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ज़ेनर डायोड, एलईडी, फोटो डायोड

परिचय: विशेष प्रयोजन पी-एन संधि डायोड

साधारण पी-एन संधि डायोड के अलावा, कुछ विशेष डायोड भी होते हैं जिन्हें विशिष्ट कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनमें जेनर डायोड, प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED), और फोटोडायोड प्रमुख हैं। ये सभी अर्धचालक भौतिकी के सिद्धांतों पर आधारित हैं लेकिन इनके गुण और अनुप्रयोग भिन्न होते हैं।

जेनर डायोड (Zener Diode)

परिभाषा: जेनर डायोड एक विशेष प्रकार का डायोड है जिसे विशेष रूप से पश्च अभिनति (Reverse Bias) में भंजन (breakdown) क्षेत्र में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

सिद्धांत और कार्यप्रणाली

जब एक सामान्य डायोड पर पश्च वोल्टेज बढ़ाया जाता है, तो एक निश्चित वोल्टेज पर (जिसे भंजन वोल्टेज कहते हैं) उसमें अचानक बहुत अधिक धारा प्रवाहित होने लगती है। जेनर डायोड को इसी भंजन वोल्टेज (जिसे जेनर वोल्टेज, Vz कहते हैं) पर संचालित किया जाता है। इस स्थिति में, डायोड के सिरों पर वोल्टेज लगभग स्थिर रहता है, भले ही धारा में काफी परिवर्तन हो।

  • मुख्य अनुप्रयोग: इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वोल्टेज रेगुलेटर के रूप में होता है, जहाँ यह एक अस्थिर इनपुट वोल्टेज से एक स्थिर आउटपुट वोल्टेज प्रदान करता है।

प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light Emitting Diode – LED)

परिभाषा: LED एक विशेष पी-एन संधि डायोड है जो अग्र अभिनति (Forward Bias) में होने पर प्रकाश उत्सर्जित करता है।

सिद्धांत और कार्यप्रणाली

जब LED को अग्र अभिनति में जोड़ा जाता है, तो N-क्षेत्र से इलेक्ट्रॉन और P-क्षेत्र से होल संधि की ओर चलते हैं और वहाँ पुनर्संयोजित होते हैं। इस पुनर्संयोजन प्रक्रिया में, ऊर्जा फोटॉन (प्रकाश) के रूप में मुक्त होती है। उत्सर्जित प्रकाश का रंग अर्धचालक पदार्थ के ऊर्जा अंतराल (energy gap) पर निर्भर करता है।

  • पदार्थ: गैलियम आर्सेनाइड (GaAs), गैलियम फॉस्फाइड (GaP) जैसे यौगिक अर्धचालकों का उपयोग किया जाता है।
  • अनुप्रयोग: सूचक लैंप, डिस्प्ले स्क्रीन, सजावटी प्रकाश व्यवस्था, ट्रैफिक सिग्नल।

फोटोडायोड (Photodiode)

परिभाषा: फोटोडायोड एक विशेष पी-एन संधि डायोड है जो प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह प्रकाश का पता लगाने के लिए एक संसूचक के रूप में कार्य करता है।

सिद्धांत और कार्यप्रणाली

फोटोडायोड को पश्च अभिनति (Reverse Bias) में संचालित किया जाता है। जब संधि पर उपयुक्त आवृत्ति का प्रकाश आपतित होता है, तो यह इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पन्न करता है। ये आवेश वाहक अवक्षय परत के विद्युत क्षेत्र के कारण अलग हो जाते हैं, जिससे एक छोटी उत्क्रम धारा प्रवाहित होती है। इस धारा का मान आपतित प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होता है।

  • अनुप्रयोग: प्रकाश संसूचक, रिमोट कंट्रोल में, ऑप्टिकल संचार, बारकोड स्कैनर।

संख्यात्मक उदाहरण

उदाहरण 1 (जेनर डायोड)

प्रश्न: एक 6.0 V जेनर डायोड का उपयोग वोल्टेज रेगुलेटर के रूप में किया जाता है। यदि लोड प्रतिरोध 2 kΩ है, तो लोड से प्रवाहित होने वाली धारा की गणना करें।

हल:
जेनर डायोड अपने सिरों पर वोल्टेज को स्थिर रखता है।
लोड के सिरों पर वोल्टेज (Vₗ) = जेनर वोल्टेज (Vz) = 6.0 V
लोड प्रतिरोध (Rₗ) = 2 kΩ = 2000 Ω

ओम के नियम से, लोड धारा (Iₗ) = Vₗ / Rₗ
Iₗ = 6.0 V / 2000 Ω
Iₗ = 0.003 A या 3 mA

उदाहरण 2 (LED)

प्रश्न: एक लाल LED 1.8 V पर संचालित होती है और 10 mA की धारा लेती है। इसे 5 V की बैटरी से जोड़ने के लिए आवश्यक श्रेणी प्रतिरोधक का मान क्या होना चाहिए?

हल:
स्रोत वोल्टेज (Vs) = 5 V
LED वोल्टेज (VₗₑᏧ) = 1.8 V
आवश्यक धारा (I) = 10 mA = 0.01 A

प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टेज ड्रॉप (Vᵣ) = Vs – VₗₑᏧ
Vᵣ = 5 V – 1.8 V = 3.2 V

ओम के नियम से, R = Vᵣ / I
R = 3.2 V / 0.01 A
R = 320 Ω

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