प्रगलन (Smelting) क्या है?
प्रगलन (Smelting) एक ऊष्मा-रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें धातु ऑक्साइड को उसके गलनांक से अधिक तापमान पर गर्म करके धातु में अपचयित (reduced) किया जाता है। यह धातुकर्म में धातु निष्कर्षण का एक महत्वपूर्ण चरण है, जो आमतौर पर भर्जन (roasting) या निस्तापन (calcination) के बाद किया जाता है। इस प्रक्रिया में, अयस्क को एक अपचायक (reducing agent) और एक गालक (flux) के साथ मिलाकर एक विशेष भट्टी, जैसे वात्या भट्टी (Blast Furnace), में गर्म किया जाता है।
प्रगलन के प्रमुख घटक
1. अपचायक (Reducing Agent)
अपचायक वह पदार्थ है जो धातु ऑक्साइड से ऑक्सीजन को हटाकर उसे धातु में बदल देता है। सबसे आम अपचायक कार्बन (कोक के रूप में) है।
- अभिक्रिया: धातु ऑक्साइड + कार्बन (कोक) → धातु + कार्बन मोनोऑक्साइड
- उदाहरण: ZnO + C → Zn + CO
2. गालक (Flux)
गालक वह पदार्थ है जो अयस्क में मौजूद अगलनीय अशुद्धियों (गैंग) के साथ मिलकर एक गलनीय पदार्थ बनाता है। यह अशुद्धियों को हटाने में मदद करता है।
- अम्लीय गालक (Acidic Flux): जैसे सिलिका (SiO2), का उपयोग क्षारीय अशुद्धियों (जैसे चूना पत्थर) को हटाने के लिए किया जाता है।
- क्षारीय गालक (Basic Flux): जैसे चूना पत्थर (CaCO3), का उपयोग अम्लीय अशुद्धियों (जैसे सिलिका) को हटाने के लिए किया जाता है।
3. धातुमल (Slag)
जब गालक और गैंग आपस में अभिक्रिया करते हैं, तो वे एक हल्का, गलनीय पदार्थ बनाते हैं जिसे धातुमल (Slag) कहते हैं।
- अभिक्रिया: गैंग + गालक → धातुमल
- उदाहरण (लोहे के निष्कर्षण में): CaO (क्षारीय गालक) + SiO2 (अम्लीय गैंग) → CaSiO3 (कैल्शियम सिलिकेट – धातुमल)
- धातुमल पिघली हुई धातु से हल्का होने के कारण उसके ऊपर तैरता है और इसे आसानी से अलग किया जा सकता है। यह पिघली हुई धातु को पुनः ऑक्सीकृत होने से भी बचाता है।
वात्या भट्टी में लोहे का प्रगलन
लोहे का निष्कर्षण उसके अयस्क (हेमेटाइट, Fe2O3) से वात्या भट्टी में किया जाता है। इसमें, अयस्क, कोक (अपचायक), और चूना पत्थर (गालक) का मिश्रण ऊपर से डाला जाता है और नीचे से गर्म हवा प्रवाहित की जाती है। कोक जलकर कार्बन मोनोऑक्साइड बनाता है, जो आयरन ऑक्साइड को पिघले हुए लोहे में अपचयित कर देता है। चूना पत्थर गैंग के साथ मिलकर धातुमल बनाता है।