उत्तराखंड ने अपनी स्थापना के बाद से ही खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। राज्य की भौगोलिक परिस्थितियाँ जहाँ कुछ खेलों के लिए प्राकृतिक रूप से अनुकूल हैं, वहीं यहाँ के युवाओं में खेल के प्रति स्वाभाविक प्रतिभा और समर्पण भी देखने को मिलता है। उत्तराखंड ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई उत्कृष्ट खिलाड़ी दिए हैं।
उत्तराखंड के खेल और खिलाड़ी: एक सिंहावलोकन
- उत्तराखंड में पर्वतारोहण, एथलेटिक्स, निशानेबाजी, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, फुटबॉल और हॉकी जैसे खेल लोकप्रिय हैं।
- राज्य सरकार द्वारा नई खेल नीति (2021) लागू की गई है, जिसका उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना और खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करना है।
- अभिनव बिंद्रा, जसपाल राणा, बछेंद्री पाल, उन्मुक्त चंद, लक्ष्य सेन जैसे कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।
- राज्य में देवभूमि उत्तराखंड खेल रत्न पुरस्कार और देवभूमि उत्तराखंड द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार दिए जाते हैं।
- उत्तराखंड का राज्य खेल फुटबॉल है (घोषित 2011)।
1. प्रमुख खेल और खिलाड़ी
क. पर्वतारोहण (Mountaineering)
हिमालय की गोद में बसे होने के कारण पर्वतारोहण उत्तराखंड का एक स्वाभाविक और महत्वपूर्ण साहसिक खेल है।
- बछेंद्री पाल:
- उपलब्धि: 1984 में माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली प्रथम भारतीय महिला।
- जन्म: नाकुरी गाँव, उत्तरकाशी।
- पुरस्कार: पद्म श्री (1984), अर्जुन पुरस्कार (1986), पद्म भूषण (2019)।
- चंद्रप्रभा ऐतवाल:
- उपलब्धि: प्रसिद्ध पर्वतारोही, कई महत्वपूर्ण चोटियों का आरोहण। “माउंटेन गोट” के नाम से प्रसिद्ध।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार (1981), पद्म श्री (1990), तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार (2009)।
- हर्षमणि नौटियाल:
- उपलब्धि: प्रसिद्ध पर्वतारोही।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार।
- हुकुम सिंह रावत:
- उपलब्धि: प्रसिद्ध पर्वतारोही, अनेक सफल अभियान।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार, पद्म श्री।
- लवराज सिंह धर्मशत्तू:
- उपलब्धि: सात बार माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले प्रथम भारतीय।
- पुरस्कार: पद्म श्री (2014), तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार।
- सविता कंसवाल (मरणोपरांत):
- उपलब्धि: माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू को 16 दिनों में फतह करने वाली पहली भारतीय महिला।
- पुरस्कार: तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार (2022, मरणोपरांत)।
- अन्य प्रमुख पर्वतारोही: सुमन कुटियाल, हर्षवंती बिष्ट, डॉ. हर्षवंती बिष्ट, ताशी और नुंग्शी मलिक (जुड़वां बहनें)।
ख. निशानेबाजी (Shooting)
- अभिनव बिंद्रा:
- उपलब्धि: 2008 बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले प्रथम भारतीय व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता।
- जन्म: देहरादून (हालांकि उन्होंने पंजाब का प्रतिनिधित्व किया)।
- पुरस्कार: राजीव गांधी खेल रत्न (अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न) (2001), पद्म भूषण (2009), अर्जुन पुरस्कार (2000)।
- जसपाल राणा:
- उपलब्धि: प्रसिद्ध निशानेबाज, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में कई पदक।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार (1994), पद्म श्री।
- वर्तमान में कोच के रूप में भी सक्रिय।
ग. बैडमिंटन (Badminton)
- मधुमिता बिष्ट:
