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कृषि उत्पाद और उत्पादकता (Agricultural Production and Productivity)

अनाज (Cereals)

  • गेहूँ (Wheat):
    • उत्पादन में अग्रणी राज्य: उत्तर प्रदेश (UP) सर्वाधिक उत्पादन करता है, परंतु उत्पादकता (प्रति हेक्टेयर उपज) के मामले में पंजाब और हरियाणा आगे हैं।
      • उदाहरण: पंजाब में सिंचाई और उन्नत प्रौद्योगिकी के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 45-50 क्विंटल/हेक्टेयर तक पहुँच जाता है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह औसतन 30-35 क्विंटल/हेक्टेयर के आसपास है।
    • वैश्विक परिप्रेक्ष्य:
      • चीन, भारत, रूस, अमेरिका विश्व के प्रमुख गेहूँ उत्पादक देश हैं।
      • उत्पादकता: फ्रांस, जर्मनी जैसे यूरोपीय देश उच्च उत्पादकता (80-90 क्विंटल/हेक्टेयर) हासिल करते हैं, उन्नत तकनीक, मिट्टी की गुणवत्ता एवं जलवायु के कारण।
  • चावल (Rice):
    • भारत में प्रमुख उत्पादक राज्य: पश्चिम बंगाल सर्वाधिक उत्पादन, लेकिन उत्पादकता के मामले में पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश अग्रणी।
      • पंजाब में उच्च यंत्रीकरण, HYV बीज और उत्तम सिंचाई से प्रति हेक्टेयर 40-45 क्विंटल/हेक्टेयर तक उत्पादन मिलता है।
    • वैश्विक स्तर पर: चीन दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक, वियतनाम और थाईलैंड निर्यात में आगे।
      • उत्पादकता दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में ऊँची है क्योंकि गीला-धान खेती की अनुकूल परिस्थितियाँ।

दलहन (Pulses)

  • भारत में प्रमुख उत्पादन:
    • चना (Gram): मध्य प्रदेश सर्वाधिक उत्पादन, राजस्थान, महाराष्ट्र भी अग्रणी।
    • अरहर (Tur/Pigeon Pea): महाराष्ट्र, कर्नाटक अग्रणी उत्पादक।
      • दलहनों की उत्पादकता अपेक्षाकृत कम (औसतन 8-10 क्विंटल/हेक्टेयर) है, जो अधिकतर वर्षा आधारित खेती पर निर्भरता के कारण है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर:
    • कनाडा दालों का बड़ा निर्यातक है (मसूर, मटर), उच्च उत्पादकता और बेहतर प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ।
    • ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार, तंज़ानिया, अफ्रीकी देश भी दाल उत्पादन और निर्यात में सक्रिय।

तिलहन (Oilseeds)

  • भारत में प्रमुख तिलहन: सरसों (Mustard), मूंगफली (Groundnut), सोयाबीन (Soybean), सूरजमुखी (Sunflower)
    • सोयाबीन: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र प्रमुख उत्पादक
    • मूंगफली: गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश
    • सरसों: राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश
    • उत्पादकता: उन्नत किस्मों और सिंचाई सुविधाओं के साथ उत्पादकता बढ़ रही है, पर अभी भी कई विकसित देशों की तुलना में कम।
  • विश्व स्तर पर:
    • ब्राज़ील, अमेरिका, अर्जेंटीना सोयाबीन उत्पादन में शीर्ष पर, प्रति हेक्टेयर उच्च उपज के साथ।
    • कनाडा कैनोला (Canola) उत्पादन में अग्रणी, उच्च तकनीक से बेहतर उत्पादकता।

फसलों की प्रमुख किस्में और उनके गुण (Major Crop Varieties and Their Characteristics)

कपास (Cotton)

  • BT कपास (BT Cotton):
    • गुण: BT जीन प्रविष्टि के कारण रस चूसने वाले और बॉलवर्म (bollworm) जैसे कीटों के प्रति प्रतिरोधी।
    • परिणाम: कीटनाशक खर्च में कमी, उत्पादन में वृद्धि।
  • अन्य किस्में: लंबा रेशा (long staple) कपास किस्में – MCU 5, MCU 7 मुख्य रूप से दक्षिण भारत में उगाई जाती हैं, जो बेहतर गुणवत्ता वाली कपास देती हैं।

गेहूँ (Wheat)

