परिचय: चल कुंडली गैल्वेनोमीटर (Moving Coil Galvanometer)
चल कुंडली गैल्वेनोमीटर एक संवेदनशील उपकरण है जिसका उपयोग किसी परिपथ में बहुत छोटी विद्युत धाराओं का पता लगाने और उन्हें मापने के लिए किया जाता है। यह विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के सिद्धांत पर आधारित है।
सिद्धांत (Principle)
इसका कार्य सिद्धांत यह है कि “जब एक धारावाही कुंडली को एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो यह एक बल आघूर्ण (torque) का अनुभव करती है।” यह बल आघूर्ण कुंडली को घुमाता है।
- बल आघूर्ण का सूत्र: τ = NIABsinθ
- जहाँ N फेरों की संख्या, I धारा, A कुंडली का क्षेत्रफल, B चुंबकीय क्षेत्र और θ कुंडली के तल और चुंबकीय क्षेत्र के बीच का कोण है।
कार्यप्रणाली (Working)
जब कुंडली में धारा (I) प्रवाहित होती है, तो उस पर एक विक्षेपक बल आघूर्ण (τ = NIAB) लगता है। यह बल आघूर्ण कुंडली को घुमाता है। कुंडली के घूमने से स्प्रिंग में एक ऐंठन बल आघूर्ण (restoring torque) उत्पन्न होता है, जो विक्षेपक बल आघूर्ण का विरोध करता है (τ_restore = kθ)।
संतुलन की स्थिति में, दोनों बल आघूर्ण बराबर हो जाते हैं:
संतुलन की स्थिति
विक्षेपक बल आघूर्ण = ऐंठन बल आघूर्ण
NIAB = kθ
I = (k/NAB)θ
चूंकि (k/NAB) एक नियतांक है, इसलिए I ∝ θ।
अतः, कुंडली में विक्षेप (θ) उसमें प्रवाहित धारा (I) के समानुपाती होता है।
गैल्वेनोमीटर का रूपांतरण (Conversion)
अमीटर में रूपांतरण (Conversion into Ammeter)
गैल्वेनोमीटर को अमीटर में बदलने के लिए, इसकी कुंडली के साथ समांतर क्रम में एक बहुत कम प्रतिरोध का तार जोड़ा जाता है, जिसे शंट (Shunt) कहते हैं।
वोल्टमीटर में रूपांतरण (Conversion into Voltmeter)
गैल्वेनोमीटर को वोल्टमीटर में बदलने के लिए, इसकी कुंडली के साथ श्रेणीक्रम में एक बहुत उच्च प्रतिरोध का तार जोड़ा जाता है।