- उपलब्धि: पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन, कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार (1982), पद्म श्री (2006)।
- लक्ष्य सेन:
- उपलब्धि: युवा और प्रतिभाशाली बैडमिंटन खिलाड़ी, राष्ट्रमंडल खेल (2022) स्वर्ण पदक विजेता, थॉमस कप (2022) विजेता टीम के सदस्य।
- जन्म: अल्मोड़ा।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार (2022)।
- कुहू गर्ग:
- उपलब्धि: अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन खिलाड़ी (डबल्स)।
घ. एथलेटिक्स (Athletics)
- हरी सिंह थापा:
- खेल: मुक्केबाजी (हालांकि इन्हें एथलेटिक्स के व्यापक संदर्भ में भी याद किया जाता है)
- उपलब्धि: भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक। उत्तराखंड के प्रथम द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता।
- सुरेंद्र सिंह भंडारी:
- खेल: लंबी दूरी की दौड़।
- उपलब्धि: कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक।
- मानसी जोशी:
- खेल: पैरा-बैडमिंटन (हालांकि एथलेटिक जज्बे का प्रतीक)।
- उपलब्धि: विश्व पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।
ङ. मुक्केबाजी (Boxing)
- पदम बहादुर मल्ल:
- उपलब्धि: 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक। अर्जुन पुरस्कार पाने वाले उत्तराखंड के प्रथम खिलाड़ी।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार (1962)।
- हरी सिंह थापा:
- उपलब्धि: सीनियर राष्ट्रीय मुक्केबाजी में कई पदक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिनिधित्व।
- पुरस्कार: देवभूमि उत्तराखंड द्रोणाचार्य पुरस्कार (2013)।
च. हॉकी (Hockey)
- आर. एस. रावत:
- उपलब्धि: भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे।
- वंदना कटारिया:
- उपलब्धि: भारतीय महिला हॉकी टीम की प्रमुख खिलाड़ी, ओलंपिक में हैट्रिक लगाने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी (टोक्यो ओलंपिक 2020)।
- पुरस्कार: अर्जुन पुरस्कार (2021), पद्म श्री (2022)।
छ. फुटबॉल (Football)
- राम बहादुर क्षेत्री:
- उपलब्धि: “आयरन बॉल ऑफ इंडिया” के नाम से प्रसिद्ध।
- त्रिलोक सिंह बसेड़ा:
- उपलब्धि: अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी।
- उन्मुक्त चंद:
- उपलब्धि: 2012 में अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप विजेता भारतीय टीम के कप्तान।
ज. अन्य खेल
- भारोत्तोलन (Weightlifting): के.सी. सिंह बाबा (पूर्व सांसद एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी)।
- ताइक्वांडो: सुरेंद्र सिंह भंडारी।
- क्रिकेट: महेंद्र सिंह धोनी (मूल उत्तराखंड से), ऋषभ पंत, एकता बिष्ट, पवन नेगी, अनुज रावत, आकाश मधवाल।
- शतरंज (Chess): परिमार्जन नेगी (सबसे कम उम्र के भारतीय ग्रैंडमास्टर में से एक)।
2. उत्तराखंड राज्य स्तरीय खेल पुरस्कार
- देवभूमि उत्तराखंड खेल रत्न पुरस्कार:
- यह राज्य का सर्वोच्च खेल पुरस्कार है, जो उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है।
- प्रथम प्राप्तकर्ता (2013): जसपाल राणा (निशानेबाजी)।
- अन्य प्राप्तकर्ता: त्रिलोक सिंह बसेड़ा (फुटबॉल), पदम बहादुर मल्ल (मुक्केबाजी)।
- देवभूमि उत्तराखंड द्रोणाचार्य पुरस्कार:
- यह उत्कृष्ट प्रशिक्षकों (कोचों) को दिया जाता है।
- प्रथम प्राप्तकर्ता (2013): हरी सिंह थापा (मुक्केबाजी)।
- लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार:
- खेलों में दीर्घकालिक योगदान के लिए।
- प्रथम प्राप्तकर्ता (2013): पदम बहादुर मल्ल (मुक्केबाजी)।
