उत्तराखंड में बढ़ते नगरीकरण के साथ शहरी क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास और नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने की आवश्यकता बढ़ी है। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा इस दिशा में विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि शहरों को रहने योग्य, टिकाऊ और आर्थिक रूप से जीवंत बनाया जा सके।
उत्तराखंड में शहरी विकास और बुनियादी ढाँचा योजनाएँ
- राज्य में शहरी विकास निदेशालय और आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण (UHUDA) शहरी विकास से संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए प्रमुख एजेंसियां हैं।
- स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत योजना, और प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाएँ राज्य के शहरी परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शहरी परिवहन, और पार्कों तथा हरित क्षेत्रों का विकास प्रमुख फोकस क्षेत्र हैं।
- उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास अधिनियम शहरी नियोजन को दिशा प्रदान करता है।
केंद्र सरकार की प्रमुख शहरी विकास योजनाएँ (उत्तराखंड में क्रियान्वित)
1. स्मार्ट सिटी मिशन (Smart City Mission)
- प्रारंभ: 2015 (केंद्र सरकार द्वारा)।
- उत्तराखंड में चयनित शहर: देहरादून।
- उद्देश्य: शहरों को स्मार्ट बनाना, जिसमें नागरिकों के लिए बेहतर जीवन स्तर, टिकाऊ पर्यावरण और स्मार्ट समाधान (जैसे स्मार्ट यातायात प्रबंधन, स्मार्ट जल आपूर्ति, ई-गवर्नेंस) शामिल हैं।
- प्रमुख घटक: क्षेत्र आधारित विकास (Area Based Development) और पैन-सिटी समाधान (Pan-City Solutions)।
2. अमृत (AMRUT – Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation) योजना
- प्रारंभ: 2015 (केंद्र सरकार द्वारा)।
- उद्देश्य: शहरी क्षेत्रों में बुनियादी नागरिक सुविधाओं (जैसे जल आपूर्ति, सीवरेज, शहरी परिवहन, पार्क) का विकास और उन्नयन करना।
- उत्तराखंड में चयनित शहर: देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, हल्द्वानी, रुद्रपुर, काशीपुर, नैनीताल।
3. प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (PMAY-U)
- प्रारंभ: 2015 (केंद्र सरकार द्वारा)।
- उद्देश्य: 2022 तक सभी के लिए आवास सुनिश्चित करना (अब विस्तारित)। शहरी गरीबों और निम्न आय वर्ग के लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराना।
- प्रमुख घटक: लाभार्थी आधारित निर्माण (BLC), क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS), अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप (AHP), इन-सीटू स्लम पुनर्विकास (ISSR)।
4. स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (SBM-U)
- प्रारंभ: 2 अक्टूबर 2014 (केंद्र सरकार द्वारा)।
- उद्देश्य: शहरी क्षेत्रों को खुले में शौच से मुक्त (ODF) बनाना, ठोस अपशिष्ट का वैज्ञानिक प्रबंधन करना, और नागरिकों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाना।
- प्रमुख घटक: व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण, सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाएँ।
5. हृदय (HRIDAY – National Heritage City Development and Augmentation Yojana) योजना
- विवरण: यह केंद्र सरकार की योजना थी (अब समाप्त)।
- उद्देश्य: विरासत शहरों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित और पुनर्जीवित करना तथा बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
- उत्तराखंड में चयनित शहर: द्वाराहाट (अल्मोड़ा) को शामिल करने का प्रस्ताव था, हालांकि यह योजना मुख्य रूप से बड़े ऐतिहासिक शहरों पर केंद्रित थी।
राज्य सरकार की प्रमुख शहरी विकास और बुनियादी ढाँचा पहलें
1. उत्तराखंड शहरी अवस्थापना विकास परियोजना (Uttarakhand Urban Sector Development Program – UUSDP)
- उद्देश्य: राज्य के प्रमुख शहरों में पेयजल आपूर्ति, सीवरेज, जल निकासी और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना।
- वित्तपोषण: एशियाई विकास बैंक (ADB) और अन्य वित्तीय संस्थानों की सहायता से।
2. मुख्यमंत्री शहरी अवस्थापना एवं विकास योजना
- उद्देश्य: छोटे और मध्यम कस्बों में बुनियादी नागरिक सुविधाओं का विकास करना।
3. शहरी परिवहन में सुधार
- प्रमुख शहरों में सिटी बस सेवाओं का विस्तार और आधुनिकीकरण।
- स्मार्ट यातायात प्रबंधन प्रणाली लागू करने का प्रयास।
- देहरादून और हरिद्वार जैसे शहरों में मेट्रो रेल या अन्य तीव्र परिवहन प्रणालियों की संभावना तलाशी जा रही है।
4. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
- वैज्ञानिक तरीके से लैंडफिल साइटों का विकास और अपशिष्ट से ऊर्जा (Waste-to-Energy) संयंत्रों की स्थापना पर जोर।
- डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और स्रोत पर पृथक्करण को बढ़ावा देना।
5. जल आपूर्ति और सीवरेज
- सभी शहरी परिवारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना।
- सीवरेज नेटवर्क का विस्तार और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की क्षमता बढ़ाना।
- नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित शहरों में प्रदूषण नियंत्रण।
6. पार्कों और हरित क्षेत्रों का विकास
- शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और नागरिकों के मनोरंजन के लिए पार्कों, उद्यानों और अन्य हरित क्षेत्रों का विकास और सौंदर्यीकरण।
शहरी विकास की चुनौतियाँ
- अनियोजित शहरीकरण: कई शहरों का विकास बिना उचित योजना के हुआ है, जिससे बुनियादी सुविधाओं पर दबाव बढ़ा है।
- भूमि की उपलब्धता: विशेषकर पर्वतीय शहरों में विस्तार के लिए भूमि की कमी।
- वित्तीय संसाधनों का अभाव: शहरी बुनियादी ढाँचे के विकास और रखरखाव के लिए पर्याप्त धन की कमी।
- पर्यावरणीय मुद्दे: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, प्रदूषण और जल स्रोतों का संरक्षण प्रमुख चिंताएँ हैं।
- पर्वतीय शहरों की संवेदनशीलता: भूस्खलन और भूकंप जैसी आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता।
- संस्थागत क्षमता की कमी: शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) की तकनीकी और वित्तीय क्षमता को मजबूत करने की आवश्यकता।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड में तीव्र नगरीकरण के दौर में शहरी विकास और बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शहरों को अधिक रहने योग्य, टिकाऊ और आर्थिक रूप से गतिशील बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इन प्रयासों की सफलता के लिए प्रभावी योजना, समय पर कार्यान्वयन, वित्तीय स्थिरता और नागरिक भागीदारी आवश्यक है।