हुक का नियम (Hooke’s Law)
1. हुक का नियम क्या है? (What is Hooke’s Law?)
हुक का नियम (Hooke’s Law) कहता है कि किसी प्रत्यास्थ पदार्थ में तनाव (Stress) उसके विकृति (Strain) के अनुपात में होता है, जब तक कि पदार्थ की प्रत्यास्थ सीमा (Elastic Limit) के भीतर हो। इसका अर्थ यह है कि जितना अधिक बल किसी वस्तु पर लगाया जाएगा, उतनी ही अधिक विकृति उत्पन्न होगी।
2. हुक का नियम का गणितीय व्याख्यान (Mathematical Expression of Hooke’s Law)
हुक के नियम को निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है:
F = -kx
जहाँ:
- F = प्रत्यास्थ बल (Elastic Force)
- k = प्रत्यास्थ स्थिरांक (Elastic Constant or Spring Constant)
- x = विक्षेपण (Displacement)
यहाँ नकारात्मक चिह्न (Negative Sign) दर्शाता है कि प्रत्यास्थ बल विक्षेपण के विपरीत दिशा में होता है।
3. प्रत्यास्थ स्थिरांक (Elastic Constant)
प्रत्यास्थ स्थिरांक (k) किसी वस्तु का वह गुण है जो बताता है कि वस्तु कितनी कठोर है। अधिक प्रत्यास्थ स्थिरांक का अर्थ है कि वस्तु को विक्षेपित करना अधिक कठिन होगा।
4. हुक का नियम के अनुप्रयोग (Applications of Hooke’s Law)
- स्प्रिंग बैलेंस (Spring Balance): हुक के नियम का उपयोग स्प्रिंग बैलेंस में किया जाता है, जिससे वजन मापने में सहायता मिलती है।
- शॉक एब्जॉर्बर (Shock Absorbers): वाहनों में शॉक एब्जॉर्बर्स प्रत्यास्थ बल का उपयोग करते हैं ताकि वे झटकों को सोख सकें।
- इमारतों में: संरचनाओं को प्रत्यास्थता के सिद्धांत के अनुसार बनाया जाता है ताकि वे बाहरी बलों का सामना कर सकें।
5. उदाहरण (Example)
मान लें कि 10 N का बल एक स्प्रिंग पर लगाया जाता है जिसका प्रत्यास्थ स्थिरांक (k) 5 N/m है। स्प्रिंग में विक्षेपण (x) होगा:
x = F / k = 10 / 5 = 2 m
अर्थात, स्प्रिंग 2 मीटर तक खिंच जाएगी।