- अन्य पुरस्कार: राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अन्य नकद पुरस्कार और सम्मान भी खिलाड़ियों को दिए जाते हैं। मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी उन्नयन योजना (2022) के तहत 8 से 14 वर्ष के खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति।
3. खेल अवसंरचना एवं नीतियाँ
- प्रमुख स्टेडियम:
- राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, देहरादून।
- इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल स्टेडियम, हल्द्वानी।
- पवेलियन ग्राउंड, देहरादून।
- खेल महाविद्यालय: महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून)।
- खेल अकादमी: विभिन्न खेलों के लिए अकादमियों की स्थापना पर जोर। काशीपुर में राज्य स्तरीय महिला खेल महाविद्यालय प्रस्तावित।
- उत्तराखंड खेल नीति, 2021:
- उद्देश्य: खेलों के लिए अनुकूल वातावरण बनाना, प्रतिभाओं की पहचान और विकास, खेल अवसंरचना का विकास, खिलाड़ियों को प्रोत्साहन और रोजगार के अवसर।
- प्रमुख प्रावधान: खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता, छात्रवृत्ति, नौकरियों में आरक्षण, प्रशिक्षकों का उन्नयन, खेल विज्ञान केंद्र की स्थापना।
- राष्ट्रीय खेल दिवस (29 अगस्त) के अवसर पर राज्य में खेल प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाता है।
- 2001 में राज्य की प्रथम खेल नीति घोषित की गई थी।
- 2014 में उत्तराखंड खेल प्राधिकरण का गठन।
4. राष्ट्रीय खेल और उत्तराखंड
उत्तराखंड राज्य राष्ट्रीय खेलों में नियमित रूप से भाग लेता रहा है और इसके खिलाड़ियों ने विभिन्न स्पर्धाओं में पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया है।
38वें राष्ट्रीय खेल (उत्तराखंड, 2025)
उत्तराखंड ने 2025 में 38वें राष्ट्रीय खेलों की सफलतापूर्वक मेजबानी की। यह राज्य के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिससे राज्य में खेल संस्कृति और अवसंरचना को अत्यधिक बढ़ावा मिला।
- आयोजन तिथि: 28 जनवरी 2025 से 14 फरवरी 2025।
- उद्घाटन: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा।
- समापन समारोह: हल्द्वानी में, केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा।
- आयोजन स्थल: खेल विभिन्न शहरों में आयोजित किए गए, जिनमें देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर, टिहरी, अल्मोड़ा, चम्पावत और पिथौरागढ़ शामिल थे।
- शुभंकर (Mascot): “मौलि” (राज्य पक्षी मोनाल)।
- थीम (Theme): “ग्रीन गेम्स” (पर्यावरण संरक्षण पर जोर)।
- मशाल (Torch): “तेजस्विनी”।
- ध्येय वाक्य (Motto): “संकल्प से शिखर तक”।
- नए पारंपरिक खेल शामिल: इन खेलों में पहली बार योगासन और मलखंब को शामिल किया गया।
- पदक तालिका में शीर्ष 3 राज्य:
- सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड (SSCB): कुल 121 पदक (68 स्वर्ण, 26 रजत, 27 कांस्य)।
- महाराष्ट्र: कुल 201 पदक (54 स्वर्ण, 71 रजत, 76 कांस्य)।
- (तीसरे स्थान के लिए कृपया आधिकारिक परिणाम देखें, क्योंकि प्रदान की गई जानकारी में यह शामिल नहीं है।)
- उत्तराखंड का प्रदर्शन:
- उत्तराखंड ने कुल 103 पदक जीते, जिनमें 24 स्वर्ण, 35 रजत, और 44 कांस्य पदक शामिल थे।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। उचित प्रशिक्षण, बेहतर अवसंरचना और सरकारी प्रोत्साहन के माध्यम से राज्य के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर और भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। नई खेल नीति और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं, जो भविष्य में उत्तराखंड को एक प्रमुख खेल शक्ति के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगे। 38वें राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।