Gyan Pragya
No Result
View All Result
  • Current Affairs
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Hindi
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

प्रारंभिक और उत्तर वैदिक काल (Early and Later Vedic Period)

प्रारंभिक और उत्तर वैदिक काल (Early and Later Vedic Period) – समग्र नोट्स

प्रारंभिक और उत्तर वैदिक काल (Early and Later Vedic Period) – समग्र नोट्स

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद, भारतीय उपमहाद्वीप में एक नए युग की शुरुआत हुई जिसे वैदिक काल के नाम से जाना जाता है। यह वह काल है जब आर्यों का आगमन हुआ और उन्होंने अपनी संस्कृति और परंपराओं को स्थापित किया। वैदिक काल को मुख्य रूप से दो चरणों में विभाजित किया गया है: प्रारंभिक वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल।

1. परिचय (Introduction)

वैदिक काल भारतीय इतिहास का वह महत्वपूर्ण चरण है जब वेदों की रचना हुई। यह काल लगभग 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक फैला हुआ है। इसे दो मुख्य भागों में बांटा गया है:

  • प्रारंभिक वैदिक काल (Early Vedic Period / Rig Vedic Period): लगभग 1500 ईसा पूर्व – 1000 ईसा पूर्व। इसका मुख्य स्रोत ऋग्वेद है।
  • उत्तर वैदिक काल (Later Vedic Period): लगभग 1000 ईसा पूर्व – 600 ईसा पूर्व। इसके मुख्य स्रोत सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक और उपनिषद हैं।

2. प्रारंभिक वैदिक काल (Early Vedic Period / Rig Vedic Period)

यह काल मुख्य रूप से ऋग्वेद पर आधारित है, जो आर्यों के प्रारंभिक जीवन की जानकारी देता है।

2.1. भौगोलिक विस्तार (Geographical Extent)

  • प्रारंभिक आर्य मुख्य रूप से सप्त-सिंधु क्षेत्र में रहते थे, जिसमें सिंधु नदी और उसकी पाँच सहायक नदियाँ (झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) तथा सरस्वती नदी शामिल थी।
  • यह क्षेत्र वर्तमान पंजाब (भारत और पाकिस्तान) और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ था।

2.2. राजनीतिक जीवन (Political Life)

  • शासन प्रणाली: आर्यों का राजनीतिक संगठन कबीलाई (Tribal) था। सबसे छोटी इकाई ‘कुल’ (परिवार) थी, जिसके मुखिया ‘कुलप’ होते थे। कई कुल मिलकर ‘ग्राम’ बनाते थे, जिसका मुखिया ‘ग्रामणी’ होता था। कई ग्राम मिलकर ‘विश’ बनाते थे, जिसका मुखिया ‘विशपति’ होता था। कई विश मिलकर ‘जन’ बनाते थे, जिसका मुखिया ‘राजन’ (राजा) होता था।
  • राजा (Rajan): राजा मुख्यतः एक जन का नेता होता था, न कि किसी क्षेत्र का शासक। उसका मुख्य कार्य अपने कबीले की रक्षा करना था। उसकी शक्ति सीमित थी और उसे सभा, समिति, विदथ और गण जैसी कबीलाई सभाओं से सलाह लेनी पड़ती थी।
  • सभा और समिति:
    • सभा: वृद्ध और अनुभवी व्यक्तियों की सभा थी।
    • समिति: आम लोगों की सभा थी, जो राजा का चुनाव करती थी और उस पर नियंत्रण रखती थी।
  • सेना: कोई स्थायी सेना नहीं थी। युद्ध के समय कबीले के सभी पुरुष सैनिक के रूप में कार्य करते थे।

2.3. सामाजिक जीवन (Social Life)

