संपर्क कोण (Angle of Contact)
1. संपर्क कोण क्या है? (What is Angle of Contact?)
संपर्क कोण (Angle of Contact) वह कोण है जो किसी द्रव की सतह और ठोस सतह के बीच बनता है, जहाँ द्रव और ठोस के अणु संपर्क में होते हैं। यह कोण द्रव और ठोस के बीच परस्पर आकर्षण बलों का माप होता है। संपर्क कोण से यह निर्धारित होता है कि द्रव सतह को गीला करेगा या नहीं।
2. संपर्क कोण का महत्व (Importance of Angle of Contact)
संपर्क कोण से द्रव के गीलेपन (Wettability) का निर्धारण किया जा सकता है:
- छोटा संपर्क कोण (कम से कम 90°): द्रव ठोस सतह को गीला करता है। उदाहरण: पानी का कांच के साथ संपर्क कोण लगभग 0° होता है, इसलिए यह कांच को गीला करता है।
- बड़ा संपर्क कोण (अधिक से अधिक 90°): द्रव ठोस सतह को गीला नहीं करता। उदाहरण: पारे का कांच के साथ संपर्क कोण लगभग 140° होता है, इसलिए यह कांच को गीला नहीं करता।
3. संपर्क कोण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Angle of Contact)
- द्रव और ठोस के बीच आकर्षण बल: ठोस और द्रव के बीच आकर्षण बल बढ़ने पर संपर्क कोण घटता है और गीलापन बढ़ता है।
- तापमान: तापमान बढ़ने पर संपर्क कोण घटता है, जिससे द्रव के गीलेपन की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
- सतह की प्रकृति: सतह की बनावट और उस पर मौजूद अशुद्धियों के कारण भी संपर्क कोण में बदलाव आता है।
4. संपर्क कोण के अनुप्रयोग (Applications of Angle of Contact)
- पानी-रोधी सतह: संपर्क कोण के सिद्धांत का उपयोग पानी-रोधी सतहों के निर्माण में किया जाता है, जैसे लोटस पत्तियाँ जिनका संपर्क कोण अधिक होता है और वे पानी को गीला नहीं होने देतीं।
- चिकित्सा उपकरण: संपर्क कोण को ध्यान में रखकर हाइड्रोफिलिक और हाइड्रोफोबिक सामग्री का उपयोग किया जाता है।
- पेंटिंग और कोटिंग: संपर्क कोण के आधार पर सतहों की गीलेपन की प्रवृत्ति का निर्धारण किया जाता है, ताकि पेंट या कोटिंग समान रूप से लगे।
5. उदाहरण (Example)
मान लें कि कांच पर पानी का संपर्क कोण 0° है, जबकि कांच पर पारे का संपर्क कोण 140° है। इसका मतलब है कि पानी कांच को गीला करता है, जबकि पारा कांच को गीला नहीं करता।