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झूम खेती (Shifting Cultivation)

झूम खेती (Shifting Cultivation)

झूम खेती (Shifting Cultivation)

🔥 1. परिचय (Introduction)

झूम खेती जिसे स्थानांतरित खेती या स्लैश एंड बर्न खेती भी कहा जाता है, एक पारंपरिक कृषि पद्धति है जिसमें वन भूमि को काटकर और जलाकर खेती की जाती है। यह पद्धति मुख्यतः पूर्वोत्तर भारत और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में प्रचलित है।

🌾 2. प्रथाएँ (Practices)

  1. भूमि चयन: पहाड़ी ढलानों पर घने वन क्षेत्रों का चयन किया जाता है।
  2. काटना: पेड़ों और वनस्पतियों को काटा जाता है।
  3. जलाना: सूखे पौधों को जलाया जाता है, जिससे राख मिट्टी में मिलती है।
  4. बुआई: राखयुक्त मिट्टी में बीज बोए जाते हैं, आमतौर पर बिना जुताई के।
  5. फसल उत्पादन: फसलें बिना किसी उर्वरक या कीटनाशक के उगाई जाती हैं।
  6. स्थानांतरण: कुछ वर्षों के बाद, मिट्टी की उर्वरता घटने पर नई भूमि का चयन किया जाता है।

📍 3. क्षेत्र (Regions)

झूम खेती मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रचलित है:

  • पूर्वोत्तर भारत: असम, नागालैंड, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर
  • अन्य क्षेत्र: ओडिशा के कुछ आदिवासी क्षेत्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र

🌿 4. फसलें (Crops Grown)

  • चावल
  • मक्का
  • ज्वार
  • बाजरा
  • दलहन और तिलहन
  • कंदमूल और सब्जियाँ

🌍 5. पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impact)

5.1 नकारात्मक प्रभाव (Negative Impacts)

  • वनों की कटाई: झूम खेती वनों की कटाई का कारण बनती है, जिससे जैव विविधता घटती है।
  • मृदा अपरदन: पेड़ों की कमी से मिट्टी का क्षरण होता है, जिससे भूमि की उर्वरता घटती है।
  • कार्बन उत्सर्जन: पेड़ों को जलाने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है।
  • जल स्रोतों पर प्रभाव: वनस्पतियों की कमी से जल संग्रहण घटता है, जिससे जल स्रोत सूखते हैं।

5.2 सकारात्मक प्रभाव (Positive Impacts)

  • परंपरागत ज्ञान का संरक्षण: यह पद्धति आदिवासी समुदायों के पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति को संरक्षित करती है।
  • प्राकृतिक उर्वरक का उपयोग: राख मिट्टी में मिलकर उर्वरता बढ़ाती है।
  • बहुफसली प्रणाली: विभिन्न फसलों को एक साथ उगाया जाता है, जिससे पोषण सुरक्षा मिलती है।

⚖️ 6. सामाजिक और आर्थिक पहलू (Social and Economic Aspects)

  • जीविका का स्रोत: झूम खेती आदिवासी समुदायों की जीविका का मुख्य स्रोत है।
  • सामाजिक संरचना: सामूहिक खेती और संसाधनों का साझा उपयोग सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य: आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी होती है।

📚 7. परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts for Exams)

  • झूम खेती को “शिफ्टिंग कल्टीवेशन” या “स्लैश एंड बर्न” खेती कहा जाता है।
  • यह पद्धति मुख्यतः पूर्वोत्तर भारत में प्रचलित है।
  • झूम खेती वनों की कटाई और पर्यावरणीय समस्याओं का कारण बनती है।
  • सरकार द्वारा झूम खेती को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
  • यह आदिवासी समुदायों की पारंपरिक कृषि पद्धति है।

🏛️ 8. सरकारी पहल (Government Initiatives)

  • वैकल्पिक कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहन: स्थायी कृषि तकनीकों को बढ़ावा देना।
  • वन्य क्षेत्र संरक्षण: वन क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए कानून और नीतियाँ।
  • आदिवासी विकास कार्यक्रम: शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर प्रदान करना।
  • जैव विविधता संरक्षण: पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए प्रयास।

💡 9. समाधान और सुझाव (Solutions and Suggestions)

  • स्थायी कृषि पद्धतियों का प्रशिक्षण और प्रोत्साहन।
  • समुदाय आधारित वन प्रबंधन।
  • वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान करना।
  • शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम।
  • मृदा और जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग।

🔍 10. निष्कर्ष (Conclusion)

झूम खेती एक पारंपरिक कृषि पद्धति है जो आदिवासी समुदायों की संस्कृति और जीवन शैली का अभिन्न अंग है। हालांकि, इसके पर्यावरणीय प्रभाव गंभीर हैं। स्थायी विकास के लिए आवश्यक है कि पारंपरिक ज्ञान का सम्मान करते हुए आधुनिक तकनीकों और समाधानों को अपनाया जाए, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और समुदायों की आर्थिक स्थिति दोनों में सुधार हो सके।

