परिचय: स्टोक्स का नियम (Stokes’ Law)
जॉर्ज गेब्रियल स्टोक्स द्वारा 1851 में प्रतिपादित, स्टोक्स का नियम किसी श्यान तरल (viscous fluid) में बहुत कम गति से गतिमान एक छोटी गोलाकार वस्तु पर लगने वाले श्यान कर्षण बल (viscous drag force) का वर्णन करता है। यह नियम तरल यांत्रिकी में एक मौलिक अवधारणा है।
नियम का कथन और सूत्र
कथन: “जब कोई छोटी गोलाकार वस्तु किसी श्यान तरल में गति करती है, तो उस पर लगने वाला श्यान कर्षण बल (F) वस्तु की त्रिज्या (r), उसके वेग (v), और तरल के श्यानता गुणांक (η) के समानुपाती होता है।”
सूत्र
F = 6πηrv
जहाँ:
- F = श्यान कर्षण बल (N में)
- η = तरल का श्यानता गुणांक (Pa·s में)
- r = गोलाकार वस्तु की त्रिज्या (m में)
- v = वस्तु का वेग (m/s में)
स्टोक्स के नियम की वैधता के लिए शर्तें
यह नियम केवल कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में ही सटीक रूप से लागू होता है:
- प्रवाह पटलीय (laminar) होना चाहिए।
- वस्तु कठोर और चिकनी होनी चाहिए।
- वस्तु का आकार गोलाकार होना चाहिए।
- तरल समांगी (homogeneous) होना चाहिए।
अनुप्रयोग: सीमांत वेग (Terminal Velocity)
स्टोक्स के नियम का सबसे महत्वपूर्ण अनुप्रयोग किसी तरल में गिरती हुई वस्तु के सीमांत वेग की गणना करना है। जब वस्तु पर नीचे की ओर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल, ऊपर की ओर लगने वाले उत्प्लावन बल और श्यान कर्षण बल के योग के बराबर हो जाता है, तो वस्तु एक नियत वेग (सीमांत वेग) प्राप्त कर लेती है।
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण
प्रश्न: 0.2 mm त्रिज्या की एक हवा का बुलबुला पानी में 5 cm/s के वेग से ऊपर उठ रहा है। यदि पानी का श्यानता गुणांक 1 × 10⁻³ Pa·s है, तो बुलबुले पर लगने वाले श्यान बल की गणना कीजिए।
हल:
दिया है:
r = 0.2 mm = 0.2 × 10⁻³ m
v = 5 cm/s = 0.05 m/s
η = 1 × 10⁻³ Pa·s
स्टोक्स के नियम से, F = 6πηrv
F = 6 × 3.14 × (1 × 10⁻³) × (0.2 × 10⁻³) × (0.05)
F = 6 × 3.14 × 1 × 0.2 × 0.05 × 10⁻⁶
F = 18.84 × 0.01 × 10⁻⁶
F = 0.1884 × 10⁻⁶ N
F ≈ 1.88 × 10⁻⁷ N