर
पनार नदी
– जैती, काकरीघाट