विद्युत संयोजी बंध व इसके गुण
विद्युत संयोजी बंध क्या है?
विद्युत संयोजी बंध (Electrovalent Bond), जिसे आयनिक बंध (Ionic Bond) भी कहा जाता है, वह रासायनिक बंध है जो दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों के हस्तांतरण से बनता है।
इस बंध में:
- एक परमाणु इलेक्ट्रॉन खोकर धनायन (Cation) बनता है।
- दूसरा परमाणु इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर ऋणायन (Anion) बनता है।
उदाहरण: NaCl (सोडियम क्लोराइड) में Na⁺ और Cl⁻ आयनों के बीच विद्युत संयोजी बंध होता है।
विद्युत संयोजी बंध बनने की शर्तें
- एक परमाणु की आयनीकरण ऊर्जा कम होनी चाहिए।
- दूसरे परमाणु की इलेक्ट्रॉन बंधुता अधिक होनी चाहिए।
- दोनों परमाणुओं के बीच विद्युत ऋणात्मकता का अंतर 2.0 या उससे अधिक होना चाहिए।
मुख्य तथ्य और आंकड़े
- सोडियम (Na) की विद्युत ऋणात्मकता: 0.93
- क्लोरीन (Cl) की विद्युत ऋणात्मकता: 3.16
- NaCl का गलनांक: 801°C
- MgO का स्फुटनांक: 3600°C
- आयनिक बंध बनाने के लिए ऊर्जा को लैटिस एनर्जी कहा जाता है।
उदाहरण
यौगिक (Compound) | धनायन (Cation) | ऋणायन (Anion) | बंध |
---|---|---|---|
सोडियम क्लोराइड (NaCl) | Na⁺ | Cl⁻ | आयनिक |
पोटैशियम ब्रोमाइड (KBr) | K⁺ | Br⁻ | आयनिक |
मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) | Mg²⁺ | O²⁻ | आयनिक |
कैल्शियम क्लोराइड (CaCl₂) | Ca²⁺ | Cl⁻ | आयनिक |
विद्युत संयोजी बंध के गुण
- उच्च गलनांक और स्फुटनांक: आयनिक यौगिक मजबूत होते हैं।
- जल में घुलनशीलता: अधिकांश आयनिक यौगिक जल में घुलनशील होते हैं।
- विद्युत चालकता: घुलने पर या पिघलने पर विद्युत का संचालन करते हैं।
- क्रिस्टलीय संरचना: ठोस अवस्था में ये क्रिस्टलीय होते हैं।
महत्त्व
- आयनिक बंध रासायनिक यौगिकों के गुणधर्म और संरचना को समझने में सहायक है।
- इनका उपयोग उर्वरकों, औषधियों, और औद्योगिक रसायनों में होता है।
- आयनिक बंध ऊर्जा के हस्तांतरण और रासायनिक प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।