  • HD 2967, HD 3086 (भारत में लोकप्रिय किस्में):
    • गुण: अधिक उपज क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता (rust resistance), सिंचाई व उर्वरकों का बेहतर रिस्पॉन्स।
    • उत्पादकता वृद्धि: इन किस्मों के प्रयोग से पंजाब, हरियाणा में गेहूँ का उत्पादन कई गुना बढ़ा।
  • PBW 343, PBW 502: उत्तरी भारत की प्रसिद्ध किस्में, जल्दी पकने वाली, रोग-रोधी।

चावल (Rice)

  • IR-64, स्वर्णा (Swarna), MTU-7029:
    • गुण: ज्यादा उत्पादन क्षमता, कम समय में परिपक्वता, कीट/रोग प्रतिरोध।
    • IR-64 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध HYV किस्म, भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रसारित।
  • Basmati किस्में (Pusa Basmati 1121, 1509):
    • गुण: सुगंधित लंबा दाना, उच्च निर्यात मूल्य।
    • निर्यात में अहम भूमिका, विदेशों में लोकप्रिय।

दलहन (Pulses)

  • चना: Pusa-256, Pusa-372
    • गुण: सूखा प्रतिरोध, कम अवधि में परिपक्वता।
  • अरहर (Tur): Maruti, C-11
    • गुण: विल्ट (wilt) रोग प्रतिरोधी, मध्यम अवधि की किस्में।

तिलहन (Oilseeds)

  • सरसों (Mustard): Pusa Bold, Pusa Jai Kisan
    • गुण: ऊँची उपज, रोग-प्रतिरोध, ठंडी जलवायु में भी अनुकूल उत्पादन।
  • सोयाबीन: JS-335, JS-93-05
    • गुण: मध्यम अवधि, पत्तियों का जल्दी झड़ना जिससे फसल कटाई सुगम, बेहतर तेल सामग्री।

बागवानी फसलें (Horticultural Crops)

  • फल (Fruits):
    • आम (Mango) किस्में: अल्फांसो (Alphonso) – सुगंधित, मीठा, अंतरराष्ट्रीय मांग। दशहरी, चौसा – उत्तर भारत में लोकप्रिय, उच्च मिठास।
    • केला (Banana) किस्में: ग्रांड नाइन (G-9) – ऊँची उपज, बाजार में डिमांड, लम्बे समय तक टिकने वाली।
    • सेब (Apple) किस्में: रॉयल डिलीशियस – उच्च गुणवत्ता, कश्मीरी सेबों का निर्यात बढ़ाने में मदद।
  • सब्ज़ियाँ (Vegetables):
    • आलू (Potato) किस्में: Kufri Chipsona – चिप्स निर्माण के लिए उपयुक्त, कम शर्करा, उच्च सूखा पदार्थ। Kufri Bahar – समय से पहले तैयार, बाजार के लिए जल्दी उपलब्ध।
    • टमाटर (Tomato) किस्में: Pusa Ruby – जल्दी पकने वाली, रसदार, प्रसंस्करण उद्योग में उपयोगी।

कॉफ़ी (Coffee)

  • अरैबिका (Arabica) और रोबस्टा (Robusta):
    • अरैबिका: अधिक सुगंध, बेहतर स्वाद, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अधिक मूल्य।
    • रोबस्टा: रोग प्रतिरोधी, कम ऊँचाई पर भी उगने योग्य, कैफीन की मात्रा अधिक।
  • भारत में कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु मुख्य उत्पादक राज्य, अरैबिका पहाड़ी ढलानों पर, रोबस्टा अपेक्षाकृत निचले क्षेत्र में उत्पादकता देता है।

चाय (Tea)

  • असम टी (Assam Tea): मजबूत स्वाद, उच्च लिकर (liquor)।
  • दर्जिलिंग टी (Darjeeling Tea): हल्का, सुगंधित, “चाय की शैम्पेन” के रूप में प्रसिद्ध, उच्च निर्यात मूल्य।

मुख्य सार:

  • विभिन्न राज्यों में उत्पादन और उत्पादकता के स्तर में अंतर जलवायु, सिंचाई, मिट्टी की गुणवत्ता, बीज किस्मों की उपलब्धता और कृषि तकनीक के कारण है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित देश तकनीकी प्रगति, बेहतर इनपुट, गुणवत्ता नियंत्रण के कारण उच्च उत्पादकता प्राप्त करते हैं।
  • उन्नत किस्मों (HYV, GM फसलें, विशेष प्रजनन से विकसित किस्में) के उपयोग से उत्पादन बढ़ाना, कीट/रोग नियंत्रण, गुणवत्ता सुधार, और निर्यात क्षमता में वृद्धि संभव हुई है।
  • फसल विविधीकरण और उपयुक्त किस्मों का चयन भारतीय किसानों की आय वृद्धि, कृषि निर्यात बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है।
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