  • वर्ण व्यवस्था: समाज में वर्ण व्यवस्था का प्रारंभिक रूप मौजूद था, जो कर्म पर आधारित थी, न कि जन्म पर। ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) का उल्लेख मिलता है, लेकिन यह लचीली थी।
  • परिवार: परिवार पितृसत्तात्मक था, लेकिन महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक थी।
  • महिलाओं की स्थिति:
    • महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था। अपाला, घोषा, लोपामुद्रा जैसी विदुषी महिलाएँ थीं।
    • वे सभा और विदथ में भाग ले सकती थीं।
    • बाल विवाह और सती प्रथा का प्रचलन नहीं था। विधवा विवाह और नियोग (विधवा का देवर से विवाह) प्रचलित थे।
  • खान-पान और वस्त्र: गेहूँ, जौ, दूध, दही, घी, फल और सब्जियाँ आहार का हिस्सा थीं। सूती और ऊनी वस्त्र पहनते थे।

2.4. आर्थिक जीवन (Economic Life)

  • पशुपालन: अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पशुपालन था, विशेषकर गाय। गाय को ‘अघन्या’ (न मारे जाने योग्य) कहा जाता था। संपत्ति का मुख्य माप गायों की संख्या थी।
  • कृषि: कृषि द्वितीयक व्यवसाय था। जौ मुख्य फसल थी।
  • व्यापार: आंतरिक व्यापार सीमित था। वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलित थी। ‘निष्क’ (सोने का एक टुकड़ा) का उल्लेख मिलता है, जो शायद विनिमय का एक माध्यम था।
  • शिल्प: बढ़ई, रथकार, कुम्हार, बुनकर, चर्मकार जैसे शिल्पकार थे। धातु कर्म (तांबा/कांसा) भी ज्ञात था।

2.5. धार्मिक जीवन (Religious Life)

  • देवताओं की पूजा: आर्य बहुदेववादी थे और प्रकृति की शक्तियों की पूजा करते थे, जिन्हें मानवीकृत किया गया था।
  • प्रमुख देवता:
    • इंद्र (पुरंदर): युद्ध का देवता, वर्षा का देवता। ऋग्वेद में सर्वाधिक सूक्त (250) इन्हें समर्पित हैं।
    • अग्नि: मनुष्य और देवताओं के बीच मध्यस्थ। 200 सूक्त समर्पित।
    • वरुण: जल, नैतिक व्यवस्था (ऋत) का देवता।
    • अन्य देवता: सूर्य, वायु, पृथ्वी, उषा, अदिति, सोम (पौधा देवता) आदि।
  • पूजा पद्धति: देवताओं को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थनाएँ और यज्ञ (बलि) किए जाते थे। यज्ञ सरल होते थे और उनमें मंत्रों का उच्चारण और घी, दूध, अनाज आदि की आहुतियाँ दी जाती थीं।
  • मूर्ति पूजा: प्रारंभिक वैदिक काल में मूर्ति पूजा का प्रचलन नहीं था।

3. उत्तर वैदिक काल (Later Vedic Period)

यह काल सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक और उपनिषदों पर आधारित है, और इसमें कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

3.1. भौगोलिक विस्तार (Geographical Extent)

  • आर्यों का विस्तार सप्त-सिंधु क्षेत्र से पूर्व की ओर गंगा-यमुना दोआब (कुरुक्षेत्र और पंचाल क्षेत्र) तक हुआ।
  • वे गंगा नदी के मैदानों में बस गए और घने जंगलों को साफ करने के लिए लोहे के औजारों का उपयोग किया।

3.2. राजनीतिक जीवन (Political Life)