झूम खेती पर प्रश्नोत्तरी

झूम खेती पर प्रश्नोत्तरी

1. झूम खेती का प्रमुख उद्देश्य क्या है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2020)
(a) एक ही भूमि पर बार-बार खेती करना
(b) फसल कटाई के बाद भूमि छोड़ना
(c) आधुनिक तकनीकों का उपयोग
(d) स्थायी कृषि प्रणाली
उत्तर: (b) फसल कटाई के बाद भूमि छोड़ना
झूम खेती का उद्देश्य फसल कटाई के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से पुनः उर्वर बनने देना है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) एक ही भूमि पर बार-बार खेती नहीं की जाती।
– (c) इसमें पारंपरिक तरीकों का उपयोग होता है।
– (d) यह स्थायी कृषि नहीं है।
2. झूम खेती मुख्य रूप से किस क्षेत्र में प्रचलित है? (ICAR परीक्षा, 2019)
(a) मैदानी क्षेत्र
(b) हिमालय क्षेत्र
(c) पूर्वोत्तर भारत
(d) रेगिस्तान
उत्तर: (c) पूर्वोत्तर भारत
झूम खेती मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत के आदिवासी क्षेत्रों में की जाती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) मैदानी क्षेत्र में इसका प्रचलन नहीं है।
– (b) हिमालय क्षेत्र में सीमित मात्रा में होती है।
– (d) रेगिस्तान में यह कृषि संभव नहीं है।
3. झूम खेती में भूमि का उपयोग कैसे किया जाता है? (UPSC मुख्य परीक्षा, 2018)
(a) एक ही स्थान पर स्थायी रूप से खेती
(b) भूमि बदल-बदल कर खेती
(c) सिंचाई का अधिक उपयोग
(d) जैविक खाद का प्रयोग
उत्तर: (b) भूमि बदल-बदल कर खेती
झूम खेती में भूमि को कुछ समय के बाद छोड़ दिया जाता है और दूसरी भूमि पर खेती की जाती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) स्थायी कृषि नहीं होती।
– (c) इसमें सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती।
– (d) जैविक खाद का उपयोग सीमित है।
4. झूम खेती को अन्य किस नाम से जाना जाता है? (ICAR परीक्षा, 2020)
(a) रोटेशनल खेती
(b) शिफ्टिंग खेती
(c) स्थानांतरण खेती
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
झूम खेती को शिफ्टिंग खेती, स्थानांतरण खेती और रोटेशनल खेती के नाम से भी जाना जाता है।
5. झूम खेती के दौरान भूमि को जलाने का क्या उद्देश्य है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2021)
(a) खरपतवार को हटाना
(b) उर्वरता बढ़ाना
(c) कीट नियंत्रण
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
झूम खेती में भूमि को जलाने का उद्देश्य खरपतवार हटाना, उर्वरता बढ़ाना, और कीटों को नियंत्रित करना है।
6. झूम खेती से कौन सी पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न होती है? (UPSC मुख्य परीक्षा, 2019)
(a) मृदा अपरदन
(b) वायु प्रदूषण
(c) जल प्रदूषण
(d) ध्वनि प्रदूषण
उत्तर: (a) मृदा अपरदन
झूम खेती में भूमि को जलाने और छोड़ने के कारण मृदा अपरदन की समस्या उत्पन्न होती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) वायु प्रदूषण: यह मुख्य प्रभाव नहीं है।
– (c) जल प्रदूषण: इसका जल प्रदूषण से संबंध नहीं है।
– (d) ध्वनि प्रदूषण: इसमें ध्वनि प्रदूषण का योगदान नहीं है।
7. झूम खेती मुख्य रूप से कौन से समुदाय द्वारा की जाती है? (UPSC मुख्य परीक्षा, 2020)
(a) ग्रामीण किसान
(b) शहरी किसान
(c) आदिवासी समुदाय
(d) व्यापारी वर्ग
उत्तर: (c) आदिवासी समुदाय
झूम खेती मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय द्वारा की जाती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) ग्रामीण किसान: यह प्रणाली विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में होती है।
– (b) शहरी किसान: शहरी क्षेत्रों में नहीं होती।
– (d) व्यापारी वर्ग: इनका खेती से कोई संबंध नहीं।
8. झूम खेती में मुख्य रूप से किस प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं? (ICAR परीक्षा, 2021)
(a) नकदी फसलें
(b) खाद्य फसलें
(c) बागवानी
(d) फूलों की खेती
उत्तर: (b) खाद्य फसलें
झूम खेती में मुख्य रूप से खाद्य फसलें उगाई जाती हैं, जैसे कि चावल, मक्का आदि।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) नकदी फसलें: इनका उत्पादन कम होता है।
– (c) बागवानी: यह प्रचलित नहीं है।
– (d) फूलों की खेती: इसमें फूलों का उत्पादन नहीं होता।
9. झूम खेती को पर्यावरण के लिए हानिकारक क्यों माना जाता है? (UPSC प्रारंभिक परीक्षा, 2021)
(a) मृदा गुणवत्ता में कमी
(b) वनों की कटाई
(c) जैव विविधता ह्रास
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
झूम खेती के कारण मृदा गुणवत्ता में कमी, वनों की कटाई और जैव विविधता का ह्रास होता है, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
10. झूम खेती में भूमि को कितने वर्षों के लिए छोड़ दिया जाता है? (ICAR परीक्षा, 2022)
(a) 1-2 वर्ष
(b) 3-5 वर्ष
(c) 6-8 वर्ष
(d) 9-12 वर्ष
उत्तर: (b) 3-5 वर्ष
झूम खेती में भूमि को 3-5 वर्षों के लिए छोड़ दिया जाता है, ताकि भूमि की उर्वरता पुनः प्राप्त हो सके।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) 1-2 वर्ष: यह अवधि पर्याप्त नहीं होती।
– (c) 6-8 वर्ष: यह सामान्यतया अधिक है।
– (d) 9-12 वर्ष: इतनी लंबी अवधि नहीं छोड़ी जाती।
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