उत्तराखंड में तकनीकी शिक्षा राज्य के औद्योगिक विकास, आर्थिक प्रगति और युवाओं को रोजगारपरक कौशल प्रदान करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य गठन के बाद से ही तकनीकी शिक्षा के विस्तार और गुणवत्ता में सुधार के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं।
उत्तराखंड में तकनीकी शिक्षा: एक सिंहावलोकन
- उत्तराखंड में तकनीकी शिक्षा का इतिहास आईआईटी रुड़की (पूर्व में थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, 1847) की स्थापना के साथ प्रारंभ होता है, जो देश का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज था।
- राज्य में इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक, फार्मेसी, प्रबंधन, होटल मैनेजमेंट और आईटीआई स्तर के तकनीकी संस्थान कार्यरत हैं।
- उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU), देहरादून राज्य में तकनीकी शिक्षा का प्रमुख संबद्धता एवं नियामक निकाय है।
- उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद् (UBTER), रुड़की डिप्लोमा स्तरीय तकनीकी शिक्षा का संचालन करता है।
- सरकार द्वारा कौशल विकास मिशन और नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में तकनीकी शिक्षा को उद्योग की मांगों के अनुरूप बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
1. ऐतिहासिक विकास (Historical Development)
- 1847: रुड़की में थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग की स्थापना, जो एशिया का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज था। 1949 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और 21 सितंबर 2001 को इसे देश के 7वें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के रूप में परिवर्तित किया गया।
- ब्रिटिश काल में कुछ अन्य तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित हुए, लेकिन व्यापक विकास स्वतंत्रता के बाद हुआ।
- उत्तर प्रदेश के हिस्से के रूप में, राज्य में पॉलिटेक्निक और आईटीआई संस्थानों का नेटवर्क विकसित हुआ।
- राज्य गठन (2000) के बाद तकनीकी शिक्षा के विस्तार को नई गति मिली।
2. तकनीकी शिक्षा की वर्तमान संरचना एवं प्रमुख संस्थान
क. विश्वविद्यालय स्तरीय तकनीकी शिक्षा
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), रुड़की: राष्ट्रीय महत्व का संस्थान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, वास्तुकला, प्रबंधन और विज्ञान में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रम।
- उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU), देहरादून:
- स्थापना: 2005 (उत्तरांचल तकनीकी विश्वविद्यालय के रूप में, बाद में नाम परिवर्तित)।
- यह राज्य के अधिकांश इंजीनियरिंग, फार्मेसी, प्रबंधन और होटल मैनेजमेंट कॉलेजों को संबद्धता प्रदान करता है।
- इसका उद्देश्य तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, अनुसंधान को बढ़ावा देना और उद्योग के साथ समन्वय स्थापित करना है।
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), उत्तराखंड:
- स्थापना: 2009।
- स्थान: श्रीनगर (गढ़वाल), अस्थायी परिसर सुमाड़ी में।
- यह भी राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है और विभिन्न इंजीनियरिंग शाखाओं में बी.टेक. कार्यक्रम संचालित करता है।
- जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर: कृषि इंजीनियरिंग और खाद्य प्रौद्योगिकी जैसे तकनीकी पाठ्यक्रम भी संचालित करता है।
- राज्य में कई निजी विश्वविद्यालय भी इंजीनियरिंग और प्रबंधन में तकनीकी पाठ्यक्रम प्रदान कर रहे हैं।
- प्रमुख राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज:
- गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय (GBPEC), घुड़दौड़ी, पौड़ी (स्थापित 1989)।
- कुमाऊँ अभियांत्रिकी महाविद्यालय (KEC), द्वाराहाट, अल्मोड़ा (स्थापित 1991)।
- महिला प्रौद्योगिकी संस्थान (WIT), देहरादून (राज्य का पहला महिला इंजीनियरिंग कॉलेज)।
- सीमांत प्रौद्योगिकी संस्थान (SIT), पिथौरागढ़।
- टीएचडीसी जल विद्युत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, टिहरी।
ख. डिप्लोमा स्तरीय तकनीकी शिक्षा (Polytechnic Education)
- संचालन एवं नियामक: उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद् (UBTER), रुड़की द्वारा डिप्लोमा स्तरीय पाठ्यक्रमों का संचालन, परीक्षा और प्रमाणन किया जाता है।
