परिचय: ठोसों का बैंड सिद्धांत
ठोसों का बैंड सिद्धांत (Band Theory of Solids) क्वांटम यांत्रिकी पर आधारित एक मॉडल है जो ठोस पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तरों का वर्णन करता है। यह सिद्धांत बताता है कि ठोसों को उनकी विद्युत चालकता के आधार पर चालक (conductors), अचालक (insulators), और अर्धचालक (semiconductors) में क्यों वर्गीकृत किया जाता है।
एकल परमाणु में, इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तर असतत (discrete) होते हैं। लेकिन जब बड़ी संख्या में परमाणु मिलकर एक ठोस क्रिस्टल बनाते हैं, तो उनके बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनों के ऊर्जा स्तर एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। पाउली के अपवर्जन सिद्धांत के अनुसार, ये असतत ऊर्जा स्तर थोड़ा भिन्न ऊर्जाओं वाले स्तरों के एक समूह में विभाजित हो जाते हैं, जिन्हें ऊर्जा बैंड (Energy Bands) कहते हैं।
ऊर्जा बैंड के प्रकार
संयोजकता बैंड (Valence Band)
यह ऊर्जा स्तरों का वह बैंड है जो संयोजी इलेक्ट्रॉनों (valence electrons) द्वारा भरा होता है। सामान्य तापमान पर, यह या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से भरा होता है, लेकिन कभी भी खाली नहीं होता। इस बैंड के इलेक्ट्रॉन विद्युत चालन में योगदान नहीं करते हैं।
चालन बैंड (Conduction Band)
संयोजकता बैंड के ठीक ऊपर स्थित ऊर्जा बैंड को चालन बैंड कहते हैं। यह या तो खाली होता है या आंशिक रूप से भरा होता है। इस बैंड में मौजूद इलेक्ट्रॉन पूरे क्रिस्टल में घूमने के लिए स्वतंत्र होते हैं और विद्युत चालन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
वर्जित ऊर्जा अंतराल (Forbidden Energy Gap, E₉)
संयोजकता बैंड के शीर्ष और चालन बैंड के तल के बीच के ऊर्जा अंतर को वर्जित ऊर्जा अंतराल कहते हैं। इस क्षेत्र में कोई भी इलेक्ट्रॉन मौजूद नहीं हो सकता। इस ऊर्जा अंतराल का मान ही यह निर्धारित करता है कि कोई ठोस चालक, अचालक या अर्धचालक होगा।
बैंड सिद्धांत के आधार पर ठोसों का वर्गीकरण
1. चालक (Conductors)
चालकों में, संयोजकता बैंड और चालन बैंड एक-दूसरे पर अतिव्यापित (overlapped) होते हैं, या चालन बैंड आंशिक रूप से भरा होता है। कोई वर्जित ऊर्जा अंतराल नहीं होता (E₉ ≈ 0)। इस कारण, इलेक्ट्रॉन बहुत कम ऊर्जा लेकर भी आसानी से चालन बैंड में जा सकते हैं और विद्युत धारा का प्रवाह कर सकते हैं।
2. अचालक (Insulators)
अचालकों में, संयोजकता बैंड पूरी तरह से भरा होता है और चालन बैंड पूरी तरह से खाली होता है। इन दोनों बैंडों के बीच एक बहुत बड़ा वर्जित ऊर्जा अंतराल (E₉ > 3 eV) होता है। सामान्य तापमान पर इलेक्ट्रॉन इस अंतराल को पार करके चालन बैंड में नहीं जा पाते, इसलिए ये विद्युत का चालन नहीं करते।
3. अर्धचालक (Semiconductors)
अर्धचालकों में, संयोजकता बैंड भरा होता है और चालन बैंड खाली होता है, लेकिन उनके बीच का वर्जित ऊर्जा अंतराल बहुत छोटा (E₉ < 3 eV) होता है। परम शून्य ताप पर ये अचालक की तरह व्यवहार करते हैं, लेकिन कमरे के तापमान पर, कुछ इलेक्ट्रॉन तापीय ऊर्जा प्राप्त करके इस अंतराल को पार कर चालन बैंड में चले जाते हैं, जिससे वे थोड़ी मात्रा में विद्युत का चालन कर सकते हैं।
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण 1
प्रश्न: एक अर्धचालक का ऊर्जा अंतराल 1.1 eV है। उस विद्युत चुम्बकीय विकिरण की अधिकतम तरंगदैर्ध्य की गणना करें जो इस अर्धचालक में एक इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पन्न कर सकता है।
हल:
इलेक्ट्रॉन-होल युग्म बनाने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा, ऊर्जा अंतराल के बराबर होनी चाहिए।
E₉ = 1.1 eV = 1.1 × 1.6 × 10⁻¹⁹ J = 1.76 × 10⁻¹⁹ J
फोटॉन की ऊर्जा का सूत्र: E = hc/λ
λ = hc / E
λ = (6.63 × 10⁻³⁴ J·s × 3 × 10⁸ m/s) / (1.76 × 10⁻¹⁹ J)
λ = (19.89 × 10⁻²⁶) / (1.76 × 10⁻¹⁹)
λ ≈ 11.3 × 10⁻⁷ m = 1130 × 10⁻⁹ m
λ ≈ 1130 nm
उदाहरण 2
प्रश्न: सिलिकॉन (Si) के लिए ऊर्जा अंतराल 1.12 eV है और जर्मेनियम (Ge) के लिए 0.67 eV है। बताएं कि कमरे के तापमान पर कौन अधिक विद्युत चालकता प्रदर्शित करेगा और क्यों?
हल:
विद्युत चालकता उन इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है जो संयोजकता बैंड से चालन बैंड में जा सकते हैं।
जर्मेनियम का ऊर्जा अंतराल (0.67 eV) सिलिकॉन के ऊर्जा अंतराल (1.12 eV) से कम है।
कम ऊर्जा अंतराल का अर्थ है कि इलेक्ट्रॉनों को चालन बैंड में जाने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
इसलिए, कमरे के तापमान पर, जर्मेनियम में सिलिकॉन की तुलना में अधिक इलेक्ट्रॉन चालन बैंड में होंगे।
अतः, जर्मेनियम (Ge) अधिक विद्युत चालकता प्रदर्शित करेगा।