Gyan Pragya
No Result
View All Result
BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
  • Current Affairs
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Hindi
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

गोरखा शासन (Gorkha Rule)

उत्तराखंड: गोरखा शासन (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

उत्तराखंड के इतिहास में चन्द्र और पंवार राजवंशों के पतन के पश्चात गोरखा शासन का एक महत्वपूर्ण, यद्यपि अल्पकालिक, अध्याय आता है। नेपाल से आए गोरखाओं ने कुमाऊँ और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया और उनका शासन अपनी क्रूरता और कठोरता के लिए जाना जाता है।

गोरखा शासन (Gorkha Rule)

कुछ त्वरित तथ्य (Quick Facts):
  • गोरखा मूल रूप से नेपाल के निवासी थे।
  • कुमाऊँ पर गोरखा शासन लगभग 25 वर्षों (1790-1815 ई.) तक रहा।
  • गढ़वाल पर गोरखा शासन लगभग 12 वर्षों (1804-1815 ई.) तक रहा (पूर्ण रूप से)।
  • गोरखा शासन को उत्तराखंड के इतिहास में “गोरख्याणी” के नाम से भी जाना जाता है, जो उनके अत्याचारों का द्योतक है।
  • गोरखा शासन का अंत आंग्ल-नेपाल युद्ध (1814-16 ई.) और सुगौली की संधि (1815/16 ई.) के परिणामस्वरूप हुआ।

कुमाऊँ पर गोरखा आक्रमण और अधिकार

  • 1790 ई. में, नेपाल के गोरखा शासक रणबहादुर शाह के नेतृत्व में, गोरखा सेना ने कुमाऊँ पर आक्रमण किया।
  • इस आक्रमण का नेतृत्व हस्तिदल चौतरिया, अमर सिंह थापा, शूरवीर थापा और जगजीत पांडे जैसे सेनापतियों ने किया।
  • तत्कालीन चन्द्र शासक महेन्द्रचन्द कमजोर और अलोकप्रिय थे।
  • हवालबाग (अल्मोड़ा के निकट) में हुए निर्णायक युद्ध में महेन्द्रचन्द पराजित हुए और कुमाऊँ पर गोरखाओं का अधिकार हो गया।
  • कुमाऊँ में प्रथम गोरखा सूबेदार (प्रशासक) जोगमल्ल शाह को नियुक्त किया गया।

गढ़वाल पर गोरखा आक्रमण और अधिकार

  • कुमाऊँ पर अधिकार के बाद गोरखाओं ने गढ़वाल पर भी आक्रमण करने का प्रयास किया।
  • 1791 ई. में लंगूरगढ़ (गढ़वाल) पर आक्रमण किया, लेकिन पंवार शासक प्रद्युम्न शाह ने उन्हें पराजित कर दिया। एक संधि हुई जिसके तहत गढ़वाल नरेश ने गोरखाओं को वार्षिक कर देना स्वीकार किया।
  • 1803 ई. में गढ़वाल में विनाशकारी भूकम्प आया, जिससे राज्य की स्थिति कमजोर हो गई।
  • इस अवसर का लाभ उठाकर, अमर सिंह थापा और हस्तिदल चौतरिया के नेतृत्व में गोरखा सेना ने पुनः गढ़वाल पर आक्रमण किया।
  • 14 मई 1804 को देहरादून के खुड़बुड़ा मैदान में हुए निर्णायक युद्ध में पंवार शासक प्रद्युम्न शाह वीरगति को प्राप्त हुए और सम्पूर्ण गढ़वाल पर गोरखाओं का अधिकार हो गया।
  • गढ़वाल में प्रथम गोरखा सूबेदार अमर सिंह थापा को बनाया गया।

गोरखा शासन व्यवस्था

गोरखा शासन मुख्यतः सैन्य आधारित और कठोर था। उनका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक राजस्व वसूलना था।

प्रशासनिक अधिकारी

  • सूबा/सुब्बा: यह सर्वोच्च प्रशासनिक और सैनिक अधिकारी होता था, जो सीधे नेपाल नरेश के प्रति उत्तरदायी था।
  • नायब सूबा: सूबा की सहायता के लिए।
  • काजी: महत्वपूर्ण प्रशासनिक और न्यायिक पदों पर नियुक्त होते थे। अमर सिंह थापा, रणजोर थापा, हस्तिदल चौतरिया, भैरव थापा प्रमुख काजी थे।
  • फौजदार: सैनिक कमांडर।
  • अमीन/दफ्तरी: राजस्व और भूमि संबंधी कार्यों के लिए।
  • ठाणेदार: स्थानीय स्तर पर कानून व्यवस्था के लिए।

न्याय व्यवस्था

  • गोरखा न्याय व्यवस्था अत्यंत कठोर और पक्षपातपूर्ण थी।
  • न्यायाधीश को विचारी कहा जाता था।
  • दिव्य प्रणाली (जैसे खौलते तेल में हाथ डालना, जहरीले सर्प से कटवाना) द्वारा न्याय किया जाता था।
  • अपराधियों को कठोर दंड दिए जाते थे, जैसे अंग-भंग, मृत्युदंड।

राजस्व व्यवस्था

  • गोरखाओं ने विभिन्न प्रकार के कर लगाए, जिससे जनता पर भारी बोझ पड़ा।
  • प्रमुख कर:
    • टीका भेंट/नजराना: शुभ अवसरों पर राजा या अधिकारियों को दिया जाने वाला उपहार।
    • पूँगी/पूँछी कर: पशुधन पर लगने वाला कर।
    • मांगा कर: युद्ध के समय या विशेष आवश्यकता पर वसूला जाने वाला अतिरिक्त कर।
    • मिझारी कर: शिल्पकारों और जागरीय ब्राह्मणों से।
    • रहता-बहता कर: गाँव छोड़कर भागे लोगों से।
    • जान्या-सुन्या कर: छिपाए गए धन पर।
    • सलामी कर: अधिकारियों को दिया जाने वाला नजराना।
    • तिमारी कर: सैनिकों को वेतन देने के लिए।
    • मरो कर: पुत्रहीन व्यक्ति से।
    • ब्राह्मणों पर कुसही कर: यह कर बामशाह ने लगाया था।
  • भूमि की माप और बंदोबस्त भी किए गए, जैसे 1811 में काजी बहादुर भंडारी द्वारा।

