मुगल साम्राज्य: मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
नसीरुद्दीन रोशन अख्तर मुहम्मद शाह, जिसे आमतौर पर मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ के नाम से जाना जाता है, मुगल साम्राज्य का ग्यारहवां शासक था। उसका शासनकाल (1719-1748 ईस्वी) उत्तर मुगल काल के सबसे लंबे शासनकालों में से एक था, लेकिन यह मुगल साम्राज्य के तेजी से पतन और विघटन का भी प्रतीक था।
1. प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life and Accession)
- जन्म: 1702 ईस्वी में फतेहपुर सीकरी में।
- पिता: जहान शाह (बहादुर शाह प्रथम का पुत्र)।
- प्रारंभिक नाम: रोशन अख्तर।
- उत्तराधिकार: रफी उल-दरजात और रफी उद-दौलत की मृत्यु के बाद, सैयद बंधुओं ने उसे 1719 ईस्वी में दिल्ली की गद्दी पर बैठाया।
- ‘रंगीला’ की उपाधि: उसे उसके विलासितापूर्ण जीवन, कला और संगीत के प्रति प्रेम के कारण ‘रंगीला’ की उपाधि मिली।
2. शासनकाल और नीतियां (Reign and Policies)
मुहम्मद शाह का शासनकाल शाही सत्ता के कमजोर होने और क्षेत्रीय शक्तियों के उदय के लिए जाना जाता है।
- सैयद बंधुओं का अंत:
- प्रारंभ में, वह सैयद बंधुओं के हाथों की कठपुतली था।
- हालांकि, 1720 ईस्वी में, उसने निजाम-उल-मुल्क आसफ जाह प्रथम और सादत खान जैसे शक्तिशाली अमीरों की सहायता से सैयद बंधुओं को समाप्त कर दिया।
- यह घटना मुगल इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, क्योंकि इसने ‘किंगमेकर’ की शक्ति को समाप्त किया।
- प्रशासनिक शिथिलता:
- मुहम्मद शाह ने व्यक्तिगत रूप से प्रशासन में बहुत कम रुचि ली।
- दरबार में गुटबाजी और भ्रष्टाचार बढ़ता गया।
- जागीरदारी संकट और मनसबदारी प्रणाली की समस्याएँ और गंभीर हो गईं।
- धार्मिक नीति: उसने अकबर और बहादुर शाह प्रथम की तरह जजिया कर को पुनः समाप्त कर दिया।
3. क्षेत्रीय शक्तियों का उदय (Rise of Regional Powers)
मुहम्मद शाह के शासनकाल में मुगल साम्राज्य से कई स्वतंत्र क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ।
- हैदराबाद: निजाम-उल-मुल्क आसफ जाह प्रथम ने 1724 ईस्वी में हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
- अवध: सादत खान बुरहान-उल-मुल्क ने 1722 ईस्वी में अवध के स्वतंत्र राज्य की नींव रखी।
- बंगाल: मुर्शिद कुली खान ने बंगाल को स्वतंत्र कर लिया।
- मराठा विस्तार:
- पेशवा बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में मराठा शक्ति का तेजी से विस्तार हुआ।
- 1737 ईस्वी में मराठों ने दिल्ली पर आक्रमण किया, जिससे मुगल साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हो गई।
- जाट, सिख और राजपूत: ये शक्तियाँ भी अपनी स्वतंत्रता को मजबूत कर रही थीं।
4. नादिर शाह का आक्रमण (Invasion of Nadir Shah) (1739 ईस्वी)
यह घटना मुहम्मद शाह के शासनकाल की सबसे विनाशकारी और मुगल साम्राज्य के लिए अत्यंत अपमानजनक थी।
- आक्रमणकारी: नादिर शाह, ईरान का शासक।
- करनाल का युद्ध (24 फरवरी 1739 ईस्वी):
- नादिर शाह ने मुगल सेना को निर्णायक रूप से पराजित किया।
- मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ को बंदी बना लिया गया।
- दिल्ली की लूट:
- नादिर शाह ने दिल्ली को बेरहमी से लूटा और हजारों लोगों का नरसंहार किया।
- वह भारत से अपार धन-संपत्ति ले गया, जिसमें प्रसिद्ध मयूर सिंहासन और कोहिनूर हीरा शामिल थे।
- परिणाम:
- इस आक्रमण ने मुगल साम्राज्य की आर्थिक और सैन्य शक्ति को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
- इसने मुगल बादशाह की प्रतिष्ठा को धूमिल किया और साम्राज्य के पतन की गति को और तेज कर दिया।
5. व्यक्तित्व और विरासत (Personality and Legacy)
- व्यक्तित्व:
- मुहम्मद शाह को एक कला और संगीत प्रेमी शासक के रूप में जाना जाता है। उसके दरबार में संगीत और चित्रकला को बहुत बढ़ावा मिला।
- हालांकि, वह एक कमजोर और लापरवाह शासक था, जो राज्य के मामलों में कम रुचि रखता था।
- उसे अक्सर ‘रंगीला’ कहा जाता था क्योंकि वह अपने मनोरंजन और विलासिता में व्यस्त रहता था।
- विरासत:
- उसका शासनकाल मुगल साम्राज्य के विघटन का काल था।
- नादिर शाह के आक्रमण ने मुगल साम्राज्य की रीढ़ तोड़ दी।
- उसके शासनकाल में कई स्वतंत्र क्षेत्रीय राज्य अस्तित्व में आए, जिससे मुगल साम्राज्य केवल दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों तक सीमित रह गया।
6. मृत्यु (Death)
- मृत्यु: 26 अप्रैल 1748 ईस्वी को।
7. निष्कर्ष (Conclusion)
मुहम्मद शाह ‘रंगीला’ का शासनकाल मुगल साम्राज्य के इतिहास में एक दुखद अध्याय था। उसकी अयोग्यता, नादिर शाह का विनाशकारी आक्रमण और क्षेत्रीय शक्तियों के उदय ने एक बार के शक्तिशाली साम्राज्य को पतन के कगार पर ला दिया। उसके शासनकाल के अंत तक, मुगल बादशाह केवल नाममात्र के शासक रह गए थे, और भारत में ब्रिटिश सत्ता के उदय का मार्ग प्रशस्त हो रहा था।