- राज्य में विभिन्न जिलों में राजकीय पॉलिटेक्निक, महिला पॉलिटेक्निक और निजी पॉलिटेक्निक संस्थान कार्यरत हैं।
- ये संस्थान सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस, फार्मेसी आदि विभिन्न डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
- राज्य का पहला राजकीय पॉलिटेक्निक श्रीनगर (गढ़वाल) में स्थापित हुआ था।
ग. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI – Industrial Training Institutes)
- ये संस्थान विभिन्न तकनीकी और गैर-तकनीकी ट्रेडों (जैसे फिटर, इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर, कंप्यूटर ऑपरेटर) में व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
- इसका उद्देश्य युवाओं को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप कुशल बनाना और स्वरोजगार के लिए तैयार करना है।
- राज्य के लगभग सभी जिलों में राजकीय और निजी आईटीआई कार्यरत हैं।
घ. फार्मेसी शिक्षा (Pharmacy Education)
- राज्य में फार्मेसी में डिप्लोमा (D.Pharm), स्नातक (B.Pharm) और स्नातकोत्तर (M.Pharm) पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कई सरकारी और निजी संस्थान हैं।
- ये संस्थान उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय या अन्य संबंधित विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं।
ङ. प्रबंधन एवं होटल मैनेजमेंट शिक्षा
- MBA, BBA, होटल मैनेजमेंट में डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले कई संस्थान राज्य में हैं।
- राज्य होटल प्रबंधन संस्थान (State Institute of Hotel Management – SIHM), देहरादून एक प्रमुख संस्थान है।
3. तकनीकी शिक्षा के विकास हेतु सरकारी पहल एवं योजनाएँ
- उत्तराखंड कौशल विकास मिशन (UKSDM): युवाओं को उद्योग-उन्मुख कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने और रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए 2013 में स्थापित।
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के साथ समन्वय: विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों का संचालन।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) का क्रियान्वयन।
- तकनीकी संस्थानों में बुनियादी ढांचे का उन्नयन और आधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना।
- उद्योग-संस्थान इंटरफेस को मजबूत करने पर जोर ताकि पाठ्यक्रम उद्योग की मांगों के अनुरूप हों।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण और क्षमता विकास के लिए कार्यक्रम।
- “उत्तराखंड स्टार्ट-अप नीति” के माध्यम से तकनीकी स्नातकों को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहन।
- ई-लर्निंग और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को तकनीकी शिक्षा में लागू करने की दिशा में प्रयास।
4. तकनीकी शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियाँ
- गुणवत्ता का मुद्दा: कई निजी संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे का अभाव।
- रोजगारपरकता (Employability): तकनीकी स्नातकों में उद्योग की आवश्यकता के अनुरूप कौशल की कमी, जिससे बेरोजगारी की समस्या।
- शिक्षकों की कमी और गुणवत्ता: योग्य और अनुभवी शिक्षकों की कमी, विशेषकर दूरस्थ संस्थानों में।
- उद्योग-संस्थान संपर्क का अभाव: पाठ्यक्रम का उद्योग की वर्तमान मांगों से मेल न खाना।
- अनुसंधान और नवाचार की कमी: अधिकांश संस्थान केवल शिक्षण पर केंद्रित हैं, अनुसंधान और विकास पर कम ध्यान।
- पलायन: बेहतर अवसरों की तलाश में योग्य तकनीकी स्नातक राज्य से बाहर चले जाते हैं।
- पर्वतीय क्षेत्रों में तकनीकी संस्थानों की सीमित पहुँच और उनमें सुविधाओं का अभाव।
- पुराने पाठ्यक्रम और अप्रचलित प्रौद्योगिकियाँ।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएँ हैं। आईआईटी रुड़की जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार को तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता, रोजगारपरकता और पहुँच में सुधार पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है। उद्योग जगत के साथ सक्रिय सहयोग, पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण, अनुसंधान को बढ़ावा और शिक्षकों का क्षमता विकास इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। एक कुशल और तकनीकी रूप से दक्ष मानव संसाधन ही उत्तराखंड को विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर कर सकता है।