धातु निष्कर्षण (धातुकर्म) का परिचय
धातुकर्म (Metallurgy) वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी है जो अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण और उनके शोधन से संबंधित है। प्रकृति में अधिकांश धातुएँ स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाई जातीं, बल्कि वे अन्य तत्वों के साथ यौगिकों के रूप में मौजूद होती हैं, जिन्हें खनिज (Minerals) कहते हैं।
वे खनिज जिनसे धातु का निष्कर्षण आसानी से और आर्थिक रूप से लाभदायक होता है, उन्हें अयस्क (Ores) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, बॉक्साइट ($Al_2O_3.2H_2O$) एल्युमिनियम का एक अयस्क है।
धातुकर्म के मुख्य चरण
अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया में मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं:
- अयस्कों का सांद्रण (Concentration of Ores)
- सांद्रित अयस्क से धातु का निष्कर्षण (Extraction of Metal from Concentrated Ore)
- धातु का शोधन (Refining of Metal)
1. अयस्कों का सांद्रण
अयस्कों में मौजूद मिट्टी, रेत जैसी अशुद्धियों, जिन्हें गैंग (Gangue) या आधात्री (Matrix) कहते हैं, को हटाने की प्रक्रिया को सांद्रण कहते हैं। इसके लिए कई विधियाँ हैं, जैसे- गुरुत्वीय पृथक्करण, चुंबकीय पृथक्करण और झाग प्लवन विधि।
2. सांद्रित अयस्क से धातु का निष्कर्षण
यह चरण धातु की अभिक्रियाशीलता पर निर्भर करता है। इसमें मुख्य रूप से दो पद होते हैं:
- (a) धातु ऑक्साइड में परिवर्तन:
- निस्तापन (Calcination): इस प्रक्रिया में, कार्बोनेट अयस्कों को वायु की अनुपस्थिति में उनके गलनांक से कम तापमान पर गर्म करके ऑक्साइड में बदला जाता है। उदाहरण: $ZnCO_3(s) \rightarrow ZnO(s) + CO_2(g)$
- भर्जन (Roasting): इस प्रक्रिया में, सल्फाइड अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइड में बदला जाता है। उदाहरण: $2ZnS(s) + 3O_2(g) \rightarrow 2ZnO(s) + 2SO_2(g)$
- (b) धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन:
- प्रगलन (Smelting): इस प्रक्रिया में, धातु ऑक्साइड को एक उपयुक्त अपचायक (reducing agent) जैसे कार्बन (कोक) के साथ मिलाकर उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे धातु प्राप्त होती है। उदाहरण: $ZnO + C \rightarrow Zn + CO$.
- अत्यधिक अभिक्रियाशील धातुओं (जैसे Na, K, Al) का निष्कर्षण विद्युत-अपघटनी अपचयन (electrolytic reduction) द्वारा किया जाता है।
3. धातु का शोधन (Refining)
अपचयन से प्राप्त धातु आमतौर पर अशुद्ध होती है। इन अशुद्धियों को हटाकर शुद्ध धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया को शोधन कहते हैं। विद्युत-अपघटनी शोधन (Electrolytic refining) सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली विधि है, जिसका उपयोग तांबा, जिंक, टिन, निकल, चांदी, सोना आदि को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।