  • जन से जनपद और महाजनपद: छोटे ‘जन’ मिलकर बड़े जनपद (जैसे कुरु, पंचाल, काशी, कोसल, विदेह) बनने लगे। राजा की शक्ति में वृद्धि हुई।
  • राजा की शक्ति में वृद्धि:
    • राजा अब केवल कबीले का नेता नहीं, बल्कि एक क्षेत्र का शासक बन गया।
    • राजा की शक्ति को बढ़ाने के लिए विशाल यज्ञ (जैसे राजसूय, अश्वमेध, वाजपेय) किए जाने लगे।
    • ‘सम्राट’, ‘एकराट’ जैसी उपाधियाँ धारण की जाने लगीं।
  • स्थायी सेना: राजाओं ने स्थायी सेनाएँ रखना शुरू कर दिया।
  • सभा और समिति का महत्व कम: सभा और समिति का महत्व कम हो गया, और राजा पर उनका नियंत्रण कमजोर पड़ गया।
  • राजस्व प्रणाली: ‘बलि’ (स्वैच्छिक भेंट) अब नियमित कर बन गया।

3.3. सामाजिक जीवन (Social Life)

  • वर्ण व्यवस्था का कठोर होना: वर्ण व्यवस्था जन्म पर आधारित हो गई और अधिक कठोर हो गई।
  • चार वर्णों का स्पष्ट विभाजन:
    • ब्राह्मण: पुरोहित, शिक्षा और धार्मिक अनुष्ठान।
    • क्षत्रिय: शासक और योद्धा।
    • वैश्य: किसान, व्यापारी, शिल्पकार।
    • शूद्र: अन्य तीनों वर्णों की सेवा करने वाले।
  • महिलाओं की स्थिति में गिरावट:
    • महिलाओं को सभा और विदथ जैसी सभाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं थी।
    • शिक्षा का अधिकार कम हो गया।
    • बाल विवाह और बहुविवाह का प्रचलन बढ़ा।
    • पितृसत्तात्मक समाज और मजबूत हुआ।
  • गोत्र प्रणाली: एक ही गोत्र के लोगों के बीच विवाह निषिद्ध हो गया।
  • आश्रम व्यवस्था: जीवन को चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास) में विभाजित किया गया।

3.4. आर्थिक जीवन (Economic Life)

  • कृषि का महत्व बढ़ना: गंगा के मैदानों में लोहे के औजारों के उपयोग से कृषि का महत्व बहुत बढ़ गया। यह अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन गई।
  • प्रमुख फसलें: गेहूँ, चावल (धान), जौ, दालें।
  • शिल्प और उद्योग: धातु कर्म (लोहा, तांबा, सोना, चाँदी), कुम्हारी (चित्रित धूसर मृदभांड – Painted Grey Ware – PGW), बढ़ईगीरी, बुनाई आदि विकसित हुए।
  • व्यापार और शहरीकरण: व्यापार में वृद्धि हुई। प्रारंभिक शहरीकरण के संकेत मिलते हैं, हालांकि यह हड़प्पा सभ्यता जितना विकसित नहीं था।
  • मुद्रा का विकास: ‘शतमान’ और ‘कृष्णल’ जैसी कुछ मुद्राओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन वस्तु विनिमय अभी भी प्रचलित था।

3.5. धार्मिक जीवन (Religious Life)

  • यज्ञों का महत्व बढ़ना: यज्ञ और अनुष्ठान अधिक जटिल और महंगे हो गए। पुरोहितों (ब्राह्मणों) का महत्व बहुत बढ़ गया।
  • नए देवता:
    • प्रारंभिक वैदिक काल के देवता (इंद्र, अग्नि, वरुण) का महत्व कम हो गया।
    • प्रजापति (ब्रह्मा), विष्णु और रुद्र (शिव) जैसे नए देवताओं का महत्व बढ़ा।
    • शूद्रों के देवता के रूप में ‘पूषन’ का उल्लेख मिलता है।
  • दर्शन और उपनिषद: यज्ञों की जटिलता और कर्मकांडों के विरोध में उपनिषदों की रचना हुई, जिन्होंने ज्ञान, आत्मा (ब्रह्म), पुनर्जन्म और मोक्ष जैसे दार्शनिक विचारों पर जोर दिया।
  • मूर्ति पूजा का आरंभ: मूर्ति पूजा का प्रारंभिक प्रचलन शुरू हुआ, हालांकि यह अभी भी व्यापक नहीं था।

