कार्य-ऊर्जा प्रमेय (Work-Energy Theorem)
1. कार्य-ऊर्जा प्रमेय का परिचय (Introduction to Work-Energy Theorem)
कार्य-ऊर्जा प्रमेय (Work-Energy Theorem) के अनुसार, किसी वस्तु पर किया गया कुल कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में हुए परिवर्तन के बराबर होता है। इसे इस प्रकार लिखा जा सकता है:
W = ΔKE
जहाँ:
- W = कुल कार्य (Total Work)
- ΔKE = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन (Change in Kinetic Energy)
2. कार्य-ऊर्जा प्रमेय का गणितीय व्याख्यान (Mathematical Expression of Work-Energy Theorem)
यदि किसी वस्तु की प्रारंभिक गति u है और उसका द्रव्यमान m है, तो उसकी प्रारंभिक गतिज ऊर्जा:
KEinitial = (1/2)mu²
और यदि अंतिम गति v हो, तो उसकी अंतिम गतिज ऊर्जा:
KEfinal = (1/2)mv²
इसलिए, गतिज ऊर्जा में परिवर्तन:
ΔKE = (1/2)mv² – (1/2)mu²
अतः, कार्य-ऊर्जा प्रमेय:
W = (1/2)mv² – (1/2)mu²
3. कार्य-ऊर्जा प्रमेय का महत्व (Importance of Work-Energy Theorem)
कार्य-ऊर्जा प्रमेय का उपयोग वस्तुओं की गति में परिवर्तन के कारण उत्पन्न ऊर्जा को समझने के लिए किया जाता है। यह भौतिकी में विशेष रूप से गति, बल, और ऊर्जा के अध्ययन में सहायक है।
4. उदाहरण (Example)
मान लें कि 10 किग्रा का एक बॉक्स 2 m/s की प्रारंभिक गति से चल रहा है और 5 N का बल लगने के बाद इसकी गति 6 m/s हो जाती है।
प्रारंभिक गतिज ऊर्जा: KEinitial = (1/2) × 10 × (2)² = 20 जूल
अंतिम गतिज ऊर्जा: KEfinal = (1/2) × 10 × (6)² = 180 जूल
गतिज ऊर्जा में परिवर्तन: ΔKE = 180 – 20 = 160 जूल
अतः, कार्य = 160 जूल