पशुधन जनसंख्या (Livestock Population)
🐄 1. परिचय (Introduction)
भारत में पशुपालन कृषि का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और आजीविका का स्रोत है। पशुधन जनसंख्या के मामले में भारत विश्व में अग्रणी है।
📊 2. पशुधन जनगणना (Livestock Census)
भारत सरकार द्वारा प्रत्येक 5 वर्षों में पशुधन जनगणना आयोजित की जाती है। नवीनतम 20वीं पशुधन जनगणना वर्ष 2019 में आयोजित की गई थी।
📈 3. प्रमुख आंकड़े (Key Statistics)
- कुल पशुधन जनसंख्या: 535.78 मिलियन
- पशुधन में वृद्धि: 2012 से 2019 के बीच 4.6% की वृद्धि
- गायों की संख्या: 192.52 मिलियन (18% की वृद्धि)
- भैंसों की संख्या: 109.85 मिलियन (1% की वृद्धि)
- भेड़ की संख्या: 74.26 मिलियन
- बकरियों की संख्या: 148.88 मिलियन
- सुअरों की संख्या: 9.06 मिलियन
- घोड़ों और खच्चरों की संख्या: 0.34 मिलियन
- ऊँटों की संख्या: 0.25 मिलियन (25% की कमी)
📍 4. राज्यवार पशुधन जनसंख्या (State-wise Livestock Population)
- उत्तर प्रदेश: सबसे अधिक पशुधन जनसंख्या वाला राज्य
- राजस्थान: ऊँटों और भेड़ों की संख्या में अग्रणी
- मध्य प्रदेश: बकरियों की संख्या में अग्रणी
- पश्चिम बंगाल: सुअरों की संख्या में अग्रणी
🌾 5. पशुपालन का महत्व (Importance of Animal Husbandry)
- ग्रामीण आजीविका का स्रोत
- दुग्ध उत्पादन और डेयरी उद्योग में योगदान
- मांस, अंडा और ऊन उत्पादन
- जैविक खाद और कृषि में उपयोग
- परिवहन और कृषि कार्यों में पशुओं का उपयोग
📚 6. परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts for Exams)
- भारत विश्व में पशुधन जनसंख्या में अग्रणी है
- गायों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है
- ऊँटों की संख्या में कमी आई है
- उत्तर प्रदेश सबसे अधिक पशुधन जनसंख्या वाला राज्य है
- पशुधन जनगणना प्रत्येक 5 वर्षों में आयोजित की जाती है
💡 7. चुनौतियाँ और समाधान (Challenges and Solutions)
- चुनौतियाँ: पशुओं के लिए चारे की कमी, पशु रोग, उत्पादकता में कमी
- समाधान: पशु स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार, उन्नत प्रजनन तकनीकें, चारा उत्पादन को बढ़ावा
🔍 8. निष्कर्ष (Conclusion)
पशुधन जनसंख्या भारत की कृषि अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है। पशुपालन के क्षेत्र में सुधार और विकास से ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
पशुधन जनसंख्या पर प्रश्नोत्तरी
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) 10 वर्ष: भारत में पशुधन जनगणना का यह अंतराल नहीं है।
– (c) 3 वर्ष: यह भी सही अंतराल नहीं है।
– (d) 7 वर्ष: पशुधन जनगणना हर 7 साल में नहीं होती।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) भैंस: भैंस की संख्या अधिक है, लेकिन गायों से कम।
– (c) बकरी: इसकी संख्या भी कम है।
– (d) भेड़: इनकी संख्या गायों से बहुत कम है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) राजस्थान: यहाँ पशुधन है, लेकिन उत्तर प्रदेश से कम।
– (c) मध्य प्रदेश: इस राज्य में भी पशुधन है, परंतु अग्रणी नहीं।
– (d) महाराष्ट्र: महाराष्ट्र भी पीछे है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) भेड़: इसका मांस और ऊन के लिए पालन होता है।
– (c) भैंस: इसे गरीबों की गाय नहीं कहा जाता।
– (d) ऊंट: यह रेगिस्तान में परिवहन के लिए अधिक उपयुक्त है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) ब्लूटंग: यह बकरियों में अधिक पाया जाता है, लेकिन उतना सामान्य नहीं।
– (c) ब्रुसेलोसिस: यह भी गंभीर है, परंतु उतना व्यापक नहीं।
– (d) रेबीज: यह एक वायरल संक्रमण है, लेकिन फुट एंड माउथ रोग अधिक फैलता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) भैंस: इनकी वृद्धि है, परंतु मुर्गियों से कम।
– (b) बकरी: बकरियों की वृद्धि भी अधिक है, लेकिन मुर्गियों से कम।
– (d) भेड़: भेड़ों की वृद्धि कम रही है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (a) गुजरात: यहाँ भेड़ों की संख्या कम है।
– (b) महाराष्ट्र: यहाँ भी भेड़ों की संख्या कम है।
– (d) राजस्थान: यहाँ भी भेड़ों की संख्या कम है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) अनाज: इसका उपयोग होता है, लेकिन प्रमुख स्रोत नहीं।
– (c) तिलहन: यह भी सीमित मात्रा में दिया जाता है।
– (d) फलीदार पौधे: ये भी सीमित मात्रा में उपयोग होते हैं।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं: – (b) भैंस: यह भी पालतू है, परंतु गाय की तुलना में कम।
– (c) बकरी: यह भी पालतू है, परंतु गाय से कम।
– (d) मुर्गी: मुर्गी पालन लोकप्रिय है, परन्तु गाय सर्वाधिक पालतू पशु है।