4. प्रारंभिक और उत्तर वैदिक काल के बीच अंतर (Differences between Early and Later Vedic Period)

विशेषता प्रारंभिक वैदिक काल उत्तर वैदिक काल
समय सीमा 1500 ईसा पूर्व – 1000 ईसा पूर्व 1000 ईसा पूर्व – 600 ईसा पूर्व
मुख्य स्रोत ऋग्वेद सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद
भौगोलिक क्षेत्र सप्त-सिंधु क्षेत्र गंगा-यमुना दोआब (पूर्व की ओर विस्तार)
राजनीतिक संगठन कबीलाई (जन), राजा की सीमित शक्ति क्षेत्रीय राज्य (जनपद), राजा की शक्ति में वृद्धि
सभाएँ सभा और समिति का महत्व सभा और समिति का महत्व कम
वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित, लचीली जन्म पर आधारित, कठोर
महिलाओं की स्थिति सम्मानजनक, शिक्षा का अधिकार, सभा में भागीदारी गिरावट, सभा में भागीदारी नहीं, बाल विवाह
अर्थव्यवस्था का आधार पशुपालन (गाय) कृषि (लोहे का उपयोग)
प्रमुख देवता इंद्र, अग्नि, वरुण प्रजापति (ब्रह्मा), विष्णु, रुद्र (शिव)
पूजा पद्धति सरल प्रार्थनाएँ और यज्ञ जटिल और महंगे यज्ञ, कर्मकांडों का महत्व
मूर्ति पूजा प्रचलन नहीं प्रारंभिक प्रचलन

5. निष्कर्ष (Conclusion)

वैदिक काल भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण संक्रमण काल था, जिसने एक चरवाहा-आधारित, कबीलाई समाज से एक कृषि-आधारित, क्षेत्रीय राज्यों में परिवर्तन देखा। इस अवधि में सामाजिक संरचनाएँ, राजनीतिक प्रणालियाँ, अर्थव्यवस्था और धार्मिक विश्वासों में महत्वपूर्ण बदलाव आए, जिन्होंने बाद की भारतीय सभ्यताओं की नींव रखी।

Previous Post

सभ्यता का पतन (Decline of the Civilization)

Next Post

राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन (Political, Social, and Economic Life)

Related Posts

History

मुगल साम्राज्य का पतन (Decline of Mughal Empire)

May 26, 2025

मुगल साम्राज्य का पतन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) औरंगजेब की मृत्यु (1707 ईस्वी) के बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन...

History

भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization)

May 26, 2025

भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भाषाई पुनर्गठन (Linguistic Reorganization) स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक...

History

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (Hyderabad, Junagarh, Kashmir Issues)

May 26, 2025

हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर मुद्दा (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू-कश्मीर...

Next Post

राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन (Political, Social, and Economic Life)

धार्मिक विकास (Religious Developments)

साहित्य और संस्कृति (Literature and Culture)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

uncategorized

International-July-2025

July 21, 2025
uncategorized

Protected: maso 507

July 18, 2025
General Science

Transport System in Plants

July 18, 2025
General Science

पांच जगत: मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक, पादप, जंतु | Five Kingdoms of Life

July 15, 2025
Placeholder Square Image

Visit Google.com for more information.

International-July-2025

July 21, 2025

Protected: maso 507

July 18, 2025

Transport System in Plants

July 18, 2025

पांच जगत: मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक, पादप, जंतु | Five Kingdoms of Life

July 15, 2025

मानव प्रजनन प्रणाली (Human Reproductive System)

July 18, 2025

पादप रोग और उनके लक्षण | Plant Diseases and their Symptoms

July 15, 2025
  • Contact us
  • Disclaimer
  • Register
  • Login
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Quiz
  • Static Gk
  • Polity
  • Hindi
  • Geography
  • Economics
  • General Science
  • Uttarakhand
  • History
  • Environment
  • Computer
  • Contact us

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.