परिचय: क्षार (Bases)
क्षार (Base) वे रासायनिक यौगिक हैं जिनका स्वाद कड़वा होता है, स्पर्श करने पर साबुन जैसे चिकने लगते हैं, और लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं। वे अम्लों के साथ अभिक्रिया करके उन्हें उदासीन कर देते हैं, जिससे लवण और जल बनता है।
सभी क्षार जो जल में घुलनशील होते हैं, उन्हें क्षारक (Alkalis) कहते हैं। उदाहरण: सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH), पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)।
क्षार की अवधारणाएं
1. आरहेनियस की अवधारणा (Arrhenius Concept)
इस अवधारणा के अनुसार, क्षार वे पदार्थ हैं जो जलीय विलयन में हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) देते हैं।
उदाहरण: NaOH(aq) → Na⁺(aq) + OH⁻(aq)
2. ब्रोंस्टेड-लोरी की अवधारणा (Brønsted-Lowry Concept)
इस अवधारणा के अनुसार, क्षार वे पदार्थ हैं जो किसी अन्य पदार्थ से प्रोटॉन (H⁺) ग्रहण कर सकते हैं।
उदाहरण: NH₃ + H₂O ⇌ NH₄⁺ + OH⁻ (यहाँ NH₃ एक प्रोटॉन ग्रहण करता है)।
3. लुईस की अवधारणा (Lewis Concept)
यह सबसे व्यापक परिभाषा है। इसके अनुसार, क्षार वे पदार्थ हैं जो एक इलेक्ट्रॉन युग्म (electron pair) दान कर सकते हैं।
उदाहरण: NH₃, H₂O (इनके केंद्रीय परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है)।
क्षारों के गुण
भौतिक गुण
- स्वाद में कड़वे और साबुन जैसे चिकने होते हैं।
- प्रबल क्षार संक्षारक (corrosive) होते हैं और त्वचा को जला सकते हैं।
- इनके जलीय विलयन विद्युत के सुचालक होते हैं।
रासायनिक गुण
- अम्लों से अभिक्रिया (उदासीनीकरण): क्षार अम्लों से अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
उदाहरण: KOH(aq) + HCl(aq) → KCl(aq) + H₂O(l) - अधात्विक ऑक्साइडों से अभिक्रिया: ये CO₂, SO₂ जैसे अम्लीय ऑक्साइडों से अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं।
उदाहरण: 2NaOH(aq) + CO₂(g) → Na₂CO₃(aq) + H₂O(l)
क्षारों की प्रबलता
- प्रबल क्षार (Strong Bases): वे क्षार जो जलीय विलयन में पूरी तरह से आयनित होकर OH⁻ आयनों की उच्च सांद्रता देते हैं। उदाहरण: NaOH, KOH, Ca(OH)₂।
- दुर्बल क्षार (Weak Bases): वे क्षार जो जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनित होते हैं। उदाहरण: NH₄OH (अमोनियम हाइड्रॉक्साइड), Mg(OH)₂।