सहसंयोजी बंध व इससे बने यौगिकों के गुण
सहसंयोजी बंध क्या है?
सहसंयोजी बंध (Covalent Bond) वह रासायनिक बंध है जो दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी (Sharing of Electrons) से बनता है। यह बंध उन परमाणुओं के बीच बनता है जिनकी विद्युत ऋणात्मकता का अंतर बहुत कम होता है।
उदाहरण: H₂, O₂, CH₄ आदि में सहसंयोजी बंध पाया जाता है।
सहसंयोजी बंध के प्रकार
- एकल बंध (Single Bond): जब दो परमाणु एक ही इलेक्ट्रॉन जोड़ी साझा करते हैं। उदाहरण: H₂
- द्वि-बंध (Double Bond): जब दो परमाणु दो इलेक्ट्रॉन जोड़ियाँ साझा करते हैं। उदाहरण: O₂
- त्रि-बंध (Triple Bond): जब दो परमाणु तीन इलेक्ट्रॉन जोड़ियाँ साझा करते हैं। उदाहरण: N₂
मुख्य तथ्य और आंकड़े
- सहसंयोजी बंध में शामिल यौगिक आमतौर पर गैस, तरल, या ठोस अवस्था में पाए जाते हैं।
- सहसंयोजी यौगिकों का गलनांक और स्फुटनांक आयनिक यौगिकों की तुलना में कम होता है।
- उदाहरण: CH₄ का स्फुटनांक -161°C है।
- पानी (H₂O) का सहसंयोजी बंध जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
- सहसंयोजी यौगिक विद्युत के खराब चालक होते हैं।
उदाहरण
यौगिक (Compound) | बंध का प्रकार | संरचना |
---|---|---|
हाइड्रोजन (H₂) | एकल बंध | H-H |
ऑक्सीजन (O₂) | द्वि-बंध | O=O |
नाइट्रोजन (N₂) | त्रि-बंध | N≡N |
मीथेन (CH₄) | एकल बंध | H-C-H (टेट्राहेड्रल) |
सहसंयोजी यौगिकों के गुण
- गलनांक और स्फुटनांक कम: सहसंयोजी यौगिक कमजोर अंतःआणविक बलों के कारण कम तापमान पर पिघलते और उबलते हैं।
- विद्युत चालकता: ये यौगिक विद्युत के खराब चालक होते हैं क्योंकि इनमें मुक्त आयन नहीं होते।
- घुलनशीलता: ये ध्रुवीय यौगिक पानी में घुलते हैं, लेकिन अध्रुवीय यौगिक कार्बनिक विलायकों में घुलते हैं।
- क्रिस्टल संरचना: कुछ सहसंयोजी यौगिक जैसे हीरा (Diamond) ठोस अवस्था में अत्यधिक कठोर होते हैं।
महत्त्व
- सहसंयोजी यौगिकों का उपयोग जीव विज्ञान, औषधि, और रासायनिक उद्योग में होता है।
- यह जीवन की आधारभूत प्रक्रियाओं, जैसे कि प्रोटीन और डीएनए संरचना, को समझने में सहायक है।