भूकंप का वितरण (Distribution of Earthquakes)
वैश्विक भूकंपीय बेल्ट्स (Global Seismic Belts)
भूकंप मुख्य रूप से कुछ विशेष भौगोलिक क्षेत्रों में केंद्रित होते हैं, जिन्हें भूकंपीय बेल्ट कहा जाता है:
- रिंग ऑफ फायर: यह प्रशांत महासागर के किनारे स्थित है और दुनिया के 75% भूकंपों का कारण बनता है।
- मध्य-अटलांटिक रिज: यह एक अपसरण सीमा पर स्थित है, जहां नई पर्पटी का निर्माण होता है।
- भूमध्यसागरीय-हिमालय बेल्ट: यह यूरेशियन और इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट्स के संगमनी क्षेत्र में स्थित है।
“रिंग ऑफ फायर” और अन्य प्रमुख क्षेत्र (Ring of Fire and Other Major Zones)
रिंग ऑफ फायर और अन्य प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र भूकंप के केंद्र हैं:
- रिंग ऑफ फायर:
- यह प्रशांत महासागर को घेरे हुए है और दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों और भूकंपों का केंद्र है।
- प्रमुख क्षेत्र: जापान, इंडोनेशिया, चिली, अलास्का।
- मध्य-अटलांटिक रिज:
- यह एक अपसरण सीमा है, जहां नई पर्पटी का निर्माण होता है।
- प्रमुख क्षेत्र: आइसलैंड।
- भूमध्यसागरीय क्षेत्र:
- यह संगमनी सीमा पर स्थित है और यूरोप और एशिया को प्रभावित करता है।
- प्रमुख क्षेत्र: इटली, ग्रीस, टर्की।
भारत में भूकंप संभावित क्षेत्र (Earthquake-Prone Areas in India)
भारत भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित है, जो भूकंप की तीव्रता और आवृत्ति को दर्शाते हैं:
- जोन V: सबसे अधिक जोखिम वाला क्षेत्र, जिसमें कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्य शामिल हैं।
- जोन IV: उच्च जोखिम वाला क्षेत्र, जिसमें दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- जोन III: मध्यम जोखिम वाला क्षेत्र, जिसमें महाराष्ट्र, ओडिशा, और राजस्थान के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- प्रमुख भूकंप: 2001 का कच्छ भूकंप, 1905 का कांगड़ा भूकंप।
परीक्षापयोगी तथ्य
- रिंग ऑफ फायर को “प्रशांत ज्वालामुखीय बेल्ट” भी कहा जाता है।
- भारत में भूकंपीय क्षेत्रों को जोन I से V में वर्गीकृत किया गया है।
- मध्य-अटलांटिक रिज एक अपसरण सीमा है, जहां पृथ्वी की पर्पटी का निर्माण होता है।
- 2001 का कच्छ भूकंप (7.7 तीव्रता) भारत के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक था।
- हिमालय क्षेत्र में सबसे अधिक भूकंपीय गतिविधि दर्ज की जाती है।