पठारों के गठन की प्रक्रियाएँ (Processes of Plateau Formation)
परिचय (Introduction)
पठार (Plateau) पृथ्वी की सतह पर ऊँचे और समतल क्षेत्र होते हैं, जो विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनते हैं। पठारों के गठन की प्रक्रियाओं को समझना भूविज्ञान और भूगोल के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
लावा प्रवाह और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ (Lava Flows and Volcanic Activities)
ज्वालामुखीय पठारों का गठन (Formation of Volcanic Plateaus)
ज्वालामुखीय गतिविधियों (Volcanic Activities) के कारण लावा पृथ्वी की सतह पर बहता है और ठंडा होकर कठोर हो जाता है, जिससे बड़े समतल क्षेत्र बनते हैं।
- फ्लड बेसाल्ट (Flood Basalts):
- बड़े पैमाने पर लावा प्रवाह जिससे विस्तृत क्षेत्र कवर होता है।
- उदाहरण: डीकन ट्रैप (Deccan Traps), भारत; कोलम्बिया पठार (Columbia Plateau), संयुक्त राज्य अमेरिका।
- शील्ड ज्वालामुखी (Shield Volcanoes):
- धीरे-धीरे बहने वाला लावा जो चौड़े और सपाट ज्वालामुखी बनाता है।
- हालांकि मुख्यतः द्वीपों पर पाए जाते हैं, पर कुछ पठारों का निर्माण भी करते हैं।
प्रक्रिया (Process)
ज्वालामुखीय पठारों का निर्माण कई चरणों में होता है:
- लावा का उद्गार: मैग्मा पृथ्वी के मेंटल (Mantle) से ऊपर उठता है।
- लावा प्रवाह: लावा सतह पर फैलता है, जिससे बड़े क्षेत्र कवर होते हैं।
- ठंडा होना: लावा ठंडा होकर बेसाल्टिक चट्टानों में बदल जाता है।
- परतों का निर्माण: समय के साथ लावा के कई प्रवाह परतें बनाते हैं।
महत्व (Importance)
- उर्वर मिट्टी: बेसाल्टिक चट्टानों के अपक्षय से उपजाऊ मिट्टी बनती है।
- खनिज संसाधन: लौह अयस्क, मैग्नीज, निकेल जैसे खनिज पाए जाते हैं।
- भू-वैज्ञानिक अध्ययन: पृथ्वी के आंतरिक भागों के बारे में जानकारी मिलती है।
प्लेट टेक्टोनिक्स और उठाव (Plate Tectonics and Uplift)
टेक्टोनिक पठारों का गठन (Formation of Tectonic Plateaus)
प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate Tectonics) पृथ्वी की सतह की बड़ी प्लेटों की गति को संदर्भित करता है। जब ये प्लेटें टकराती हैं या अलग होती हैं, तो भू-आकृतियाँ बनती हैं, जिनमें पठार भी शामिल हैं।
- उठाव प्रक्रियाएँ (Uplift Processes):
- महाद्वीपीय प्लेटों के टकराव से जमीन ऊपर उठती है।
- उदाहरण: तिब्बती पठार का निर्माण भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से हुआ।
- फॉल्टिंग और फोल्डिंग (Faulting and Folding):
- क्रस्ट में टूट-फूट और मोड़ के कारण पठार बनते हैं।
- उदाहरण: कोलोराडो पठार, संयुक्त राज्य अमेरिका।
प्रक्रिया (Process)
टेक्टोनिक पठारों का निर्माण निम्नलिखित चरणों में होता है:
- प्लेटों का टकराव: दो महाद्वीपीय प्लेटें आपस में टकराती हैं।
- ऊर्जा का संचय: टकराव से उत्पन्न तनाव क्रस्ट में जमा होता है।
- उठाव: तनाव के रिलीज होने से जमीन ऊपर उठती है।
- स्थिरीकरण: उठी हुई जमीन समतल होती है, जिससे पठार बनता है।
महत्व (Importance)
- नदियों का उद्गम: ऊँचाई वाले क्षेत्रों से नदियाँ निकलती हैं।
- जैव विविधता: विभिन्न ऊँचाई पर विविध पारिस्थितिकी तंत्र।
- मानव निवास: कुछ पठारों पर कृषि और शहरीकरण संभव है।
अपरदन और अपक्षय (Erosion and Weathering)
अपरदित पठारों का गठन (Formation of Erosional Plateaus)
अपरदन (Erosion) और अपक्षय (Weathering) प्रक्रियाओं से जमीन का ऊपरी हिस्सा कटकर समतल हो जाता है, जिससे पठार बनते हैं।
- विंड और वाटर अपरदन (Wind and Water Erosion):
- हवा और पानी चट्टानों को काटते हैं, जिससे ऊँचे समतल क्षेत्र बनते हैं।
- उदाहरण: साउथ अफ्रीकन हाईवेल्ड (South African Highveld)।
- ग्लेशियल अपरदन (Glacial Erosion):
- ग्लेशियर चट्टानों को काटकर समतल क्षेत्र बनाते हैं।
- उदाहरण: कनाडा में कनाडियन शील्ड (Canadian Shield)।
प्रक्रिया (Process)
अपरदित पठारों का निर्माण निम्नलिखित चरणों में होता है:
- उपरोक्त जमीन का क्षरण: हवा, पानी, बर्फ चट्टानों को काटते हैं।
- मृदा और चट्टानों का हटना: अपक्षय के कारण छोटे कण हटते हैं।
- समतल सतह का निर्माण: कठोर चट्टानें बच जाती हैं, जो समतल क्षेत्र बनाती हैं।
महत्व (Importance)
- खनिज संसाधन: अपरदित चट्टानों में खनिज जमा हो सकते हैं।
- पर्यटन: सुंदर भू-आकृतियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
- पारिस्थितिकी: विशिष्ट वनस्पति और जीवों का निवास।
पठारों के गठन की समग्र समझ (Overall Understanding of Plateau Formation)
पठारों का गठन एक या अधिक भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के संयोजन से होता है। कई बार लावा प्रवाह, टेक्टोनिक उठाव और अपरदन एक साथ मिलकर पठारों की वर्तमान संरचना को निर्धारित करते हैं।
परीक्षा उपयोगी तथ्य (Exam-Relevant Facts)
- डीकन ट्रैप: ज्वालामुखीय पठार का उदाहरण, जिसका गठन क्रेटेशियस युग के अंत में हुआ।
- तिब्बती पठार: टेक्टोनिक उठाव का परिणाम, भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से बना।
- कोलोराडो पठार: अपरदन और अपक्षय से प्रभावित, ग्रैंड कैन्यन यहाँ स्थित है।
- कनाडियन शील्ड: ग्लेशियल अपरदन से बना एक प्राचीन पठार।
- ज्वालामुखीय पठारों में उर्वर मिट्टी पाई जाती है, जो कृषि के लिए उपयुक्त है।
- टेक्टोनिक पठारों का निर्माण महाद्वीपीय प्लेटों के टकराव से होता है।
- अपरदित पठारों का निर्माण हवा, पानी और बर्फ के अपरदन से होता है।
- पठारों का अध्ययन भूविज्ञान, भूगोल और पर्यावरण विज्ञान में महत्वपूर्ण है।
- प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत का प्रतिपादन अल्फ्रेड वेगेनर ने किया था।
- पठारों पर जलवायु आमतौर पर आसपास के क्षेत्रों की तुलना में ठंडी होती है।