बहुलीकरण व उसकी विशेषताएं
बहुलीकरण क्या है?
बहुलीकरण (Polymerization) एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें छोटे अणु (मोनोमर) आपस में जुड़कर बड़े अणु (पॉलीमर) का निर्माण करते हैं।
यह प्रक्रिया प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार के यौगिकों के निर्माण में महत्वपूर्ण है।
बहुलीकरण के प्रकार
प्रकार | परिभाषा | उदाहरण |
---|---|---|
संयोजन बहुलीकरण (Addition Polymerization) | मोनोमरों के आपसी जुड़ने से पॉलीमर का निर्माण। | पॉलीथीन, पॉलीप्रोपाइलीन |
संघनन बहुलीकरण (Condensation Polymerization) | मोनोमरों के जुड़ने के साथ छोटे अणु (जैसे पानी) का निष्कासन। | नायलॉन, पॉलिएस्टर |
बहुलीकरण की विशेषताएँ
- बहुलीकरण से बनने वाले पॉलीमर का उच्च आणविक भार होता है।
- पॉलीमर में यांत्रिक और भौतिक गुणों की विविधता होती है।
- यह प्रक्रिया ऊष्माक्षेपण (Exothermic) या ऊष्माशोषण (Endothermic) हो सकती है।
- पॉलीमर को थर्मोप्लास्टिक (Thermoplastic) और थर्मोसेटिंग (Thermosetting) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
पॉलीमर के उपयोग
- प्लास्टिक: पॉलीथीन, पीवीसी, और पॉलिप्रोपाइलीन।
- कपड़ा उद्योग: नायलॉन, पॉलिएस्टर।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: इन्सुलेटर और सर्किट बोर्ड।
- चिकित्सा: जैव-सामग्री (Biomaterials), सर्जिकल उपकरण।
- रसायन उद्योग: रेजिन, गोंद।
विशेष तथ्य
- पॉलीथीन सबसे सामान्य और सस्ता पॉलीमर है।
- नायलॉन पहली व्यावसायिक रूप से उत्पादित सिंथेटिक फाइबर था।
- बहुलीकरण का उपयोग जीवाश्म ईंधन और जैविक स्रोतों से पॉलीमर बनाने में होता है।