ठोसों का बैंड सिद्धांत (Band Theory of Solids)
1. बैंड सिद्धांत क्या है? (What is Band Theory?)
बैंड सिद्धांत (Band Theory) ठोस पदार्थों में विद्युत चालकता की व्याख्या करने वाला सिद्धांत है। यह बताता है कि ठोस में इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा अलग-अलग स्तरों में वितरित होती है, जिन्हें बैंड कहा जाता है।
2. ऊर्जा बैंड (Energy Bands)
ठोस में दो प्रमुख ऊर्जा बैंड होते हैं:
- वलेंस बैंड (Valence Band): यह बैंड इलेक्ट्रॉनों से भरा होता है और परमाणु के साथ जुड़ा रहता है।
- कंडक्शन बैंड (Conduction Band): यह बैंड खाली या आंशिक रूप से भरा होता है और इलेक्ट्रॉनों की गति इसे विद्युत प्रवाह बनाने में सक्षम बनाती है।
वलेंस बैंड और कंडक्शन बैंड के बीच की ऊर्जा खाई को बंधन अंतराल (Band Gap) कहते हैं।
3. ठोसों के प्रकार (Types of Solids Based on Band Theory)
प्रकार | बंधन अंतराल (Band Gap) | उदाहरण |
---|---|---|
चालक (Conductors) | बंधन अंतराल नहीं होता | तांबा (Copper), चांदी (Silver) |
अर्धचालक (Semiconductors) | छोटा बंधन अंतराल (0.1-2 eV) | सिलिकॉन (Silicon), जर्मेनियम (Germanium) |
अचालक (Insulators) | बड़ा बंधन अंतराल (5-10 eV) | लकड़ी, रबर |
4. अर्धचालकों की विशेषताएँ (Characteristics of Semiconductors)
- कम तापमान पर यह अचालक के रूप में व्यवहार करता है।
- तापमान बढ़ने पर इसकी चालकता बढ़ती है।
- डॉपिंग प्रक्रिया द्वारा इसकी चालकता को बढ़ाया जा सकता है।
5. अनुप्रयोग (Applications)
- चालक: विद्युत तार और उपकरण।
- अर्धचालक: ट्रांजिस्टर, डायोड, और सोलर सेल।
- अचालक: इन्सुलेशन सामग्री।
6. उदाहरण (Numerical Example)
उदाहरण:
प्रश्न: यदि एक अर्धचालक में बंधन अंतराल 1.1 eV है, तो इसकी ऊर्जा कितनी होगी? (1 eV = 1.6 × 10-19 J)
E = 1.1 × 1.6 × 10-19
E = 1.76 × 10-19 J
उत्तर: ऊर्जा 1.76 × 10-19 J होगी।