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बीज और तकनीक (Seeds and Agricultural Techniques)

परिचय:
बीज कृषि का मूल आधार है। गुणवत्ता वाले बीज फसल उत्पादकता बढ़ाने, रोग प्रतिरोध क्षमता विकसित करने तथा किसान की आय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आधुनिक कृषि तकनीकों और शोध संस्थानों द्वारा विकसित उन्नत बीज किस्में न केवल उपज बढ़ाती हैं, बल्कि पोषण, प्रसंस्करण योग्यताओं, जलवायु अनुकूलन और कीट-रोग प्रतिरोधिता में भी सुधार लाती हैं।


बीज के प्रकार (Types of Seeds)

  1. परंपरागत बीज (Traditional Seeds):
    • स्थानीय स्तर पर प्राचीन काल से उगाई जाने वाली देशी किस्में।
    • पर्यावरण के अनुरूप विकसित, स्वाद और सुगंध में अच्छे परंतु उत्पादकता अपेक्षाकृत कम।
    • जैव विविधता के संरक्षण में मददगार।
  2. उन्नत बीज (Improved Seeds/HYV – High Yielding Varieties):
    • हरित क्रांति के दौर में विकसित हाई यील्डिंग वरायटी (HYV) बीज, जैसे गेहूँ और चावल की उन्नत किस्में।
    • अधिक उपज क्षमता, बेहतर उर्वरक प्रतिक्रिया, कुछ हद तक रोग प्रतिरोधक क्षमता।
  3. हाइब्रिड बीज (Hybrid Seeds):
    • दो या अधिक वंशक्रमों (parental lines) के बीच संकरण (crossing) से विकसित।
    • बेहतर उपज, एकरूपता (uniformity), रोग प्रतिरोध, गुणवत्ता में सुधार।
    • उदाहरण: हाइब्रिड मक्का, हाइब्रिड सूरजमुखी, हाइब्रिड सब्जियाँ (टमाटर, मिर्च, बैंगन)।
  4. जीएम (GM – Genetically Modified) बीज:
    • आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Genetic Engineering) के द्वारा विकसित, फसल के डीएनए में विशेष जीन जोड़े जाते हैं।
    • उदाहरण: बीटी कपास (BT Cotton), जिसमें ऐसे प्रोटीन उत्पन्न होते हैं जो बॉलवर्म जैसे हानिकारक कीटों को मारते हैं।
    • उद्देश्य: कीट प्रतिरोध, रोग प्रतिरोध, सूखा प्रतिरोध, पोषण संवर्धित किस्में।
  5. संकर बीज (Composite/Varietal Hybrids):
    • अनेक किस्मों के जीनपूल से विकसित, ज्यादा स्थिर उपज, हाइब्रिड की तुलना में बीज का पुन: उपयोग संभव (फिर भी HYV जितने उच्च स्तर तक नहीं)।
    • मोटे अनाजों, दालों में प्रयुक्त।

बीज उत्पादन एवं वितरण प्रणाली

  1. बीज निगम (Seed Corporations):
    • राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) और राज्य बीज निगम (SSC) किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराते हैं।
    • इनका कार्य: बीज उत्पादन, प्रमाणित बीजों की मार्केटिंग, गुणवत्ता परीक्षण।
  2. प्रमाणन एजेंसियाँ (Certification Agencies):
    • बीज प्रमाणन प्रक्रिया द्वारा गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है।
    • सीड सर्टिफिकेशन एजेंसियाँ बीज की शुद्धता, अंकुरण क्षमता, नमी स्तर और रोग-मुक्तता की जाँच करती हैं।
  3. अनुसंधान संस्थान (Research Institutes):
    • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT), कृषि विश्वविद्यालय, IARI (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान) जैसे संस्थान उन्नत बीज किस्में विकसित करते हैं।
    • आईसीएआर की विभिन्न फसल विशिष्ट शोध संस्थाएं (जैसे IARI – गेहूं व चावल रिसर्च, सीआईसीआर – कपास रिसर्च) नई किस्में, हाइब्रिड और GM फसलों पर निरंतर शोध करती हैं।
  4. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK – Krishi Vigyan Kendras):
    • क्षेत्रीय स्तर पर प्रशिक्षण, बीज परीक्षण, डेमोंस्ट्रेशन, किसानों को नई तकनीक तक पहुँच।
    • बीज वितरण, ट्रायल, प्रदर्शन इकाई के रूप में कार्य करते हैं।
  5. निजी क्षेत्र (Private Sector):
    • बहुराष्ट्रीय व देशीय बीज कंपनियाँ (Monsanto (अब Bayer), Syngenta, Mahyco, Nuziveedu Seeds आदि) हाइब्रिड, जीएम और खास गुणों वाले बीजों का उत्पादन व विपणन करती हैं।