गोरखा शासन के अत्याचार और प्रभाव (“गोरख्याणी”)

  • गोरखा शासन को उसकी क्रूरता, अत्याचारों और अत्यधिक कर वसूली के लिए जाना जाता है।
  • किसानों और आम जनता का भारी शोषण किया गया।
  • दास प्रथा प्रचलित थी, और लोगों को गुलाम बनाकर बेचा जाता था।
  • अन्यायपूर्ण न्याय प्रणाली और कठोर दंडों से जनता त्रस्त थी।
  • इस काल को उत्तराखंड के इतिहास में एक अंधकारमय युग माना जाता है, जिसे “गोरख्याणी” कहा गया।
  • हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गोरखाओं ने कुछ हद तक प्रशासनिक एकरूपता लाने का प्रयास किया और सैन्य अनुशासन स्थापित किया।

गोरखा शासन का अंत

  • गोरखाओं के बढ़ते साम्राज्यवादी विस्तार और अंग्रेजों के साथ सीमा विवादों के कारण आंग्ल-नेपाल युद्ध (1814-1816 ई.) हुआ।
  • अंग्रेजों ने गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह (प्रद्युम्न शाह के पुत्र) की सहायता से गोरखाओं के विरुद्ध अभियान चलाया।
  • 1815 ई. में कर्नल निकोलस और गार्डनर ने अल्मोड़ा पर तथा जनरल ऑक्टेवलोनी ने पश्चिमी गढ़वाल पर अधिकार कर लिया।
  • 27 अप्रैल 1815 को कर्नल गार्डनर और गोरखा शासक बमशाह के बीच एक संधि हुई, जिसके तहत कुमाऊँ की सत्ता अंग्रेजों को सौंप दी गई।
  • दिसंबर 1815 में (पुष्टि मार्च 1816) सुगौली की संधि हुई, जिसके द्वारा गोरखाओं ने गढ़वाल और कुमाऊँ पर अपना दावा छोड़ दिया और ये क्षेत्र ब्रिटिश नियंत्रण में आ गए।
  • इस प्रकार उत्तराखंड में लगभग 25 वर्षों के क्रूर गोरखा शासन का अंत हुआ।

निष्कर्ष (Conclusion)

उत्तराखंड में गोरखा शासन एक अल्पकालिक परन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण और विवादास्पद काल था। उनके शासन को जहाँ एक ओर क्रूरता और शोषण के लिए याद किया जाता है, वहीं इसने क्षेत्र की राजनीतिक संरचना में बड़े परिवर्तन भी किए, जिसके परिणामस्वरूप अंततः ब्रिटिश शासन की स्थापना हुई। “गोरख्याणी” शब्द आज भी उस दौर की कठिनाइयों और अत्याचारों का स्मरण कराता है।

Quiz
Quiz
Questions

Instructions

  • इस Quiz में Topic से संबंधित प्रश्न हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न के लिए आपको सीमित समय मिलेगा।
  • एक बार उत्तर सबमिट करने के बाद आप उसे बदल नहीं सकते।
  • आप किसी भी प्रश्न पर जाने के लिए साइडबार नेविगेशन का उपयोग कर सकते हैं।
  • Quiz पूरा होने पर आपको अपना स्कोर और व्याख्या दिखाई जाएगी।
  • शुभकामनाएं!
1/3
Time: 00:00
Loading question…

Quiz Completed

SendShare
Previous Post

चन्द्र शासन (Chand Dynasty)

Next Post

पंवार शासन (Panwar Dynasty)

Related Posts

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

उत्तराखंड: स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) उत्तराखंड के निवासियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय और महत्वपूर्ण...

Uttarakhnd

Contribution of Uttarakhand in Freedom Struggle

June 4, 2025

आज़ादी की लड़ाई में उत्तराखंड का योगदान (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड के निवासियों ने अद्वितीय...

Uttarakhnd

विज्ञान, साहित्य और कला में विकास (Developments in Science, Literature, and Art)

May 25, 2025

गुप्त काल: विज्ञान, साहित्य और कला में विकास (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स) गुप्त काल: विज्ञान, साहित्य और कला में विकास (UPSC/PCS...

Next Post

पंवार शासन (Panwar Dynasty)

ब्रिटिश शासन (British Rule)

कुली बेगार आंदोलन (Coolie Begar Movement)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Uttarakhnd

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025
Polity

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025
Quiz

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025
uncategorized

Protected: test

May 25, 2025
Placeholder Square Image

Visit Google.com for more information.

स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखंड की भूमिका (Role of Uttarakhand in the Freedom Struggle)

June 4, 2025

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court)

May 27, 2025

गुप्त काल: प्रशासन (Gupta Period: Administration)

May 25, 2025

Protected: test

May 25, 2025

हिंदी लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग

May 24, 2025

मुहावरे और उनके अर्थ

May 24, 2025
  • Contact us
  • Disclaimer
  • Register
  • Login
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Home
  • Hindi
  • History
  • Geography
  • General Science
  • Uttarakhand
  • Economics
  • Environment
  • Static Gk
  • Quiz
  • Polity
  • Computer
  • Login
  • Contact us
  • Privacy Policy

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.