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उर्वरक (Fertilizers): प्रकार, महत्व और सरकारी पहलें

उर्वरक (Fertilizers)

परिचय: उर्वरक वे रासायनिक या प्राकृतिक पदार्थ हैं जो मिट्टी में मिलाए जाते हैं ताकि उसकी उर्वरता बढ़ सके और फसलों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। भारत में, हरित क्रांति के बाद से कृषि उत्पादकता बढ़ाने में उर्वरकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

उर्वरकों के प्रकार

1. रासायनिक उर्वरक (Chemical Fertilizers)

ये कृत्रिम रूप से तैयार किए गए उर्वरक हैं जो पौधों को तुरंत पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इन्हें मुख्य रूप से तीन प्राथमिक पोषक तत्वों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:

  • नाइट्रोजन (N) उर्वरक: उदाहरण: यूरिया (46% N)।
  • फॉस्फोरस (P) उर्वरक: उदाहरण: डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP – 18% N, 46% P)।
  • पोटेशियम (K) उर्वरक: उदाहरण: म्युरिएट ऑफ पोटाश (MOP – 60% K)।

2. जैविक उर्वरक (Organic Fertilizers)

ये प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होते हैं और मिट्टी की संरचना और स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। उदाहरण: गोबर की खाद, कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद)।

3. बायो-उर्वरक (Bio-fertilizers)

इनमें जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जो मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाते हैं। उदाहरण: राइजोबियम (दलहनी फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए), एजोटोबैक्टर।

एनपीके (NPK) उर्वरक एवं महत्व

NPK पौधों के लिए तीन सबसे महत्वपूर्ण वृहद पोषक तत्व (macronutrients) हैं:

  • N (नाइट्रोजन): वानस्पतिक वृद्धि (पत्तियों और तनों) के लिए आवश्यक।
  • P (फॉस्फोरस): जड़ों के विकास, फूलों और फलों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण।
  • K (पोटेशियम): पौधों की समग्र मजबूती, रोग प्रतिरोधक क्षमता और पानी के उपयोग की दक्षता के लिए आवश्यक।

भारत में, यूरिया (नाइट्रोजन) के अत्यधिक उपयोग और P & K के कम उपयोग के कारण पोषक तत्वों का असंतुलन एक बड़ी समस्या है।

सरकार की पहल

1. उर्वरक सब्सिडी

सरकार किसानों को सस्ती दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों को सब्सिडी प्रदान करती है। यूरिया के लिए मूल्य सरकार द्वारा नियंत्रित होता है, जबकि P और K उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy – NBS) योजना लागू है।

2. नीम लेपित यूरिया (Neem Coated Urea)

2015 में, सरकार ने सभी यूरिया को नीम लेपित करना अनिवार्य कर दिया। नीम का लेप यूरिया के घुलने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है, जिससे नाइट्रोजन का उपयोग दक्षता बढ़ती है और इसके औद्योगिक उपयोग के लिए डायवर्जन को रोका जाता है।

3. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)

2015 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य मिट्टी के परीक्षण के आधार पर किसानों को उनकी भूमि के लिए पोषक तत्वों की सिफारिशें प्रदान करना है, ताकि उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. यूरिया में नाइट्रोजन (N) का प्रतिशत लगभग कितना होता है?
  • (a) 25%
  • (b) 46%
  • (c) 18%
  • (d) 60%
2. ‘पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS)’ योजना निम्नलिखित में से किस पर लागू होती है?
  • (a) केवल यूरिया
  • (b) P और K उर्वरक
  • (c) सभी प्रकार के उर्वरक
  • (d) केवल जैविक उर्वरक
3. नीम लेपित यूरिया का मुख्य लाभ क्या है?
  • (a) यह सस्ता होता है।
  • (b) यह नाइट्रोजन के धीरे-धीरे रिलीज होने को सुनिश्चित करता है, जिससे दक्षता बढ़ती है।
  • (c) यह केवल जैविक खेती में उपयोग होता है।
  • (d) यह मिट्टी की नमी को बढ़ाता है।
4. राइजोबियम किसका उदाहरण है?
  • (a) रासायनिक उर्वरक
  • (b) जैविक उर्वरक
  • (c) बायो-उर्वरक
  • (d) कीटनाशक
5. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
  • (a) किसानों को मुफ्त उर्वरक देना।
  • (b) मिट्टी के परीक्षण के आधार पर उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना।
  • (c) जैविक खेती को अनिवार्य बनाना।
  • (d) उर्वरक सब्सिडी को समाप्त करना।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1: भारत में उर्वरकों के असंतुलित उपयोग के क्या कारण हैं? इसके कृषि उत्पादकता और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करें। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करें। (250 शब्द)
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