अयस्कों का सांद्रण: एक परिचय
खानों से निकाले गए अयस्कों में धातु के यौगिक के साथ-साथ कई अवांछित अशुद्धियाँ जैसे मिट्टी, रेत, पत्थर आदि होती हैं। इन अशुद्धियों को गैंग (Gangue) या आधात्री (Matrix) कहा जाता है। धातु निष्कर्षण के अगले चरणों से पहले इन अशुद्धियों को हटाना आवश्यक होता है।
अयस्क का सांद्रण (Concentration of Ore) वह प्रक्रिया है जिसमें अयस्क से गैंग को हटाकर उसमें धातु की मात्रा (सांद्रता) को बढ़ाया जाता है। इसे अयस्क प्रसाधन (Ore Dressing) या सज्जीकरण (Benefaction) भी कहते हैं।
सांद्रण की प्रमुख विधियाँ
सांद्रण की विधि का चुनाव अयस्क और गैंग के भौतिक या रासायनिक गुणों में अंतर पर निर्भर करता है।
1. गुरुत्वीय पृथक्करण (Hydraulic Washing / Gravity Separation)
- सिद्धांत: यह विधि अयस्क और गैंग के कणों के घनत्व (density) में अंतर पर आधारित है।
- प्रक्रिया: इसमें बारीक पिसे हुए अयस्क को पानी की तेज धारा में धोया जाता है। भारी अयस्क के कण नीचे बैठ जाते हैं, जबकि हल्के गैंग के कण पानी के साथ बह जाते हैं।
- उपयोग: यह विधि आमतौर पर भारी ऑक्साइड अयस्कों जैसे हेमेटाइट (लोहा) और टिनस्टोन (टिन) के सांद्रण के लिए उपयोग की जाती है।
2. चुंबकीय पृथक्करण (Magnetic Separation)
- सिद्धांत: यह विधि तब उपयोग की जाती है जब अयस्क या गैंग में से कोई एक चुंबकीय (magnetic) प्रकृति का हो।
- प्रक्रिया: पिसे हुए अयस्क को एक चुंबकीय रोलर पर चलने वाले कन्वेयर बेल्ट पर डाला जाता है। चुंबकीय पदार्थ रोलर से चिपक कर उसके पास गिरता है, जबकि अचुंबकीय पदार्थ दूर जाकर गिरता है।
- उपयोग: टिन के अयस्क कैसिटराइट (SnO2) से चुंबकीय अशुद्धि वोल्फ्रेमाइट (FeWO4) को अलग करने के लिए।
3. झाग प्लवन विधि (Froth Flotation Process)
- सिद्धांत: यह विधि अयस्क और गैंग के कणों की पानी और तेल से भीगने की प्रवृत्ति में अंतर पर आधारित है। अयस्क के कण मुख्य रूप से तेल से भीगते हैं, जबकि गैंग के कण पानी से भीगते हैं।
- प्रक्रिया: पिसे हुए अयस्क को पानी और चीड़ के तेल (Pine Oil) जैसे संग्राहक (collector) के साथ एक टैंक में मिलाया जाता है। फिर इसमें तेजी से हवा प्रवाहित की जाती है, जिससे तेल का झाग बनता है। अयस्क के कण झाग के साथ ऊपर आ जाते हैं और गैंग नीचे बैठ जाता है।
- उपयोग: यह विधि विशेष रूप से सल्फाइड अयस्कों जैसे कॉपर पाइराइट (CuFeS2), गैलेना (PbS) और जिंक ब्लेंड (ZnS) के सांद्रण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
4. निक्षालन (Leaching)
- सिद्धांत: यह एक रासायनिक विधि है। इसमें अयस्क एक ऐसे उपयुक्त विलायक में घुलनशील होता है जिसमें गैंग अघुलनशील होता है।
- प्रक्रिया: पिसे हुए अयस्क को विलायक के साथ अभिक्रिया कराई जाती है। अयस्क घुलकर विलयन बना लेता है, जबकि गैंग ठोस के रूप में अलग हो जाता है। बाद में विलयन से धातु को पुनः प्राप्त कर लिया जाता है।
- उपयोग: बॉक्साइट अयस्क से एल्युमिना (Al2O3) का सांद्रण (बेयर की प्रक्रिया) और सोना तथा चांदी का निष्कर्षण साइनाइड प्रक्रिया द्वारा।
अभ्यास प्रश्न (MCQs)
1. झाग प्लवन विधि किस सिद्धांत पर आधारित है?
2. कैसिटराइट अयस्क से वोल्फ्रेमाइट की अशुद्धि को अलग करने के लिए कौन सी विधि सबसे उपयुक्त है?
3. झाग प्लवन विधि में चीड़ के तेल (Pine Oil) का क्या कार्य है?
4. बेयर की प्रक्रिया (Baeyer’s Process) का उपयोग किस अयस्क के सांद्रण के लिए किया जाता है?
5. गुरुत्वीय पृथक्करण विधि उन अयस्कों के लिए सबसे प्रभावी है जिनमें:
6. निम्नलिखित में से कौन सी एक रासायनिक सांद्रण विधि है?
7. कॉपर पाइराइट (CuFeS2) के सांद्रण के लिए सबसे उपयुक्त विधि कौन सी है?
8. साइनाइड प्रक्रिया का उपयोग किन धातुओं के निष्कर्षण में किया जाता है?