परिचय:
उद्योग (Industry) अर्थव्यवस्था का वह अंग है जो कच्चे माल का प्रसंस्करण (processing), वस्तुओं का उत्पादन (production), तथा सेवाओं की आपूर्ति करता है। उद्योगों को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें मुख्य रूप से आर्थिक गतिविधि (economic activity), आकार (size), तथा स्वामित्व (ownership) शामिल हैं। इस वर्गीकरण से नीति निर्धारकों, उद्यमियों (entrepreneurs), एवं शोधकर्ताओं को अर्थव्यवस्था की संरचना समझने में आसानी होती है।
आर्थिक गतिविधि के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
- प्राथमिक उद्योग (Primary Industries):
- गतिविधि: प्राकृतिक संसाधनों का प्रत्यक्ष शोषण (direct extraction) या उनका उपयोग।
- उदाहरण: कृषि (agriculture), मछलीपालन (fishing), खनन (mining), वानिकी (forestry)।
- विशेषता:
- प्रकृति पर निर्भरता।
- कच्चे माल के रूप में संसाधन उपलब्ध कराना।
- अर्थव्यवस्था में भूमिका: प्राथमिक उद्योग आर्थिक गतिविधियों की बुनियाद (foundation) हैं, जो अन्य सेक्टरों को कच्चा माल प्रदान करते हैं।
- द्वितीयक उद्योग (Secondary Industries):
- गतिविधि: कच्चे माल को उपयोगी उत्पादों में बदलना (value addition through manufacturing and processing)।
- उदाहरण: ऑटोमोबाइल निर्माण, कपड़ा उद्योग (textile industry), इस्पात उद्योग (steel industry), खाद्य प्रसंस्करण (food processing) कारखाने।
- विशेषता:
- उत्पादन प्रक्रिया में पूँजी, मशीनरी, तकनीक का उपयोग।
- तैयार माल (finished goods) का निर्माण।
- अर्थव्यवस्था में भूमिका: द्वितीयक उद्योग उत्पादों के माध्यम से मूल्यवर्धन (value addition) कर रोजगार और आय में वृद्धि करते हैं।
- तृतीयक उद्योग (Tertiary Industries या Tertiary Sector/Service Sector):
- गतिविधि: वस्तुओं व सेवाओं का वितरण, उपभोक्ताओं तक पहुँचाने से संबंधित सेवाएँ, प्रत्यक्ष उत्पादन न करना।
- उदाहरण: परिवहन (transport), बैंकिंग (banking), बीमा (insurance), सूचना प्रौद्योगिकी (IT), स्वास्थ्य सेवाएँ (healthcare), शिक्षा (education), पर्यटन (tourism)।
- विशेषता:
- सेवाओं (services) पर आधारित, मानव संसाधन एवं कुशलता पर निर्भर।
- अर्थव्यवस्था में भूमिका: तृतीयक उद्योग उत्पादन और उपभोग के बीच की कड़ी हैं, इनसे अर्थव्यवस्था में दक्षता, संचार, एवं विकास को गति मिलती है।
आकार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
- वृहद उद्योग (Large Scale Industries):
- मापदंड: बड़े पैमाने पर उत्पादन, भारी पूँजी निवेश (heavy capital investment), आधुनिक मशीनें, विस्तृत बाज़ार कवरेज।
- उदाहरण: इस्पात कारखाने (Steel plants), वाहन निर्माण संयंत्र (automobile plants), सीमेंट फैक्ट्री (cement factories), तेल रिफाइनरी (oil refineries)।
- विशेषता:
- उच्च उत्पादन क्षमता, संगठित संरचना।
- अधिक रोजगार, निर्यात क्षमता, राष्ट्रीय आय में महत्वपूर्ण योगदान।
- कुटीर उद्योग (Cottage Industries):
- मापदंड: बहुत छोटे पैमाने पर, पारिवारिक या स्थानीय स्तर पर संचालित।
- उदाहरण: हथकरघा (handloom), हस्तशिल्प (handicrafts), ग्रामीण स्तर पर कागज़, मसालों, गुड़ आदि का निर्माण।
- विशेषता:
- सीमित पूँजी, साधारण उपकरण, पारंपरिक कौशल (traditional skills) पर आधारित।
- स्थानीय रोजगार, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, लघु अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका।
- लघु एवं मध्यम उद्योग (Small and Medium Enterprises – SME):
- कुटीर और वृहद के बीच की श्रेणी, पूँजी, श्रम एवं उत्पादन के मध्यम स्तर।
- उदाहरण: छोटे पैमाने के खाद्य प्रसंस्करण इकाई, प्लास्टिक उत्पाद निर्माण, छोटे कलपुर्ज़े (components) बनाने वाले कारखाने।
- विशेषता:
- तेज़ी से वृद्धि की संभावनाएँ, लचीलापन (flexibility), स्थानीय मांग पूरा करना।
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
- निजी क्षेत्र उद्योग (Private Sector Industries):
- स्वामित्व: निजी व्यक्तियों, फ़र्मों या कंपनियों के हाथ में।
- उद्देश्य: लाभ कमाना (profit motive)।
- उदाहरण: रिलायंस इंडस्ट्रीज़, टाटा स्टील, अडानी समूह के उद्योग, निजी आईटी कंपनियाँ।
- विशेषता:
- कुशलता, प्रतिस्पर्धा (competition) द्वारा नवाचार (innovation)।
- मार्केट उन्मुख (market-oriented) प्रबंधन, नीति स्वतन्त्रता।
- सार्वजनिक क्षेत्र उद्योग (Public Sector Industries):
- स्वामित्व: सरकारी नियंत्रण में।
- उद्देश्य: सार्वजनिक कल्याण (public welfare), राष्ट्रीय हित, रणनीतिक महत्व वाले क्षेत्र।
- उदाहरण: इस्पात प्राधिकरण (SAIL), भारतीय तेल निगम (IOC), भेल (BHEL), कोल इंडिया, सरकारी बैंक।
- विशेषता:
- बड़े पैमाने पर निवेश, राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग, सामाजिक और बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति।
- सहकारी क्षेत्र उद्योग (Cooperative Sector Industries):
- स्वामित्व: एक समूह के सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से संचालित।
- उद्देश्य: सदस्यों के आर्थिक कल्याण, लाभ का सामूहिक बँटवारा।
- उदाहरण: अमूल (Amul), इफको (IFFCO) जैसी सहकारी समितियाँ।
- विशेषता:
- लोकतांत्रिक प्रबंधन (democratic management), समानता के सिद्धांत (principle of equality) पर आधारित।
- छोटे उत्पादकों या किसानों को बाज़ार तक पहुँच और बेहतर मूल्य उपलब्ध कराना।
मुख्य सार:
- उद्योगों को आर्थिक गतिविधि के आधार पर प्राथमिक (कच्चे माल निकासी), द्वितीयक (उत्पादन व प्रसंस्करण) और तृतीयक (सेवाओं) में विभाजित किया जाता है।
- आकार के आधार पर वृहद उद्योग, कुटीर उद्योग एवं लघु-मध्यम उद्योगों का वर्गीकरण होता है, जो पूँजी, श्रम, तथा उत्पादन पैमाने पर निर्भर है।
- स्वामित्व के आधार पर निजी, सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र के उद्योगों की पहचान की जाती है।
- यह वर्गीकरण नीति निर्माण, व्यावसायिक रणनीति (business strategy), निवेश निर्णय (investment decisions) और आर्थिक विकास की समझ को बेहतर बनाता है।