परिचय: सरल आवर्त गति में ऊर्जा
सरल आवर्त गति (SHM) करने वाले कण में दो प्रकार की ऊर्जा होती है: स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा। यदि कोई अवमंदक बल (damping force) कार्य नहीं कर रहा हो, तो निकाय की कुल यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती है। ऊर्जा लगातार स्थितिज और गतिज रूपों के बीच बदलती रहती है।
स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy, PE)
यह ऊर्जा प्रत्यानयन बल के विरुद्ध विस्थापन के कारण कण में संग्रहीत होती है।
- यह माध्य स्थिति (x=0) पर न्यूनतम (शून्य) होती है।
- यह चरम स्थितियों (x=±A) पर अधिकतम होती है।
सूत्र
PE = ½kx² = ½mω²x²
जहाँ k बल नियतांक, x विस्थापन, m द्रव्यमान, और ω कोणीय आवृत्ति है।
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy, KE)
यह ऊर्जा कण की गति के कारण होती है।
- यह माध्य स्थिति (x=0) पर अधिकतम होती है, जहाँ वेग सबसे अधिक होता है।
- यह चरम स्थितियों (x=±A) पर न्यूनतम (शून्य) होती है, जहाँ कण क्षण भर के लिए रुक जाता है।
सूत्र
KE = ½mω²(A² – x²)
जहाँ A आयाम (amplitude) है।
कुल ऊर्जा (Total Energy, TE)
SHM में कुल ऊर्जा गतिज और स्थितिज ऊर्जा का योग होती है।
व्युत्पत्ति
TE = PE + KE
TE = (½mω²x²) + (½mω²(A² – x²))
TE = ½mω²(x² + A² – x²)
TE = ½mω²A²
यह सूत्र दर्शाता है कि SHM में कुल ऊर्जा हमेशा नियत रहती है और यह आयाम (A) के वर्ग के समानुपाती होती है।
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण
प्रश्न: 2 kg का एक पिंड SHM कर रहा है जिसका आयाम 10 cm और आवर्त काल 2 s है। जब विस्थापन 5 cm हो तो उसकी गतिज और स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
m = 2 kg
A = 10 cm = 0.1 m
T = 2 s
x = 5 cm = 0.05 m
कोणीय आवृत्ति (ω) = 2π/T = 2π/2 = π rad/s
1. स्थितिज ऊर्जा (PE):
PE = ½mω²x²
PE = ½ × 2 × (π)² × (0.05)²
PE = π² × 0.0025 ≈ 9.87 × 0.0025
PE ≈ 0.0247 J
2. गतिज ऊर्जा (KE):
KE = ½mω²(A² – x²)
KE = ½ × 2 × (π)² × (0.1² – 0.05²)
KE = π² × (0.01 – 0.0025) = π² × 0.0075
KE ≈ 9.87 × 0.0075
KE ≈ 0.074 J