मुगल साम्राज्य: जहांदार शाह (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
जहांदार शाह, मुगल साम्राज्य का आठवां शासक था। उसका शासनकाल (1712-1713 ईस्वी) अत्यंत अल्पकालिक रहा और यह उत्तर मुगल काल की बढ़ती कमजोरियों और अमीरों के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक था।
1. प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life and Accession)
- जन्म: 10 मई 1661 ईस्वी को दक्कन में।
- पिता: बहादुर शाह प्रथम।
- उत्तराधिकार का संघर्ष: बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु (1712 ईस्वी) के बाद, जहांदार शाह ने अपने तीन भाइयों – अज़ीम-उस-शान, रफी-उस-शान और जहान शाह – के साथ एक क्रूर उत्तराधिकार का युद्ध लड़ा।
- जुल्फिकार खान का समर्थन: इस संघर्ष में उसे जुल्फिकार खान नामक एक शक्तिशाली ईरानी अमीर का समर्थन प्राप्त था, जिसने उसे सिंहासन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- राज्याभिषेक: 1712 ईस्वी में, जुल्फिकार खान के समर्थन से वह दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
2. नीतियां और प्रशासन (Policies and Administration)
जहांदार शाह का शासनकाल अमीरों के प्रभाव और प्रशासन में गिरावट के लिए जाना जाता है।
- जुल्फिकार खान का प्रभाव:
- जुल्फिकार खान साम्राज्य का वास्तविक शासक बन गया था और उसने ‘वजीर’ का पद संभाला।
- उसने प्रशासन में कई बदलाव किए, लेकिन उसकी नीतियाँ अक्सर व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित थीं।
- इज़ारा प्रणाली (Ijarah System):
- जुल्फिकार खान ने इज़ारा प्रणाली को बढ़ावा दिया, जिसमें भू-राजस्व एकत्र करने का अधिकार सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को दिया जाता था।
- इसने किसानों पर बोझ बढ़ाया और साम्राज्य की आय को अस्थिर किया।
- धार्मिक नीति:
- उसने जजिया कर को समाप्त कर दिया, जिसे औरंगजेब ने पुनः लागू किया था।
- उसने राजपूतों और मराठों के प्रति अधिक सुलह-सफाई की नीति अपनाई।
- उसने आमेर के जय सिंह को ‘मिर्जा राजा सवाई’ की उपाधि दी और मारवाड़ के अजीत सिंह को ‘महाराजा’ की उपाधि दी।
- शाही खजाने का दुरुपयोग: जहांदार शाह अपने विलासितापूर्ण जीवन और अपनी प्रेमिका लाल कुंवारी के प्रभाव के कारण शाही खजाने का दुरुपयोग करता था, जिससे वित्तीय संकट और गहरा गया।
3. व्यक्तित्व और विरासत (Personality and Legacy)
- व्यक्तित्व:
- जहांदार शाह को एक कमजोर, अयोग्य और विलासितापूर्ण शासक के रूप में चित्रित किया जाता है।
- वह राज्य के मामलों में कम रुचि रखता था और अक्सर अपने मनोरंजन में व्यस्त रहता था।
- विरासत:
- उसका शासनकाल मुगल साम्राज्य के तेजी से पतन की शुरुआत का प्रतीक था।
- अमीरों और गुटों का बढ़ता प्रभाव, शाही सत्ता का कमजोर होना और वित्तीय संकट उसके शासनकाल की प्रमुख विशेषताएँ थीं।
- उसने एक ऐसा precedent स्थापित किया जहाँ बादशाह की शक्ति अमीरों के हाथों में केंद्रित होने लगी।
4. मृत्यु (Death)
- पतन: जहांदार शाह के भतीजे फर्रुखसियर ने सैयद बंधुओं (सैयद हुसैन अली खान और सैयद अब्दुल्ला खान) के समर्थन से उसके खिलाफ विद्रोह किया।
- आगरा का युद्ध (1713 ईस्वी): फर्रुखसियर ने जहांदार शाह को पराजित किया।
- मृत्यु: 11 फरवरी 1713 ईस्वी को फर्रुखसियर के आदेश पर उसे मार डाला गया। उसका शासनकाल मात्र 11 महीने का था।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
जहांदार शाह का अल्पकालिक शासनकाल मुगल साम्राज्य के पतन की गति को तेज करने वाला था। उसकी अयोग्यता, जुल्फिकार खान जैसे अमीरों पर अत्यधिक निर्भरता, और शाही खजाने का दुरुपयोग ने साम्राज्य की नींव को और कमजोर कर दिया। उसके शासनकाल ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब मुगल सिंहासन पर बैठने के लिए व्यक्तिगत योग्यता से अधिक शक्तिशाली गुटों का समर्थन महत्वपूर्ण हो गया था।