आधुनिक कृषि तकनीकें (Modern Agricultural Techniques)

  1. उन्नत कृषि यंत्रीकरण (Farm Mechanization):
    • ट्रैक्टर, रोटावेटर, कम्बाइन हार्वेस्टर, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर से समय और श्रम की बचत।
    • बेहतर और समयबद्ध फसल प्रबंधन, नमी संरक्षण।
  2. सूक्ष्म सिंचाई (Micro-Irrigation):
    • ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम से जल उपयोग दक्षता बढ़ती, उर्वरकों का भी सम्यक् उपयोग संभव।
  3. प्रिसीजन फार्मिंग (Precision Farming):
    • GIS, GPS, ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी से मृदा-जल विश्लेषण, फसल स्वास्थ्य निगरानी।
    • सटीक उर्वरक, पानी, कीटनाशक उपयोग।
  4. ग्रेडिंग, प्रसंस्करण एवं भंडारण तकनीक (Post-Harvest Technology):
    • ग्रेडिंग, पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज, वैक्यूम पैकिंग से मूल्य संवर्धन, अपव्यय में कमी।
  5. आईसीटी (ICT) का उपयोग:
    • मोबाइल ऐप, ई-नाम (e-NAM), कृषि पोर्टल के माध्यम से बाजार भाव, मौसम जानकारी, बेहतर विपणन।

सरकारी पहल (Government Initiatives)

  1. बीज ग्राम योजना (Seed Village Programme):
    • स्थानीय स्तर पर उन्नत और प्रमाणित बीजों का उत्पादन, किसानों को गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता।
    • किसानों को प्रशिक्षण, सब्सिडी।
  2. राष्ट्रीय बीज योजना (National Seed Policy):
    • गुणवत्ता बीजों के उत्पादन व उपयोग को प्रोत्साहन, आयात-निर्यात नियमों में संतुलन, निजी क्षेत्र सहभागिता।
  3. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme):
    • मृदा परीक्षण आधारित पोषक तत्व प्रबंधन से बीज और उर्वरक का कुशल उपयोग।
    • उचित बीज व फसल चयन में सहायक, जिससे उत्पादन एवं आय बढ़ती है।
  4. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) और राष्ट्र्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM):
    • उन्नत किस्मों के बीज, उर्वरक और सिंचाई तकनीक को बढ़ावा, फसल उत्पादकता बढ़ाना।
  5. कृषि एक्सटेंशन सेवाएँ:
    • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), आत्मा (ATMA) प्रोग्राम द्वारा किसानों को नई किस्मों, हाइब्रिड बीज व जीएम फसलों की जानकारी और उनकी खेती के तकनीकी पहलुओं पर मार्गदर्शन।

चुनौतियाँ और समाधान

  • चुनौती:
    • निम्न गुणवत्ता के बीजों का प्रचलन, नकली बीजों की समस्या।
    • छोटे और सीमांत किसानों तक अच्छी किस्मों की पहुँच में कमी।
  • समाधान:
    • कड़ी गुणवत्ता नियंत्रण जांच, प्रमाणन व्यवस्था को मजबूत करना।
    • सहकारी संस्थाओं, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के माध्यम से बीज वितरण।
    • किसानों में जागरूकता, प्रशिक्षण और सरकार द्वारा सब्सिडी।

मुख्य सार:
उन्नत किस्मों के बीज और आधुनिक कृषि तकनीकें फसल उत्पादकता, गुणवत्ता, पोषण मूल्यों को बढ़ाने, परिरक्षण और बाजार उपलब्धता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान, सरकारी नीति, निजी क्षेत्र का योगदान और जागरूक किसान समुदाय मिलकर कृषि प्रणाली को सुदृढ़ कर रहे हैं। स्थायी कृषि, पोषण सुरक्षा और आयवृद्धि के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों और नई तकनीकों का समन्वित उपयोग अत्यंत आवश्यक है।

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