मुगल साम्राज्य: बहादुर शाह प्रथम (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
बहादुर शाह प्रथम (मूल नाम: मुअज़्ज़म), मुगल साम्राज्य का सातवां शासक था। उसका शासनकाल (1707-1712 ईस्वी) उत्तर मुगल काल की शुरुआत का प्रतीक था, जिसमें मुगल साम्राज्य का पतन स्पष्ट होने लगा था। उसे ‘शाह-ए-बेखबर’ के नाम से भी जाना जाता है।
1. प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life and Accession)
- जन्म: 14 अक्टूबर 1643 ईस्वी को बुरहानपुर में।
- पिता: औरंगजेब।
- उत्तराधिकार का संघर्ष: औरंगजेब की मृत्यु (1707 ईस्वी) के बाद, मुअज़्ज़म ने अपने भाइयों – आजम शाह (जजऊ का युद्ध, 1707 ईस्वी) और काम बख्श (हैदराबाद का युद्ध, 1709 ईस्वी) – को पराजित कर सिंहासन प्राप्त किया।
- राज्याभिषेक: 1707 ईस्वी में, लगभग 63 वर्ष की आयु में, ‘बहादुर शाह’ की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा। वह सबसे अधिक उम्र में गद्दी पर बैठने वाला मुगल शासक था।
2. नीतियां (Policies)
बहादुर शाह प्रथम ने औरंगजेब की कुछ कठोर नीतियों को बदलने का प्रयास किया और अधिक सुलह-सफाई की नीति अपनाई।
- राजपूत नीति:
- उसने राजपूतों के प्रति अधिक उदार नीति अपनाई।
- उसने आमेर के राजा जय सिंह और मारवाड़ के राजा अजीत सिंह के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने का प्रयास किया, हालांकि पूरी तरह से सफलता नहीं मिली।
- उसने राजपूतों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कम किया।
- मराठा नीति:
- उसने शिवाजी के पोते शाहू को मुगल कैद से रिहा कर दिया (1707 ईस्वी)।
- हालांकि, उसने मराठों को दक्कन में पूर्ण स्वतंत्र ‘स्वराज्य’ देने से इनकार कर दिया और उन्हें केवल चौथ और सरदेशमुखी वसूलने का अधिकार दिया।
- शाहू की रिहाई से मराठा सरदारों के बीच आंतरिक संघर्ष शुरू हो गया, जिससे मुगल साम्राज्य को कुछ राहत मिली।
- सिख नीति:
- उसने सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने का प्रयास किया और उन्हें मनसब प्रदान किया।
- गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु के बाद, बंदा बहादुर के नेतृत्व में सिखों ने मुगलों के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिसे दबाने के लिए बहादुर शाह को स्वयं अभियान चलाना पड़ा।
- धार्मिक नीति:
- उसने अकबर की तरह पूरी तरह से जजिया कर समाप्त नहीं किया, लेकिन इसे संग्रह करने का प्रयास शिथिल कर दिया, जिससे यह प्रभावी रूप से निष्क्रिय हो गया।
- उसने मंदिरों को तोड़ने का आदेश नहीं दिया और धार्मिक सहिष्णुता दिखाने का प्रयास किया।
3. प्रशासन (Administration)
बहादुर शाह प्रथम का प्रशासन कमजोर पड़ने लगा था, और उसे ‘शाह-ए-बेखबर’ (लापरवाह बादशाह) कहा जाता था।
- केंद्रीय प्रशासन का कमजोर होना:
- शाही खजाना खाली होने लगा था।
- जागीरदारी संकट और मनसबदारी प्रणाली की समस्याएँ और बढ़ गईं।
- अमीरों और गुटों के बीच संघर्ष बढ़ने लगा।
- न्याय: उसने न्याय प्रदान करने का प्रयास किया, लेकिन उसकी उदासीनता के कारण प्रशासन में ढिलाई आ गई।
4. व्यक्तित्व और विरासत (Personality and Legacy)
- व्यक्तित्व:
- वह एक उदार, शांतिप्रिय और विद्वान व्यक्ति था।
- उसे ‘शाह-ए-बेखबर’ (लापरवाह बादशाह) कहा जाता था क्योंकि वह निर्णय लेने में धीमा था और अक्सर महत्वपूर्ण मामलों को टाल देता था।
- वह धार्मिक रूप से सहिष्णु था।
- विरासत:
- उसके शासनकाल में मुगल साम्राज्य का पतन स्पष्ट होने लगा था।
- उसने साम्राज्य को पूरी तरह से बिखरने से रोकने का प्रयास किया, लेकिन उसकी सुलह-सफाई की नीतियों ने भी कुछ हद तक कमजोरियों को बढ़ाया।
- सर सिडनी ओवन ने उसके बारे में लिखा है कि “वह अंतिम मुगल शासक था, जिसके बारे में कुछ अच्छी बातें कही जा सकती हैं।”
5. मृत्यु (Death)
- मृत्यु: 27 फरवरी 1712 ईस्वी को लाहौर में, बंदा बहादुर के खिलाफ एक सैन्य अभियान के दौरान।
- उसे दिल्ली में औरंगजेब के मकबरे के आंगन में दफनाया गया।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
बहादुर शाह प्रथम का शासनकाल मुगल साम्राज्य के इतिहास में एक संक्रमणकालीन दौर था। उसने औरंगजेब की कठोर नीतियों को बदलने का प्रयास किया और अधिक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया। हालांकि, उसकी उदासीनता और निर्णय लेने में देरी ने साम्राज्य की आंतरिक कमजोरियों को बढ़ा दिया, जिससे उत्तर मुगल काल में पतन की प्रक्रिया तेज हो गई।